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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2796
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 राजनीति विज्ञान : लोक प्रशासन

प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।

अथवा
'आदेश की एकता' से क्या अभिप्राय है? आदेश की एकता सिद्धान्त की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. 'आदेश की एकता' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
अथवा
आदेश की एकता से आप क्या समझते हैं?
2. आदेश की एकता सिद्धान्त की क्या आवश्यकताएँ हैं?

उत्तर -

संगठन के सुचारु रूप से संचालन हेतु यह आवश्यक है कि संगठन के उद्देश्यों के अनुरूप कार्यनिष्पादन हेतु आदेशों का एकरूपता के साथ निष्पादन किए जाए। इस हेतु संगठन के जिस सिद्धान्त को अंगीकृत किया जाता है वह सिद्धान्त ही 'आदेश की एकता' है। संगठन के विविध सिद्धान्तों की भाँति 'आदेश की एकता' सिद्धान्त भी एक अति महत्वपूर्ण सिद्धान्त है। इस सिद्धान्त की भली प्रकार विवेचना निम्नांकित शीर्षकों के अधीन उचित रूप से की जा सकती है.

आदेश की एकता : अभिप्राय (Unity of Command: Meaning) - आदेश की एकता का सीधा व सरल सा अर्थ यह है कि संगठन के अतंर्गत कार्य करने वाला कोई भी कर्मचारी अपने से ऊँचे एक से अधिक अधिकारी से आदेश ग्रहण नहीं करेगा। यदि संगठन में किसी व्यक्ति से दो परस्पर विरोधी आदेशों को मानने को कहा जाता है तो उसके परिणामस्वरुप भ्रम तथा अकुशलता उत्पन्न होती है। अतः आदेश देने वाले एक नेतृत्व एवं आदेशों की प्रकृति के एक होने पर बल देने के धारण ही इसे 'आदेश की एकता सिद्धान्त कहा जाता है।

इसे निम्न आरेख द्वारा भी समझा जा सकता है-

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'आदेश की एकता' के अभिप्राय को स्पष्ट करते हुए पिफनर एवं प्रेस्थस लिखते हैं कि- "आदेश की एकता से यह आशय है कि किसी संगठन का प्रत्येक सदस्य एक और केवल एक ही वरिष्ठ अधिकारी के प्रति ही जवाबदेह होगा।

इसी क्रम में 'हेनरी फेयाफल' का अभिमत है कि "किसी कर्मचारी को केवल एक ही उच्च अधिकारी द्वारा आदेश दिया जाना चाहिए। इस प्रकार स्पष्ट है कि किसी संगठन के कर्मचारी के सुचारु रूप से काम करेन के लिए 'आदेश की एकता' बहुत महत्वपूर्ण है।

आदेश की एकता सिद्धान्त आवश्यकता (Unity of Command: Necessity) - किसी संगठन में 'आदेश की एकता के सिद्धान्त की आवश्यकता निम्नलिखित कारणों से होती है-

1. दोहरे नियंत्रण के लिए अनुकूलता न होना - प्रत्येक संगठन के दोहरे नियंत्रण की अनुकूलताएँ नहीं पायी जाती। ऐसे में संगठन में एकल नियंत्रण की आवश्यकता होती है। यह आवश्यकता 'आदेश की एकता' सिद्धान्त के अनुपालन से ही पूर्ण की जा सकती है।

2. 'एक के उत्तरदायित्व' का अनुपालन - संगठन सुचारु रूप से तभी कार्य कर सकता है जब उसमें किसी एक नेतृत्वकर्त्ता का उत्तरदायित्व हो। यह 'आदेश की एकता' सिद्धान्त के अनुपालन से ही सुनिश्चित हो पाता है। अतः इस हेतु 'आदेश की एकता की अत्यधिक आवश्यकता है।

3. अन्तर्विरोध एवं भ्रांतियों को समाप्त करने हेतु आदेश की एकता सिद्धान्त - इस दृष्टि से भी आवश्यक है कि संगठन में आदेशों एवं इनके अनुपालन के सन्दर्भ में भ्रान्तियाँ एवं अन्तर्विरोध उत्पन्न न हो। यदि संगठन में आदेश की एकता न हो तो कोई भी अधिकारी किसी भी कर्मचारी को मनचाहा आदेश देने लगेगा। इससे एक अव्यवस्था एवं भ्रान्ति की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी तथा उत्तरदायित्व का निर्धारण की मुश्किल हो जाएगा।

4. कार्यकुशलता में अभिवृद्धि हेतु - संगठन में कार्यकुशलता बढ़ाने की दृष्टि से भी 'आदेश की एकता अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसके अनुपालन में संगठन में प्रत्येक कार्मिक के बीच एक बेहतर तालमेल बना रहता है। इससे संगठन की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है।

5. उत्तरदायित्व के उचित निर्धारण हेतु - आदेश की एकता  सिद्धान्त की आवश्यकता उत्तरदायित्व के उचित निर्धारण हेतु भी होती है। जब आदेशों का क्रम निश्चित होता है तथा आदेशों को जारी करने वाले अधिकारियों का निश्चित क्रम होता है तो उनके उत्तरदायित्व का निर्धारण की सुगमता से किया जा सकता है।

आदेश की एकता - व्यवहारिक स्थिति यह एक विचारणीय प्रश्न है कि क्या व्यवहार में आदेश की एकता सिद्धान्त को अपनाया जा सकता है? उदाहरण के लिए, जिला प्रशासन को लिया जा सकता है जहाँ जिला कलक्टर जिला स्तर पर कृषि, पशुपालन, सहकारिता, कानून व्यवस्था, चिकित्सा इत्यादि सभी विभागों और क्रियाकलापों का प्रमुख होता है। अगर जिला प्रशासन को एक संगठन माना जाए तो जिले के सभी विभागों के कर्मचारियों को सीधे उसी से आदेश लेने चाहिए। लेकिन व्यवहारिकता में वे अपने विभागीय प्रमुखों और जिला कलक्टर दोनों से आदेश प्राप्त करते हैं। जिला स्तरीय अधिकारी राज्य प्रशासन के अपने अधिकारियों और जिला कलक्टर दोनों से आदेश लेते हैं। इस तरह आधुनिक संगठनों में किसी एक अधिकारी द्वारा कठिनाइयाँ आती हैं क्योंकि संगठन के अनेक स्तरों पर विभिन्न तकनीकि और सामान्य अधिकारियों के साथ काम करते हैं और उनसे आदेश लेते हैं।

इस प्रकार चाहे जिला प्रशासन हो या औद्योगिक संगठन, कर्मचारी एक से अधिक अधिकारियों से आदेश प्राप्त करते हैं। जब तक आदेश एक-दूसरे के विपरीत नहीं होते, कर्मचारी के लिए कोई परेशानी नहीं होती। इस तरह व्यवहारिकता में हम देखते हैं कि आदेश की एकता सिद्धान्त के अनुपालन में महत्व 'एकता' का है, 'आदेश' का नहीं। इसका मतलब यह है कि आदेश की एकता में यह जरूरी नहीं कि आदेश देने वाला अधिकारी एक ही तो, परन्तु यह जरूरी है कि विभिन्न अधिकारियों द्वारा दिये जाने वाले आदेशों की प्रकृति एक सी हो अर्थात् यह लोकहित व संविधानिक उद्देश्यों के अनुरूप हों।

निष्कर्ष - इस प्रकार उपर्युक्त सम्पूर्ण विवेचन के आधार पर निष्कर्षतया यह कहा जा सकता है कि आदेश की एकता सिद्धान्त संगठन के सुचारु रूप से कार्य निष्पादन हेतु आवश्यक है तथा यह मूल रूप से आदेशों की प्रकृति के एकरूप व लोक कल्याणकारी तथा संगठन के उद्देश्यों के अनकूल होने पर आधारित है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- 'लोक प्रशासन' के अर्थ और परिभाषाओं की विवेचना कीजिए।
  2. प्रश्न- लोक प्रशासन की प्रकृति की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  4. प्रश्न- लोकतांत्रिक प्रशासन की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्रशासन' शब्द का प्रयोग सामान्य रूप से किन प्रमुख अर्थों में किया जाता है?
  6. प्रश्न- "लोक प्रशासन एक नीति विज्ञान है" यह किन आधारों पर कहा जा सकता है?
  7. प्रश्न- लोक प्रशासन का महत्व बताइए।
  8. प्रश्न- प्रशासन के प्रमुख लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
  9. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र का 'पोस्डकोर्ब दृष्टिकोण' की व्यख्या कीजिये।
  10. प्रश्न- लोक प्रशासन को विज्ञान न मानने के क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- एक अच्छे प्रशासन के गुण बताइए।
  12. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की चुनौतियाँ बताइये।
  13. प्रश्न- 'लोक प्रशासन में सैद्धान्तीकरण की बढ़ती प्रवृत्ति', टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- कार्मिक प्रशासन के मूल तत्व क्या हैं?
  15. प्रश्न- राजनीतिज्ञ एवं प्रशासक के मध्य अन्तर लिखिए।
  16. प्रश्न- शासन एवम् प्रशासन में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
  17. प्रश्न- अनुशासन से क्या तात्पर्य है? लोक प्रशासन में अनुशासन के महत्व को दर्शाइए।
  18. प्रश्न- भारत में लोक सेवकों के आचरण को अनुशासित बनाने के लिए किए गए प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- लोक सेवकों को अनुशासन में बनाए रखने के लिए उन पर लगाए गए प्रतिबन्धों का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- किसी संगठन में अनुशासन के योगदान पर टिप्पणी लिखिए।
  21. प्रश्न- प्रशासन में अनुशासनहीनता को बढ़ावा देने वाले प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं?
  22. प्रश्न- "अनुशासन में गिरावट लोक प्रशासन के लिए चुनौती" इस कथन पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
  23. प्रश्न- लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? निजी प्रशासन लोक प्रशासन से किस प्रकार भिन्न है?
  24. प्रश्न- "लोक प्रशासन तथा निजी प्रशासन में अनेकों असमानताएँ होने के बावजूद कुछ ऐसे बिन्दू भी हैं जो उनके बीच समानताएँ प्रदर्शित करते हैं।' कथन का परीक्षण कीजिए।
  25. प्रश्न- निजी प्रशासन में लोक प्रशासन की अपेक्षा भ्रष्टाचार की सम्भावनाएँ कम है, कैसे?
  26. प्रश्न- निजी प्रशासन के नकारात्मक पक्षों पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  27. प्रश्न- लोक प्रशासन की तुलना में निजी प्रशासन में राजनीतिकरण की सम्भावनाएँ न्यूनतम हैं, कैसे?-
  28. प्रश्न- निजी प्रशासन के दो प्रमुख लाभ बताइए।
  29. प्रश्न- लोक प्रशासन के महत्व पर विवेचना कीजिए।
  30. प्रश्न- आधुनिक राज्यों में लोक प्रशासन के विभिन्न रूपों को स्पष्ट कीजिए।
  31. प्रश्न- विकासशील देशों में लोक प्रशासन की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- संगठन का अर्थ स्पष्ट करते हुए, इसके आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  33. प्रश्न- संगठन के आधारों को स्पष्ट कीजिए।
  34. प्रश्न- संगठन के प्रकारों को स्पष्ट कीजिए। औपचारिक संगठन की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- औपचारिक संगठन की विशेषताएँ बताइये।
  36. प्रश्न- अनौपचारिक संगठन से आप क्या समझते हैं? इनकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  37. प्रश्न- औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  38. प्रश्न- संगठन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- संगठन के यान्त्रिक अथवा शास्त्रीय दृष्टिकोण (उपागम) को स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- पदसोपान प्रणाली के गुण व दोष बताते हुए इसका मूल्यांकन कीजिए।
  41. प्रश्न- संगठन के आदेश की एकता सिद्धान्त की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  42. प्रश्न- आदेश की एकता सिद्धान्त के गुण बताते हुए इसकी समालोचनाओं पर भी प्रकाश डालिए।
  43. प्रश्न- 'प्रत्यायोजन' से आप क्या समझते हैं? प्रत्यायोजन को परिभाषित करते हुए इसकी आवश्यकता एवं महत्व को बताइए।
  44. प्रश्न- प्रत्यायोजन के विभिन्न सिद्धान्तों एवं प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  45. प्रश्न- संगठन के सिद्धान्तों के विशेष सन्दर्भ में प्रशासन को लूथर गुलिक एवं लिंडल उर्विक के योगदान की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- लोक प्रशासन के क्षेत्र में एल्टन मेयो द्वारा प्रस्तुत मानव सम्बन्ध उपागम पर प्रकाश डालिए।
  47. प्रश्न- हरबर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सम्बन्धी मॉडल की व्याख्या कीजिए।
  48. प्रश्न- हर्बर्ट साइमन के निर्णय निर्माण सिद्धान्त का लोक प्रशासन में महत्व पर प्रकाश डालिए।
  49. प्रश्न- नौकरशाही का अर्थ बताइये और परिभाषाएँ दीजिए।
  50. प्रश्न- नौकरशाही की विशेषताएँ अथवा लक्षणों को बताइये।
  51. प्रश्न- निर्णयन का क्या अर्थ है? प्रशासन में निर्णयन प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- हेनरी फेयाफल द्वारा उल्लिखित किये गये संगठन के सिद्धान्तों को बताइए।
  53. प्रश्न- 'गेंगप्लांक' पर टिप्पणी कीजिये।
  54. प्रश्न- हरबर्ट साइमन द्वारा 'प्रशासन की कहावत' किन्हें कहा गया है और क्यों?
  55. प्रश्न- ऐल्टन मेयो को मानव सम्बन्ध उपागम के प्रवर्तकों में शामिल किया जाता है, क्यों?
  56. प्रश्न- निर्णयन के अवसरों का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- निर्णयन के लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  58. प्रश्न- प्रतिबद्ध नौकरशाही की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण का आशय स्पष्ट कीजिए। सूत्र एवं स्टाफ अभिकरण में अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  60. प्रश्न- सूत्र या पंक्ति अभिकरण से क्या आशय है एवं सूत्र (लाइन) या पंक्ति अभिकरणों की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  61. प्रश्न- प्रशासन में स्टाफ अभिकरण के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  62. प्रश्न- स्टाफ अभिकरणों के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  63. प्रश्न- स्टाफ अभिकरण के विभिन्न रूपों पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- सहायक अभिकरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए एवं स्टाफ अभिकरण से इनकी भिन्नता पर प्रकाश डालिए।
  65. प्रश्न- मुख्य प्रशासक की प्रशासन में क्या स्थिति है? स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- बजट से आप क्या समझते हैं? इसे परिभाषित कीजिए। भारत में बजट कैसे तैयार किया जाता है?
  67. प्रश्न- बजट किसे कहते है? एक स्वस्थ बजट के महत्वपूर्ण सिद्धान्त बताइए।
  68. प्रश्न- भारत में केन्द्रीय बजट का निर्माण किस प्रकार होता है?
  69. प्रश्न- वित्त विधेयक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  70. प्रश्न- वित्त विधेयक के सम्बन्ध में राष्ट्रपति के विशेषाधिकार को स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- बजट का महत्व बताइए।
  72. प्रश्न- भारत में बजट के क्रियान्वयन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  73. प्रश्न- बजट के कार्य बताइये।
  74. प्रश्न- बजट के प्रकार लिखिए।
  75. प्रश्न- वित्त आयोग के कार्य बताइए।
  76. प्रश्न- योजना आयोग का प्रशासनिक ढाँचा क्या है?
  77. प्रश्न- शून्य आधारित बजट का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? नवीन लोक प्रशासन के उदय के कारण बताते हुए इसकी दार्शनिक पृष्ठभूमि का वर्णन कीजिए तथा नवीन लोक प्रशासन एवं दार्शनिक पृष्ठभूमि में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  79. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के लक्ष्य को स्पष्ट करते हुए इसके लक्षणों का परीक्षण कीजिए।
  81. प्रश्न- नवीन लोक प्रबन्ध के अभ्युदय कैसे हुआ? नवीन लोक प्रबन्ध की मुख्य विशेषताएँ बताते हुए इसके अंतर्गत सरकार की भूमिका में आए बदलावों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन की भावी सम्भावनाओं को व्यक्त कीजिए।
  83. प्रश्न- नव लोक प्रशासन का उदय किन परिस्थितियों में हुआ?
  84. प्रश्न- नवीन लोक प्रशासन के प्रमुख तत्व कौन से हैं?
  85. प्रश्न- 'नवीन लोक प्रबन्ध' दृष्टिकोण के हानिकारक पक्षों पर प्रकाश डालिए।
  86. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की पारिस्थितिकीय दृष्टिकोण के समर्थक क्या आलोचना करते हैं?
  87. प्रश्न- नव लोक प्रबन्ध की हरबर्ट साइमन द्वारा प्रस्तुत आलोचना पर प्रकाश डालिए।
  88. प्रश्न- प्रशासकीय कानून का क्या अर्थ है? प्रशासकीय कानून के विकास के प्रमुख कारण बतलाइए।
  89. प्रश्न- प्रशासकीय अधिनिर्णय का क्या अर्थ है? इसके विकास के प्रमुख कारणों का विवेचन कीजिए।
  90. प्रश्न- भारत में जन शिकायतों के निस्तारण हेतु ओम्बड्समैन की स्थापना हेतु किए गए प्रयासों की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण से क्या तात्पर्य है? कोई न्यायालय प्रशासन के कार्यों को किस प्रकार अवैध घोषित कर सकता है?
  92. प्रश्न- भारत में प्रशासन पर न्यायिक नियन्त्रण के विभिन्न साधनों का परीक्षण कीजिए।
  93. प्रश्न- भारत में प्रशासकीय न्यायाधिकरणों को कितने वर्गों में विभाजित किया गया है?
  94. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों से क्या लाभ हैं?
  95. प्रश्न- प्रशासकीय न्यायाधिकरणों की हानियाँ बताइए।
  96. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के आधुनिक उपागमों को बताइये तथा व्यवहारवादी उपागमन को सविस्तार समझाइये।
  97. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के व्यवस्था उपागम का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- लोक प्रशासन के संरचनात्मक कार्यात्मक उपागम की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- लोक प्रशासन के अध्ययन के पारिस्थितिकी उपागम का वर्णन कीजिए।
  100. प्रश्न- सुशासन से आप का क्या आशय है? सुशासन की विशेषताएँ लिखिए।
  101. प्रश्न- भारतीय क्षेत्र में सुशासन स्थापित करने की प्रमुख चुनौतियाँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  102. प्रश्न- भारत में सुशासन की स्थापना हेतु किये गये प्रयासों पर प्रकाश डालिए।
  103. प्रश्न- विकास प्रशासन से क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षणों पर प्रकाश डालिए।
  104. प्रश्न- विकास प्रशासन से आप क्या समझते हैं? विकास प्रशासन के विभिन्न सन्दर्भों का उल्लेख करें।
  105. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के उद्भव व विकास को समझाते हुए विकास की विभिन्न रणनीतियों की विवेचना कीजिए।
  106. प्रश्न- विकास प्रशासन के विभिन्न तत्वों की विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रकृति एवं साधन बताइए।
  108. प्रश्न- विकास प्रशासन के सामान्य अभिप्राय के सम्बन्ध में प्रमुख विवादों (भ्रमों) पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  109. प्रश्न- विकासात्मक नीतियों को लागू करने में विकास प्रशासन कहाँ तक उपयोगी है?
  110. प्रश्न- विकास प्रशासन की प्रमुख समस्याएँ बताइए।
  111. प्रश्न- विकास प्रशासन के 'स्थानिक आयाम' को समझाइए।
  112. प्रश्न- विकास प्रशासन की धारणा के विकास के दूसरे चरण में विकास सम्बन्धी कि मान्यताओं का उदय हुआ?
  113. प्रश्न- विकास प्रशासन के समय अभिमुखी आयाम पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  114. प्रश्न- विकास प्रशासन और प्रशासनिक विकास में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- राजनीतिक और स्थायी कार्यपालिका से आप क्या समझते हैं और उनके मध्य अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- भारतीय प्रशासन के विकास का विश्लेषणात्मक वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- राजनीति क्या है? मानव सामाजिकता में राजनीतिक भूमिका लिखिए।
  118. प्रश्न- वर्तमान भारतीय प्रशासन की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

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