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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2795
आईएसबीएन :0

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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन

अध्याय - 3

समाजवाद और समाजवादी राज्य की कार्यप्रणाली

(Socialism and the Working of Socialist State)

प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।

उत्तर -

समाजवादी राज्य

समाजवाद का अन्तिम लक्ष्य एक वैचारिक समाज की स्थापना करना है। लेकिन इस अन्तिम लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समाज से राज्य की बुनियादी नीव को हटाना आवश्यक है। मार्क्सवादी सिद्धान्त के अनुसार, राज्य का मूल आधार समाज में वर्गों का अस्तित्व है। समाज को निष्क्रिय बनाने के लिए वर्गों के अस्तित्व को समाप्त करना होगा। इसके अंत तक कार्ल मार्क्स ने पूँजीवादी व्यवस्था को उखाड़ फेकने और श्रम तानाशाही स्थापित करने के लिए श्रम को चुनौती दी। इस कार्य के लिए, कार्ल मार्क्स ने मजदूरों को एकजुट होने और पूँजीवादी व्यवस्था के खिलाफ क्रान्ति करने के लिए प्रेरित किया। ऐसी क्रान्ति से जो अंतरिम मंच स्थापित होगा उसे श्रमिकों या समाजवादी राज्य की तानाशाही कहा जाता है।

ऐसे समाजवादी राज्य में उत्पादन के साधनों पर निजी स्वामित्व नहीं होगा। इस राज्य में उत्पादन के साधन सामाजिक स्वामित्व के अन्तर्गत होंगे। उत्पादन का उद्देश्य लाभ नहीं है बल्कि समग्र रूप से समाज का कल्याण है। ऐसे राज्य में मजदूरों की एक तानाशाही होगी और इस तानाशाही का उद्देश्य ऐसी परिस्थितियों का विकास करना होगा जो स्वचालित रूप से राज्य के पतन का कारण बनेगी।

समाजवादी राज्य की कार्यप्रणाली

समाजवादी राज्य की कार्यप्रणाली निम्नलिखित है-

1. दमनकारी कार्य - जिस प्रकार पूँजीवादी राज्य द्वारा दमनकारी कार्यवाहियाँ की जाती हैं। उसी प्रकार मार्क्सवादी सिद्धान्त ने भी समाजवादी राज्य को दमनकारी कार्य दिए हैं। श्रमिक तानाशाही या समाजवादी राज्य की स्थापना से पहले पूँजीवादी राज्य का अस्तित्व होगा। श्रमिक क्रान्ति के माध्यम से इस तरह के राज्य के अस्तित्व को समाप्त करने का प्रयास किया जाएगा। इस क्रान्ति के परिणामस्वरूप राजनीतिक शक्ति श्रमिकों के हाथों में आ जाएगी, लेकिन पूँजीवादी व्यवस्था पूरी तरह से नष्ट नहीं होगी। इसके कुछ भाग जीवित रह सकते हैं और पराजित पूँजीपतियों के लिए एकजुट होकर प्रति क्रान्ति करना संभव हो सकता है। इसलिए यह जरूरी है कि पूँजीपति वर्ग के अवशेषों को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए ताकि क्रान्ति की संभावना की कल्पना न की जा सके। समाजवादी राज्य का मुख्य दमनकारी कार्य पूर्ण पूँजीवादी शोषण को खत्म करना और समाज में वर्ग विभाजन को समाप्त करना होगा।

2. उत्पादन और वितरण प्रणालियों का समाजीकरण - मार्क्सवादी सिद्धान्त के अनुसार पहला समाजवादी राज्य सोवियत रूस 1917 की सफल क्रान्ति के बाद स्थापित किया गया था। समाजवादी क्रान्ति के सफल नेतृत्व के बाद लेनिन ने इस नए समाजवादी राज्य के लिए एक विशेष कार्यक्रम निर्धारित किया।

लेनिन के अनुसार, "समाजवादी राज्य का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कार्य उद्योग और कृषि के क्षेत्र में उत्पादन और वितरण के साधनों का सामाजीकरण करना है। इसी प्रकार कई उद्योग राज्य के स्वामित्व में स्थापित किए गए ताकि नए सामाजवादी राज्य का आर्थिक और औद्योगिक विकास हो सके। संक्षेप में एक समाजवादी राज्य के लिए उत्पादन और वितरण के साधनों का समाजीकरण करना आवश्यक है, ताकि सम्पूर्ण समाज के हित में अधिकतम भौतिक विकास हो सके।

3. श्रम उत्पादकता में वृद्धि - समाजवादी राज्य प्रत्येक व्यक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने पर जोर देता है। ऐसी स्थिति तभी संभव है जब अधिकतम उत्पादन किया जाए। उत्पादन करने के लिए श्रम की उत्पादकता को बढ़ाना होगा। श्रम की उत्पादकता बढ़ाना तभी संभव है। जब श्रम की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए समुचित रूप से संगठित किया जाए और श्रम का उपयोग आवश्यकतानुसार किया जाए। इसके लिए व्यापक योजना की आवश्यकता है।

4. विज्ञान और उद्योग विज्ञान का विकास - समाजवादी सिद्धान्त अधिकतम उत्पादन पर जोर देता है। लेकिन पारम्परिक तरीकों से अधिक उत्पादन करना लगभग असंभव है। इसलिए उत्पादन बढ़ाने के लिए विज्ञान और औद्योगिक विज्ञान और तकनीकी ज्ञान को अधिकतम रूप में विकसित करना आवश्यक है। इस तरह के वैज्ञानिक विकास के परिणामस्वरूप उद्योग और कृषि क्षेत्र में अधिकतम विकास प्राप्त किया जा सकता है।

इसलिए समाजवादी राज्य समाज के नए निर्माण के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अधिकतम विकास पर ध्यान केन्द्रित करेगा और इस उद्देश्य के लिए राष्ट्रीय धन का पर्याप्त योगदान करने की योजना बना रहा है।

5. समाजवादी संस्कृति को अपनाना - सिर्फ पूँजीवादी आर्थिक व्यवस्था को नष्ट करके एक समाजवादी समाज की स्थापना नहीं की जा सकती है। इस उद्देश्य के लिए लोगों की मानसिकता को बदलना आवश्यक है। एक ओर लोगों के दिमाग से पूँजीवादी संस्कृति के चरित्र मूल्यों को मिटाना और दूसरी ओर लोगों को समाजवादी संस्कृति को अपनाना आवश्यक है। पूँजीवादी आर्थिक व्यवस्था को केवल सशस्त्र क्रान्ति द्वारा समाप्त किया जा सकता है। लेकिन इस तरह लोगों की पूँजीवादी मानसिकता को नहीं मिटा सकते हैं। इसके लिए एक सामाजवादी राज्य निम्नलिखित कार्य करता है 

(i) समाजवादी विचारधारा को फैलाने वाली शिक्षा प्रणाली विकसित करना।
(ii) सामाजिक समानता स्थापित करना।
(iii) समाजवादी संस्कृति और सामाजिक नैतिकता की स्थापना।

6. अन्तर्राष्ट्रीय कार्य - समाजवादी राज्य आमतौर पर शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व के सिद्धान्त में विश्वास करते हैं। लेकिन साथ ही समाजवादी राज्य इसे दुनिया के अन्य हिस्सों में समाजवादी आन्दोलनों और स्वतंत्रता आन्दोलनों का समर्थन करना अपना कर्तव्य मानते हैं। दुनिया के किसी भी हिस्से में साम्राज्यवाद और उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष को अक्सर समाजवादी राज्य का समर्थन प्राप्त है।

7. राज्य के पतन की स्थितियों का विकास करना - समाजवादी राज्य का मुख्य उद्देश्य परिस्थितियों का विकास करना है जो राज्य के क्रमिक पतन का कारण बनेगा। मार्क्सवादी सिद्धान्त का उद्देश्य एक वर्गहीन और राज्यविहीन समाज की स्थापना करना है।

इस उद्देश्य के लिए श्रम या समाजवादी राज्य की तानाशाही को नकारात्मक और सकारात्मक दोनों तरह से काम करना पड़ता है। नकारात्मक पक्ष पर राज्य को पूँजीवादी संस्कृति और मानसिकता को पूरी तरह से नष्ट करना होगा। जब पूँजीवादी व्यवस्था पूंजीवादी संस्कृति और पूँजीवादी मानसिकता नष्ट हो जाती है और समाजवादी व्यवस्था और समाजवादी संस्कृति अपना स्थान ले लेती है, तब स्वाभाविक रूप से राज्य के पतन की स्थिति अस्तित्व में आ जाएगी। राज्य के पतन के लिए इस तरह के राज्य का विकास एक श्रम तानाशाही या समाजवादी राज्य का एक महत्वपूर्ण कार्य है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  5. प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
  6. प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
  7. प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
  9. प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
  10. प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  11. प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
  13. प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
  14. प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
  16. प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  17. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
  18. प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
  20. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
  21. प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
  23. प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
  27. प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
  28. प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
  29. प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  30. प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
  33. प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  36. प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
  39. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
  40. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  41. प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  44. प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
  46. प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
  47. प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
  48. प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
  49. प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
  50. प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
  51. प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
  55. प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
  57. प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  58. प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
  59. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
  60. प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
  61. प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
  62. प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
  63. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  65. प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
  66. प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
  68. प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
  69. प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
  70. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
  72. प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
  74. प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
  75. प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
  76. प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
  78. प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
  79. प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
  80. प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
  81. प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
  82. प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
  85. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  86. प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
  88. प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  90. प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
  91. प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
  92. प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  94. प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
  95. प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
  99. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
  102. प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
  103. प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
  104. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
  105. प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
  107. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
  110. प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
  112. प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।

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