बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन
प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
अथवा
समाजवाद क्या है। समाजवाद के तत्व बताइए।
अथवा
समाजवाद की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
समाजवाद
समाजवाद एक राजनीतिक और आर्थिक सिद्धान्त के रूप में सामने आया। जिसका उद्देश्य पूँजीवादी उत्पादन रीति को समाजवादी उत्पादन रीति से प्रतिस्थापन करके, पूँजीवाद को अधिक मानवीय और सामाजिक सार्थक विकल्प प्रदान करना है। समाजवाद ने पूँजीवाद के निजी स्वामित्व और प्रतिस्पर्धी मुक्त बाजार प्रणाली को समाज में सामाजिक असमानता के प्राथमिक कारण के रूप में माना और इसलिए राज्य द्वारा निर्देशित और संगठित एक केन्द्रित आर्थिक व्यवस्था की परिकल्पना की गई। इसलिए समाजवादी आर्थिक प्रणाली को सुनियोजित अर्थव्यवस्था या नियंत्रित अर्थव्यवस्था के रूप में भी जाना जाता है। समाजवाद के अनुसार चूंकि उत्पादन के साधन समग्र रूप से समाज के अधीन होते हैं। समाज में उत्पन्न होने वाली प्रत्येक वस्तु एक सामाजिक उत्पाद है और उत्पादन से प्राप्त मूल्य भी सामूहिक रूप से समाज से सम्बन्धित होते है। यह सिद्धान्त प्रत्येक की ओर से उसकी क्षमतानुसार से प्रत्येक के लिए उसकी आवश्यकतानुसार है।
डैनियल डे लियोन के अनुसार, "समाजवाद एक ऐसी सामाजिक प्रणाली हैं जिसके अन्तर्गत उत्पादन की आवश्यक वस्तुएँ, लोगों के स्वामित्व में होती हैं और नियन्त्रित एवं प्रशासित भी लोगों द्वारा ही होती हैं।'
मारिस डाब के अनुसार, "समाजवाद की आधारभूत विशेषता यह है कि इससे सम्पन्न वर्ग की सम्पत्ति का अधिग्रहण एवं भूमि तथा पूँजी का समाजीकरण करके उन वर्ग सम्बन्धों को समाप्त कर दिया जाता है जो पूँजीवादी उत्पादन के आधार हैं।
समाजवाद की विशेषताएँ या लक्षण
एक समाजवादी आर्थिक प्रणाली में पाए जाने वाले लक्षण एवं विशेषताएँ निम्न हैं-
1. उत्पत्ति के साधनों पर सामूहिक एवं सामाजिक स्वामित्व - समाजवाद की यह एक मुख्य विशेषताओं में से एक है कि समाजवादी आर्थिक प्रणाली में उत्पत्ति के साधनों पर व्यक्तिगत स्वामित्व नहीं होता बल्कि समाज का सामूहिक स्वामित्व होता है। इस प्रकार समाजवाद में राज्य का अधिक से अधिक व्यक्तियों का हित करना होता है।
2. उत्पादन एवं वितरण क्रियाएँ राज्य द्वारा सम्पादित की जाती हैं - समाजवादी आर्थिक प्रणाली में उत्पादन एवं वितरण की क्रियाएँ राज्य द्वारा ही सम्पादित की जाती हैं। क्या उत्पादन होगा? कितना होगा? और कैसे होगा तथा उत्पादन का समाज में किस प्रकार वितरण करना हैं, से सम्बन्धी सभी निर्णय समाजवादी व्यवस्था में सरकार स्वयं अधिकतम सामाजिक कल्याण की भावना के आधार पर करती है।
3. निजी सम्पत्ति का अति सीमित अधिकार - उत्पत्ति के सभी साधनों पर राज्य के स्वामित्व का यह मतलब नहीं कि समाजवाद में निजी संपत्ति का अधिकार पूर्णतः नगण्य होता है। समाजवादी अर्थव्यवस्था में निजी सम्पत्तियों के अधिकार का सीमित अस्तित्व तो होता है किन्तु इस सम्पत्ति का प्रयोग धनोपार्जन के लिए नहीं किया जा सकता।
4. एक केन्द्रीकृत नियोजन सत्ता - समाजवादी आर्थिक प्रणाली में आर्थिक क्रियाओं का संचालन करने के लिए एक केन्द्रीकृत नियोजन सत्ता गठित की जाती है। यह केन्द्रीकृत सत्ता उत्पादन एवं वितरण सम्बन्धी महत्वपूर्ण फैसले अधिकतर सामाजिक कल्याण की भावना के आधार पर करती है।
5. कीमत संयंत्र की गौण भूमिका - पूँजीवादी की तरह समाजवाद में कीमतों का निर्धारण कीमत संयंत्र द्वारा नहीं किया जाता वरन सरकार स्वयं अपने अनुभव के आधार पर कीमत निर्धारित करती है। आर्थिक क्रियाओं के लिए लेख कीमतों का प्रयोग किया जाता है। जिसका निर्धारण सरकार स्वयं उत्पादन लागत एवं सामाजिक हित को ध्यान में रखकर करती है।
6. शोषण का अन्त - समाजवादी आर्थिक प्रणाली में उत्पत्ति के साधनों पर सामाजिक स्वामित्व होने के कारण न्यूनतम आर्थिक विषमताएँ होती हैं। जिसके फलस्वरूप समाज का दो वर्गों सम्पन्न वर्ग एवं विपन्न वर्ग में विभाजन नहीं होता है। साथ ही वितरण व्यवस्था पर सरकार का स्वामित्व होता है, जिसके कारण मानव द्वारा मानव के शोषण की संम्भावना समाप्त हो जाती है।
7. प्रतियोगिता का अन्त - समाजवादी आर्थिक प्रणाली में उत्पादन एवं वितरण दोनों पर सरकार का अधिकार एवं नियंत्रण होने के कारण पारस्परिक प्रतियोगिता की कोई संभावना नहीं रह जाती है। सरकार द्वारा स्वयं उत्पादन का क्षेत्र, उत्पादन मात्रा तथा वस्तु कीमत निर्धारित किए जाने के कारण समाजवाद में प्रतियोगितां उत्पन्न ही नहीं हो पाती जिसके कारण प्रतियोगिता पर होने वाला व्यय समाजवाद में समाप्त हो जाता है।
समाजवाद के प्रमुख तत्व
1. एक समष्टि प्रधान दर्शन - समाजवाद एक समष्टि प्रधान दर्शन या विचारधारा है जो व्यक्ति की अपेक्षा समाज को अधिक महत्व देती है। अतः यह वैयक्तिक हितों को सामाजिक हितों के अधीन करने पर बल देती है। यह सामाजिक हित व समानता को अपना आदर्श स्वीकार करता है।
2. स्वतंत्रता बन्धनों का अभाव - समाजवाद स्वतंत्रता को बन्धनों का अभाव नहीं मानता। इसके अनुसार स्वतंत्रता से तात्पर्य व्यक्ति को दिये गये अवसरों से है। जिनका उपयोग कर व्यक्ति के भौतिक व नैतिक जीवन का उत्थान हो सके।
3. पूँजीवाद का अन्त करना - समाजवाद पूँजीवाद को समाप्त करना अपना लक्ष्य मानता है, जिससे कि व्यक्ति को न्याय, समानता व स्वतंत्रता सुलभ हो सके। समाजवाद का मानना है, कि पूँजीवाद व्यक्तिवाद का व्यावहारिक परिणाम है और पूँजीवाद की शोषण व्यवस्था के विरुद्ध समाजवादी दर्शन की उत्पत्ति हुई, इसलिए समाजवाद का लक्ष्य है पूँजीवाद का अन्त और सामाजिक न्याय की स्थापना करना।
4. राज्य एक अभिभावक संस्था - समाजवाद राज्य को आवश्यक बुराई नहीं मानता और न ही न्यूनतम राज्य की अवधारणा को स्वीकार करता है। यह राज्य को व्यक्ति के लिए हितकारी संस्था मानता है। समाजवादियों का मानना है कि राज्य जनता के हितों की अभिभावक संस्था है। जिसके सक्रिय नेतृत्व एवं योगदान के द्वारा आर्थिक जीवन की उन्नति की जा सकती है। समाजवाद राज्य को लोकतांत्रिक रूप से गठित कर उसे न्यायपूर्ण वितरण तथा उत्पादन प्रणाली का व्यवस्थापक बनाने की योजना प्रस्तुत करना है।
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- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
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- प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
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- प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
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- प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
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- प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
- प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
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- प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
- प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।