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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।

अथवा
बजट के प्रमुख सिद्धान्त क्या हैं?
अथवा
बजट के पाँच महत्वपूर्ण सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।

उत्तर -

बजट का अर्थ

प्रत्येक कार्यपालिका राजकीय कार्यों को संचालित करने के लिए प्रतिवर्ष आय-व्यय का हिसाब बजट के रूप में प्रस्तुत करती है। भारत के संविधान में बजट शब्द कहीं भी उल्लिखित नहीं है बल्कि संविधान के अनुच्छेद (112) में कहा गया है कि "राष्ट्रपति प्रत्येक वित्तीय वर्ष के सम्बन्ध में संसद के दोनों सदनों के समक्ष एक वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) रखवाएगा। यही वार्षिक वित्तीय विवरण जिसमें सरकार की प्रवृत्तियों और व्यय का विवरण होता है बजट कहलाता है। बजट शब्द की उत्पत्ति फ्रेंच भाषा के 'बजट' या 'बोजते' (Bougette) शब्द से हुई है जिसका उसी भाषा में अर्थ 'एक चमड़े का थैला' होता है। यह शब्द सर्वप्रथम 1773 में इंग्लैण्ड की संसद में जब वित्त मन्त्री ने अपनी वित्तीय योजनाओं को कॉमन सभा के सम्मुख प्रस्तुत किया तो पहली बार व्यंग के रूप में यह कहा गया कि वित्त मन्त्री ने अपना बजट अर्थात् चमड़े का थैला खोला। आज सामान्य अर्थों में बजट का मतलब वार्षिक आय तथा व्यय का विवरण होता है।

 

बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त 

प्रशासकीय और वित्तीय प्रबन्धन के लिए बजट एक महत्वपूर्ण एवं प्रभावी साधन है। अपने महत्व के कारण बजट का निर्माण भी बजट निर्माण के सिद्धान्तों के अनुरूप ही होना चाहिए। यद्यपि बजट निर्माण के कोई पूर्व निर्धारित या सर्वमान्य सिद्धान्त नहीं हैं किन्तु कुछ प्रमुख देशों के बजट सम्बन्धी दीर्घ अनुभव के आधार पर कुछ निम्नलिखित सिद्धान्त बनाए गए हैं

(1) बजट निर्माण में कार्यपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका - प्रशासकीय प्रबन्धन का मुख्य उत्तरदायित्व मुख्य कार्यपालिका का ही होता है अतः यह वित्तीय आवश्यकता के सम्बन्ध में भली-भांति बता सकती है। इसलिए बजट बनाने का कार्यभार मुख्य रूप से कार्यपालिका पर ही होना चाहिए। परन्तु बजट बनाने की एक लम्बी प्रक्रिया है, इसलिए उसे विशिष्ट निकायों द्वारा सलाह व सहायता दी जानी चाहिए। भारत में वित्त विभाग बजट बनाने में मुख्य कार्यपालिका को सहायता देता है। सरकार में यह सिद्धान्त कार्यपालिका की सिफारिश के बिना स्वीकृति के लिए कोई भी मांग प्रस्तुत नहीं की जा सकती। यह धारणा इस सिद्धान्त को भी स्पष्ट करती है कि बजट बनाना कार्यपालिका का दायित्व है और इसे ही इस दायित्व को निभाना चाहिए।

(2) जनता के सुझावों के लिए बजट का प्रचार तथा प्रकाशन आवश्यक - सरकार बजट का निर्माण जनत के लिए करती है तथा सरकार द्वारा बनाए गए बजट का सीधा प्रभाव जनता पर पड़ता है अतः यह आवश्यक है कि बजट निर्माण एवं पारित होने की विभिन्न अवस्थाओं जैसे कार्यपालिका द्वारा बजट बनाया जाना, व्यवस्थापिका के समक्ष रखा जाना, व्यवस्थापिका द्वारा क्रियान्वित किया जाना इत्यादि का पर्याप्त प्रचार व प्रकाशन किया जाना चाहिए ताकि जनता बजट में प्रस्तावित योजनाओं एवं कार्यक्रमों के सम्बन्ध में अपने सुझाव देकर भागीदारी को सुनिश्चित कर सके।

(3) कर लगाने सम्बन्धी संसद का एकाधिकार - कोई भी कर संसद या विधायिका की स्वीकृति के बिना नहीं लगाया जा सकता है। कार्यपालिका अपनी इच्छा से या आदेश से कोई कर नहीं लगा सकती है, उसे अपने सभी कर प्रस्ताव एक बिल के रूप में संसद के समक्ष प्रस्तुत करने होते हैं और इनकी संसद द्वारा स्वीकृति होने पर ही जनता से इन करों की वसूली की जा सकती है।

(4) व्यय पर विधायिका का नियन्त्रण - राजकीय व्यय के सम्बन्ध में विधायिका या संसद का नियन्त्रण अत्यधिक महत्वपूर्ण रहता है। प्रत्येक सरकारी व्यय को संसद की स्वीकृति आवश्यक होती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद (226) में इस सिद्धान्त को स्वीकार करते हुए यह कहा गया है कि भारत सरकार को प्राप्त होने वाली सम्पूर्ण आय, सब प्रकार के ऋणों के भुगतान के रूप में प्राप्त समस्त धनराशियां केन्द्र अथवा राज्य सरकार की संचित निधि में जमा की जाएँगी और इस विधि से कोई भी राशि तब तक नहीं निकाली जा सकती जब तक कि संसद द्वारा पारित किसी कानून से उसकी स्वीकृति न ले ली गई हो।

(5) वार्षिक सत्र का सिद्धान्त - बजट निर्माण में यह प्रतिबद्धता रहती है कि वह केवल एक सत्र या एक वित्तीय वर्ष के लिए ही स्वीकृत किया जाय। इस सत्र की समाप्ति पर बजट द्वारा स्वीकृत कर- प्रस्ताव समाप्त हो जाते हैं और अगले वर्ष के लिए फिर से नया बजट स्वीकृत कराना पड़ता है।

(6) सन्तुलित, लचीला एवं स्पष्टता का सिद्धान्त - बजट निर्माण में इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाता है कि बजट सन्तुलित होना चाहिए अर्थात् आय तथा व्यय के मध्य सन्तुलन होना चाहिए। अत्यधिक घाटे का बजट तथा अत्यधिक लाभ का बजट दोनों ही दोषपूर्ण माने जाते हैं। साथ ही बजट में इतना लचीलापन होना चाहिए ताकि उसमें आवश्यक परिवर्तन किया जा सके। बजट की भाषा एवं रूपरेखा इतनी सरल एवं स्पष्ट होनी चाहिए ताकि एक आम नागरिक भी उसे पढकर या सुनकर समझ सके।

(7) शुद्धता, व्यापकता एवं एकता का सिद्धान्त - बजट निर्माण करते समय बजट के अनुमानों का विशुद्ध होना अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसके अभाव में एक अच्छा बजट नहीं बनाया जा सकता है। बजट की सफलता के लिए आवश्यक है कि बजट व्यापक हो अर्थात् सरकार द्वारा प्रस्तावित सभी योजनाएँ तथा कार्यक्रमों को अच्छी प्रकार से वर्णित किया जाना चाहिए। सरकार की आय तथा व्यय का सही विवरण स्पष्ट रूप से दिया जाना चाहिए। साथ ही सरकार की सभी आमदनियों को एक सामान्य निधि में रखा जाना चाहिए तथा शासन के समस्त विभागों की आय तथा व्यय से सम्बन्धित एक ही बजट होना चाहिए, जबकि भारत में सामान्य बजट तथा रेल बजट तैयार किए जाते हैं।

(8) मितव्ययिता का सिद्धान्त - बजट का मितव्ययी होना भी उसकी सफलता का आवश्यक तत्व है। बजट के सभी अनुमान मितव्ययिता के सिद्धान्त का दृढ़ता से पालन करते हुए बनाए जाने चाहिए। एक भी पैसे का अनावश्यक दुरुपयोग, अपव्यय या बर्बादी नहीं होनी चाहिए यदि किसी योजना को क्रियान्वित करने के लिए एक से अधिक साधन विकल्प के रूप में हों तो सबसे कम खर्चीले साधन को ही चुना जाना चाहिए।

उपरोक्त सिद्धान्तों का पालन बजट निर्माण एवं उनके क्रियान्वयन में करते रहने से कोई भी देश अपनी वित्तीय व्यवस्था मजबूत बनाए रख सकता है तथा कार्यपालिका को आकस्मिक अथवा पूरक अनुदान मांगे रखने की पद्धति का सहारा नहीं लेना पड़ता तथा देश की अर्थव्यवस्था को वित्तीय संकट से बचाए रखा जा सकता है।

 

 

 

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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