बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन
प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
उत्तर -
पूँजीवाद
पूँजीवाद सामान्यतः उस आर्थिक प्रणाली या तंत्र को कहते हैं जिसमें उत्पादन के साधन पर निजी स्वामित्व होता है। पूँजीवाद एक आर्थिक एवं राजनीतिक पद्धति है, जिसमें पूँजी के निजी स्वामित्व, उत्पादन के साधनों पर व्यक्तिगत नियंत्रण, स्वतंत्र औद्योगिक प्रतियोगिता और उपभोक्ता द्रव्यों के अनियंत्रित वितरण की व्यवस्था होती है। पूँजीवाद की कभी कोई निश्चित परिभाषा नहीं है।
बेन्हथम के अनुसार, "पूँजीवादी अर्थव्यवस्था आर्थिक तानाशाही की प्रतिरोधी है। उत्पादन के क्षेत्र में कोई केन्द्रीय आयोजन नहीं होता। राज्य के द्वारा लगाये गए प्रतिबन्धों को छोड़कर प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुसार कार्य करने को स्वतंत्र होता हैं।
जी.डी.एच.कोल के अनुसार, "पूँजीवाद लाभ के लिए उत्पादन की वह प्रणाली है। जिसके अन्तर्गत उत्पादन के उपकरणों तथा सामग्री पर व्यक्तिगत स्वामित्व होता है तथा उत्पादन मुख्य रूप से मजदूरी के श्रमिकों द्वारा किया जाता है तथा इस उत्पादन पर पूँजीवादी स्वामियों का अधिकार होता है।
सिडनी वैब और बी. वैब के अनुसार, "पूँजीवाद या पूँजीवादी प्रणाली शब्द का अर्थ उद्योगों तथा कानूनी संस्थाओं के विकास की उस अवस्था से है, जिसमें श्रमिकों का एक वर्ग अपने आपको उत्पादन साधनों के स्वामित्व से अलग पाता है और मजदूरी कमाने वाले वर्ग में सम्मिलित हो जाता हैं।
पूँजीवादी प्रणाली के गुण
1. स्वयं संचालित - पूँजीवाद की आर्थिक प्रणाली स्वयं संचालित होती है और उसमें किसी प्रकार के सरकारी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी संतुष्टि के अनुसार आर्थिक क्रियाओं को सम्पन्न करने का पूर्ण अधिकार होता है। व्यक्ति इस प्रणाली में स्वयं हित के उद्देश्य से क्रियाशील होता है और उसे अपनी इच्छानुसार अपनी आय और अपने साधनों को अपने स्वयं के विवेक से प्रयोग करने का पूर्ण अधिकार होता है। दूसरे शब्दों में पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली व्यक्तियों को आर्थिक स्वतन्त्रता प्रदान करती है, जो किसी अन्य आर्थिक प्रणाली में सम्भव नहीं है।
2. संसाधनों का अनुकूलन प्रयोग और उत्पादकता में वृद्धि - पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली में व्यक्तिगत लाभ को अधिकतम करने की चेष्टा आर्थिक स्वतन्त्रता एवं स्पर्धा जैसे घटक समाज के संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग सम्भव बनाते हैं। प्रतिस्पर्धा के कारण उन्नति के संसाधन कम लाभ वाले उत्पादन क्षेत्र से अधिक लाभ वाले उत्पादन क्षेत्र में स्वयं ही स्थानान्तरित होने लगते हैं, जिसके कारण संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग सम्भव हो पाता है।
3. उत्पादन में प्रोत्साहन - पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली प्रोत्साहनमूलक है, जिसके अन्तर्गत उत्पत्ति के क्रियाशील साधनों को यथेष्ट उत्साह प्रदान किया जाता है। उद्यमी के लिए उत्पादन का लाभ एक महत्वपूर्ण उत्साहमूलक तत्व है। इसके अतिरिक्त व्यक्तिगत लाभ का उद्देश्य जो पूँजीवाद की आधारभूत विशेषता है। एक सबल प्रोत्साहनमूलक तत्व है।
4. रहन-सहन के स्तर में सुधार - यदि पूँजीवादी प्रणाली पर आधारित अमेरिकी अर्थव्यवस्था के उदाहरण को लिया जाये तो यह स्वतः ही अनुभव किया जा सकता है कि अमेरिका के व्यक्तियों का रहन- सहन का स्तर पूँजीवाद के उद्गम के साथ ही विकसित होता रहा है। अमेरिका और अन्य पश्चिमी यूरोपीय पूँजीवादी देशों की आर्थिक प्रणाली व्यक्तिगत लाभ के उद्देश्य पर आधारित होने के कारण जनसंख्या वृद्धि के होते हुए भी व्यक्तियों की प्रति व्यक्ति आय और उनकी कार्यक्षमता में वृद्धि को सम्भव बनाती है।
5. तकनीकी विकास - पूँजीवादी आर्थिक प्रणाली में तकनीकी विकास की सम्भावनाएँ सदैव उपस्थित रहती हैं। इस प्रणाली में उत्पादक अधिकतम लाभ के उद्देश्य से सदैव नई-नई उत्पादन तकनीकों को विकसित करने के लिए प्रयास करता है और आविष्कार एवं अन्वेषण उसकी आर्थिक क्रियाओं का अभिन्न अंग बन जाते हैं।,
पूँजीवादी प्रणाली के दोष
1. सम्पत्ति एवं आय की असमानताएँ - पूँजीवाद की आर्थिक प्रणाली में आय और सम्पत्ति वितरण होता है जो समाज में सामाजिक एवं राजनीतिक असमानताएँ उत्पन्न करता है। आय की असमानताओं के कारण देश की सम्पत्ति और पूँजी का केन्द्रीकरण कुछ ही व्यक्तियों के हाथों में हो जाता है और समाज में गरीब और अमीर की खाई बढ़ जाती है। आय की यह असमानता समाज में एक असंतुलन उत्पन्न करती है और समाज दो वर्गों में बंट जाता है - सम्पन्न एवं विपन्न जिसके फलस्वरूप समाज में वर्ग-संघर्ष उत्पन्न होता है।
2. सामाजिक अशान्ति एवं वर्ग संघर्ष - पूँजीवादी आर्थिक आधार पर समाज का दो वर्गों में विभाजन होने के कारण सामाजिक शोषण उत्पन्न होता है जो वर्ग-संघर्ष का मार्ग प्रशस्त करता है पूँजीपतियों की लाभ में वृद्धि करने की लिप्सा उत्पादन प्रक्रिया को पूँजी गहन बना देती है। जिसके कारण श्रमिकों का स्थान पूँजीगत उपकरण ले लेते हैं। श्रमिकों का शोषण एवं असुरक्षता की भावना श्रमिकों को श्रम संघ के रूप में संगठित करती है. जिससे हड़ताल और तालाबंदी आरम्भ होती है जिसके परिणामस्वरूप उत्पादन में कमी आती है और साथ ही साथ सामाजिक अशान्ति उत्पन्न होती है।
3. एकाधिकारी प्रवृत्ति का उदय - पूँजीवादी प्रणाली में पूर्ण प्रतियोगिता की उपस्थिति अपरिहार्य होने के कारण एकाधिकारी प्रवृत्तियों का बढ़ना पूँजीवादी देशों की अर्थव्यवस्था में दृष्टिगोचर होता है। एकाधिकारी प्रवृत्तियों का बढना उत्पादकों के मध्य गलाकाट प्रतियोगिता का परिणाम है। जिसमें प्रत्येक उत्पादन अपने प्रतिद्वंद्वी को उत्पादन प्रक्रिया से बाहर निकालने एवं बाजार पर अधिक आधिपत्य स्थापित करने का प्रयास करता है।
4. पूर्ण रोजगार प्राप्त करने में असफल - स्पर्धात्मक आर्थिक प्रणाली में यह मान लिया गया है कि यह स्वयं संचालित होती है और पूर्ण रोजगार के बिन्दु को इस प्रणाली में सहज रूप से नहीं प्राप्त कर लिया जाता है।
5. अनियोजित उत्पादन - केन्द्रीकृत नियोजन की अनुपस्थिति के कारण पूँजीवादी प्रणाली में उत्पादन अनियोजित रहता है। स्पर्धा के कारण प्रत्येक उत्पादक अधिक से अधिक लाभ अर्जित करने का प्रयास करता है। जिसके कारण अर्थव्यवस्था में अति उत्पादन की दशा उपस्थित होती हैं और व्यापार चक्र उपस्थित होते हैं, जो अर्थव्यवस्था की असंतुलित दशाओं की सूचना देते हैं।
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- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
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- प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
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- प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
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- प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
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- प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
- प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।