बी ए - एम ए >> फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्र फास्टर नोट्स-2018 बी. ए. प्रथम वर्ष शिक्षाशास्त्र प्रथम प्रश्नपत्रयूनिवर्सिटी फास्टर नोट्स
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बी. ए. प्रथम वर्ष (सेमेस्टर-1) शिक्षाशास्त्र के नवीनतम पाठ्यक्रमानुसार हिन्दी माध्यम में सहायक-प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मूल्य शिक्षा व मूल्यपरक शिक्षा की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए और उसके मार्गदर्शक सिद्धान्तों तथा उद्देश्य की विवेचना कीजिए।
अथवा
मूल्य परक शिक्षा के उद्देश्य एवं कार्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
मूल्य शिक्षा व मूल्यपरक शिक्षा की अवधारणा
Concept of Value Education and Value Oriented Education
मूल्य शिक्षा व मूल्यपरक शिक्षा की अवधारणा अपेक्षाकृत आधुनिक एवं व्यापक है परम्परागत रूप में धार्मिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा आदि जो प्रचलित है, इनसे यह भिन्न है। मूल्यपरक शिक्षा से तात्पर्य इस शिक्षा से है जिसमें हमारे नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अध्यात्मिक मूल्य समाहित हो। इसमें विभिन्न विषयों को मूल्यपरक बना कर इनके माध्यम से विभिन्न मूल्यों को छात्रों में व इनके व्यक्तित्व में समाहित करने पर बल दिया जाता है। जिससे इनका सन्तुलित एवं सर्वतोमुखी विकास हो सके।
मूल्य शिक्षा को प्रायः दो अर्थों में प्रयोग किया जाता है। वे इस प्रकार है -
(अ) मूल्य शिक्षा इसके अन्तर्गत हम नैतिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं अध्यात्मिक मूल्यों की शिक्षा, इतिहास, भूगोल, जीवशास्त्र, रसायनशास्त्र, भौतिकशास्त्र आदि की शिक्षा की भाँति एक स्वतन्त्र विषय के रूप में देना चाहते है।
(ब) मूल्यपरक शिक्षा - मूल्यपरक शिक्षा में सभी विषयों में 'मनोवैज्ञानिक ढंग से मूल्य समाहित करके उक्त मूल्यों के विकास पर बल देते हैं।
मूल्यपरक शिक्षा के मार्गदर्शक सिद्धान्त
(Guiding Principles of Value Oriented Education)
1. मूल्यपरक शिक्षा को समाज की आर्थिक-सामाजिक व्यवस्था के सन्दर्भ में क्रियान्वित किया जाना चाहिए।
2. मूल्यपरक शिक्षा को स्वतन्त्र विषय के रूप में पाठ्यक्रम में स्थान प्रदान नहीं किया जाना चाहिए। विभिन्न विषयों में इसके लिए मूल्यों को समाहित किया जाय।
3. मूल्यपरक शिक्षा के कार्यक्रम की सफलता घर, विद्यालय के आदर्श वातारण तथा शिक्षक के आधार पर होनी चाहिए।
4. मूल्यपरक शिक्षा धार्मिक शिक्षा से भिन्न है। अतः इसमें धर्म विशेष पर वांछित बल नहीं दिया जाना चाहिए।
5. संविधान में निर्देशित मूल्य एवं सामाजिक उत्तरदायित्व मूल्यपरक शिक्षा का केन्द्र बिन्दु होना चाहिए।
मूल्यपरक शिक्षा के उद्देश्य
(Aims of value Oriented Education)
विद्यालय स्तर पर मूल्यपरक शिक्षा के निम्नलिखित उददेश्य होने चाहिए -
1. छात्रों को एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए प्रशिक्षित करना।
2. छात्रों में सहयोग, प्रेम, करुणा, शान्ति एवं अहिंसा, साहस, समानता, बन्धुत्व, श्रम गरिमा, वैज्ञानिक, विभेदीकरण की शक्ति आदि मौलिक गुणों का विकास करना।
3 देश की सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक तथा आर्थिक परिस्थितियों के सम्बन्ध में इन्हें जागरूक बनाना। साथ ही इनमें वांछित सुधार लाने के लिए प्रोत्साहित करना।
4. राष्ट्रीय लक्ष्यों समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता, राष्ट्रीय एकता, लोकतन्त्र का सही ढंग से बोध कराना।
5. छात्रों में निम्नलिखित बिन्दुओं के प्रति समुचित दृष्टिकोण विकसित करना -
(i) स्वयं एवं अपने साथियों के प्रति
(ii) स्वदेश के प्रति
(iii) मानवता के प्रति
(iv) सभी धर्मों एवं संस्कृतियों के प्रति
(v) जीवन एवं पर्यावरण के प्रति
6. छात्रों को स्वयं को जानने के लिए प्रोत्साहित करना जिससे वे स्वयं में आस्था रखने में समर्थ हो सकें।
उपर्युक्त बिन्दुओं के आधार पर यह कहा जा सकता है कि मूल्यपरक शिक्षा में विभिन्न विषयों को मूल्यपरक बनाकर इनके माध्यम से विभिन्न मूल्यों को छात्रों के व्यक्तित्व में समाहित किया जा सकता है जिससे सन्तुलित एवं सर्वतोन्मुखी विकास हो सके।
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- प्रश्न- वैदिक काल में गुरुओं के शिष्यों के प्रति उत्तरदायित्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा में गुरु-शिष्य के परस्पर सम्बन्धों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की विवेचना कीजिए। वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार हेतु यह किस सीमा तक प्रासंगिक है?
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा के कम से कम पाँच महत्त्वपूर्ण आदर्शों का उल्लेख कीजिए और आधुनिक भारतीय शिक्षा के लिए उनकी उपयोगिता बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे? वैदिक काल में प्रचलित शिक्षा के मुख्य गुण एवं दोष बताइए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के मुख्य उद्देश्य क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा के प्रमुख गुण बताइए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में शिक्षा से क्या अभिप्राय था? शिक्षा के मुख्य उद्देश्य एवं आदर्श क्या थे?
- प्रश्न- वैदिककालीन उच्च शिक्षा का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय शिक्षा में प्रचलित समावर्तन और उपनयन संस्कारों का अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन शिक्षा का मुख्य उद्देश्य ज्ञान का विकास तथा आध्यात्मिक उन्नति करना था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में प्राचीन वैदिककालीन शिक्षा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक शिक्षा में कक्षा नायकीय प्रणाली के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं? शिक्षा के विभिन्न सम्प्रत्ययों का उल्लेख करते हुए उसके वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा के दार्शनिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के समाजशास्त्रीय सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के राजनीतिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के आर्थिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के मनोवैज्ञानिक सम्प्रत्यय की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के वास्तविक सम्प्रत्यय को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- क्या मापन एवं मूल्यांकन शिक्षा का अंग है?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए। आपको जो अब तक ज्ञात परिभाषाएँ हैं उनमें से कौन-सी आपकी राय में सर्वाधिक स्वीकार्य है और क्यों?
- प्रश्न- शिक्षा से तुम क्या समझते हो? शिक्षा की परिभाषाएँ लिखिए तथा उसकी विशेषताएँ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का संकीर्ण तथा विस्तृत अर्थ बताइए तथा स्पष्ट कीजिए कि शिक्षा क्या है?
- प्रश्न- शिक्षा का 'शाब्दिक अर्थ बताइए।
- प्रश्न- शिक्षा का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसकी अपने शब्दों में परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की दो परिभाषाएँ लिखिए।
- प्रश्न- शिक्षा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आपके अनुसार शिक्षा की सर्वाधिक स्वीकार्य परिभाषा कौन-सी है और क्यों?
- प्रश्न- 'शिक्षा एक त्रिमुखी प्रक्रिया है।' जॉन डीवी के इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
- प्रश्न- 'शिक्षा भावी जीवन की तैयारी मात्र नहीं है, वरन् जीवन-यापन की प्रक्रिया है। जॉन डीवी के इस कथन को उदाहरणों से स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा विज्ञान है या कला या दोनों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ को स्पष्ट कीजिए तथा शिक्षा के व्यापक व संकुचित अर्थ में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षा और साक्षरता पर संक्षिप्त टिप्पणी दीजिए। इन दोनों में अन्तर व सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- शिक्षण और प्रशिक्षण के बारे में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या, ज्ञान, शिक्षण प्रशिक्षण बनाम शिक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- विद्या और ज्ञान में अन्तर समझाइए।
- प्रश्न- शिक्षा और प्रशिक्षण के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।