बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन
प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
अथवा
अमेरिका का सीनेट विश्व के उच्च सदनों में सबसे अधिक शक्तिशाली है। विवेचना कीजिए तथा कारण बताइये।
सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. अमेरिकी सीनेट विश्व के उच्च सदनों में सबसे शक्तिशाली है, स्पष्ट कीजिए।
2. अमेरिकी सीनेट के चुनाव प्रणाली पर प्रकाश डालिए।
3. फिलिबस्टर से आप क्या समझते हैं?
4. सीनेट के प्रमुख कार्य क्या-क्या हैं? 5. सीनेट की महत्ता पर प्रकाश डालिए।
अथवा
अमेरिका में सीनेट, राष्ट्रपति को कैसे नियंत्रित करती है?
उत्तर -
सीनेट कांग्रेस का द्वितीय व उच्च सदन - अमेरिकी व्यवस्थापिका का द्वितीय व उच्च सदन सीनेट है जो प्रतिनिधि सभा की उपेक्षा अधिक महत्वपूर्ण व शक्तिशाली है। वास्तव में कहा जाता है कि सीनेट विश्व का सर्वाधिक शक्तिशाली उच्च सदन है। यह एक ऐसी संस्था है जो निरन्तर रहती है। राष्ट्रपति तो आते व जाते हैं दो वर्ष पश्चात् प्रतिनिधि सभा का कार्यकाल भी पूर्ण हो जाता है किन्तु सीनेट सदैव रहता है।
संगठन - सीनेट कांग्रेस के राज्यों का सीधा प्रतिनिधित्व करता है। प्रारम्भ में सीनेट 13 राज्यों के आधार पर सदस्य संख्या 26 थी किन्तु अब संयुक्त राज्य अमेरिका के 51 राज्यों के आधार पर सदस्य संख्या 102 है। प्रत्येक राज्य से दो प्रतिनिधि सीनेट सदस्य के रूप में लिये जाते हैं।
सदस्यों की योग्यतायें - सीनेट का सदस्य बनने के लिए निम्न योयताओं का होना आवश्यक है -
1. वह अमेरिका का नागरिक हो तथा उस राज्य का निवासी हो जहाँ से सीनेट सदस्यता का प्रत्याशी होना चाहता है।
2. वह 30 वर्ष की आयु पूरी कर चुका हो।
3. वह कम से कम पिछले 9 वर्षों से अमेरिका में निवास करता हो।
चुनाव - संविधान निर्माण के समय यह व्यवस्था की गई थी कि सीनेट के सदस्यों का चनाव अप्रत्यक्ष विधि से राज्य के विधानमंडल द्वारा किया जायेगा। किन्तु धीरे-धीरे इस व्यवस्था में अनेक दोष सामने आने लगे। निर्वाचन में भ्रष्ट साधनों, लालचों, रिश्वत आदि का प्रयोग होने लगा। फलस्वरूप सीनेट सदस्यों का क्रय-विक्रय प्रारम्भ हो गया, जिससे सीनेट की गरिमा को गहरा धक्का लगा। सीनेट सदस्यों के जनता द्वारा प्रत्यक्ष चुनाव की व्यवस्था की गयी। यह वर्तमान में पदमात्र ऐसा उच्च सदन है जिसके सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से उस राज्य की जनता द्वारा होता है, जहाँ का वह प्रतिनिधित्व कर रहा है। राज्य को दो निर्वाचन क्षेत्रों में बांट दिया जाता है। प्रत्येक मतदाता उस राज्य से दो सीनेटरों का चुनाव करता है।
कार्यकाल - सीनेट एक स्थायी सदन है। इसका विघटन कभी नहीं होता है। प्रत्येक सदस्य 6 वर्ष के लिए चुना जाता है। प्रत्येक दो वर्ष पश्चात् 1/3 (एक तिहाई ) सदस्य अवकाश ग्रहण करते हैं। इस प्रकार प्रत्येक तीसरे वर्ष रिक्त हुए स्थानों पर पुनर्निर्वाचन की व्यवस्था है। एक सदस्य अनेक बार चुनाव लड़ सकता है, प्रतिनिधि पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
उपस्थिति एवं गणपूर्ति - सीनेट की बैठकों के लिए कुछ सदस्य संख्या की बहुमत उपस्थिति आवश्यक होती है। 1933 में पारित 20 वें संविधान संशोधन के प्रावधानों के अनुसार कांग्रेस का अधिवेशन 3 जनवरी को दोपहर से प्रारम्भ होता है तथा सामान्यतः जुलाई माह तक चलता है। प्रतिनिधि सभा तथा सीनेट दोनों ही सदस्यों का अधिवेशन साधारणतः साथ-साथ प्रारम्भ तथा साथ-साथ समाप्त होता है। यदि सदन के स्थगन का प्रस्ताव समय से पूर्व ही पारित हो जाता है तो सदन की बैठक पहले भी समाप्त की जा सकती है।
सीनेट का सभापति तथा अन्य अधिकारी - भारतीय संविधान की भांति संयुक्त राज्य अमेरिका उपराष्ट्रपति सीनेट का पदेन सभापति' होता है। सभापति दलगत राजनीति से ऊपर उठकर होता है। वह न तो सीनेट का सदस्य होता है और न ही बहुमत दल से कोई संबंध रखता है। सभापति का पद ष्पक्ष एवं गंभीर माना जाता है। वह केवल 'निर्णायक मत' देने का अधिकार रखता है वह भी केवल उस रेस्थिति में जब किसी विषय पर समान मत विभाजन हो जाये। सदन की कार्यवाही चलाने, सदन में अ शासन बनाये रखने संबंधी सभी अधिकार सभापति को प्राप्त है।
फिलिबस्टर - सीनेट की एक महत्वपूर्ण प्रथा फिलिबस्टर है। इस प्रथा के अंतर्गत कोई सदस्य सरकारी कामकाजों में रुकावट डालने के दृष्टिकोण से अनिश्चितकाल तक बोलता रहता है। चूँकि सीनेट में भाषण के समय की अवधि की कोई सीमा निर्धारित नहीं है अतः सदस्य फिलिबस्टर के माध्यम से इसका दुरुपयोग करते हैं। सदन यदि चाहता तो प्रस्ताव पास करके इसे रोका जा सकता था, किन्तु सदन ने ऐसा नहीं किया।
राष्ट्रपति विल्सन ने बुराई के विरोध में कहा, 'हठी व्यक्तियों का कोई भी एक छोटा गुट संयुक्त राज्य की महान सरकार को तुच्छ व असहाय बना सकता है।
सामयिक अध्यक्ष - सीनेट को अपना सामयिक अध्यक्ष चुनने का अधिकार होता है। व्यावहारिक रूप में वह बहुमत दलों का मनोनीत सदस्य होता है। सभापति, उपराष्ट्रपति की अनुपस्थिति में वह सदन की अध्यक्षता करता है। सदन का सदस्य होने के कारण अध्यक्षता करते हुए भी वह सदन की कार्यवाही में भाग लेने का तथा मत देने का अधिकार रखता है। सीनेट में बहुमत दल का नेता, दल सचेतक, सचिव, सदन का लिपिक आदि अन्य पदाधिकारी होते हैं।
सीनेट के कार्य और शक्तियाँ - फिलाडोल्फिया सम्मेलन के सदस्यों द्वारा अमेरिका संविधान का निर्माण करते समय शक्तियों के पृथक्करण सिद्धान्त के साथ-साथ नियंत्रण और संतुलन के सिद्धान्त को अपनाया गया था और संविधान निर्माताओं का विचार था कि सीनेट को राष्ट्रपति पर अंकुश रखने वाली संस्था बनाया जाये और यह प्रतिनिधि सभा की असावधानी से प्रयुक्त शक्तियों को भी नियंत्रित करे। सीनेट के कार्य और शक्तियों को निम्नलिखित शीर्षकों में बांटा जा सकता है -
1. कानून निर्माण सम्बन्धी शक्तियाँ - प्रायः संसार के लोकतांत्रिक देशों मंा वित्तीय सदन को गौप स्थान प्राप्त होता है। परन्तु अमेरिका के सीनेट के विषय में ऐसा नहीं कहा जा सकता। सीनेट की नियुक्तियों के बारे में प्रतिनिधि सभा से अधिक शक्तियाँ प्राप्त हैं। मुनरो के शब्दों में, "यह कांग्रेस की एक समा पदी शाखा है अधीन नहीं है और निम्न सदन के साथ राष्ट्रीय कानून निर्माण के कार्य में साझीदार है। सीनेट की कानून निर्माण संबंधी शक्तियों का विवेचन साधारण विधेयकों, संवैधानिक विधेयकों और वित्त विधेयकों के संबंध में पृथक-पृथक किया जा सकता है। कोई भी साधारण विधेयक तभी पास समझा जाता है जबकि कांग्रेस के दोनों सदन पास कर दें।
वित्तीय विधेयक अथवा धन विधेयक - ये सबसे पहले केवल प्रतिनिधि सदन में ही आरम्भ हो सकते हैं। प्रतिनिधि सदन जब उनको पास कर देता है, तो वे सीनेट के पास जाते हैं। सीनेट इन विधेयकों का शीर्षक बदलने के अतिरिक्त उनमें अन्य किसी प्रकार का परिवर्तन कर सकता है। सीनेट की वित्तीय मामलों में भी शक्तियाँ प्रतिनिधि सदन के ही बराबर है।
2. कार्यपालिका शक्तियाँ - सीनेट को राष्ट्रपति पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए दो अत्यन्त महत्वपूर्ण शक्तियाँ हैं, पहली शक्ति है, नियुक्तियों का पुष्टिकरण और दूसरी शक्ति है, संधियों का पुष्टिकरण। राष्ट्रपति मुख्यतः दो प्रकार की नियुक्तियाँ करता है
(i) प्रथम - वे नियुक्तियाँ जो राष्ट्रीय स्तर की होती हैं जैसे मंत्रिमंडल के सदस्य, राजदूत, उच्च सैनिक अधिकारी आदि होते हैं। सीनेट इन राष्ट्रीय स्तर की नियुक्तियों को साधारणतया बिना किसी हस्तक्षेप के स्वीकार कर लेता है।
(ii) द्वितीय - प्रकार की वे नियुक्तियाँ होती हैं जो संघ द्वारा की जाती हैं किन्तु उनकी सेवा विभिन्न राज्यों में होती हैं। ऐसे अधिकारियों में जिला न्यायाधीश, पोस्टमास्टरों के कुछ वर्ग आदि सम्मिलित हैं। इन नियुक्तियों में सीनेट का परामर्श आवश्यक है तथा सीनेटोरियल शिष्टाचार की प्रथा का पालन होना चाहिए।
3. राष्ट्रपति द्वारा विदेशों से की गयी संधियों के संबंध में - सीनेट को राष्ट्रपति द्वारा की गई संधियों के पुष्टिकरण अथवा अस्वीकृत करने की शक्ति प्राप्त है। राष्ट्रपति द्वारा की गयी वैदेशिक संधि का सीनेट द्वारा 2/3 बहुमत से पारित होना आवश्यक है। 1911-12 में टैफ्टनोक्स निर्वाचन संधि 1991 में वार्साय संधि सीनेट द्वारा अस्वीकृत की गयी थी। सीनेट द्वारा संधि अस्वीकृत न हो इसलिए राष्ट्रपति वैदेशिक संधि सीनेट की वैदेशिक संबंध समिति से परामर्श के बाद करता है। सीनेट की इस शक्ति के संबंध में प्रो. लॉस्की का कथन नितान्त सत्य प्रतीत है कि, "अंतर्राष्ट्रीय मामलों में प्रभाव रखने के नाते विश्व की कोई भी विधानसभा सीनेट का मुकाबला नहीं कर सकती है।
4. न्यायिक शक्तियाँ - न्यायिक क्षेत्र में सीनेट को प्रभावशाली शक्ति प्राप्त है। सीनेट को महाभियोग की शक्ति प्राप्त है। राष्ट्रपति के विरुद्ध महाभियोग तभी पारित समझा जाता है, जब सीनेट से कम से कम 2/3 बहुमत से पास कर दे।
सीनेट को प्रशासन के बहुत से कार्यों की जांच पड़ताल करने के लिए जांच समितियाँ निय करने का अधिकार है। ये समितियाँ जाँच के दौरान गवाहियाँ ले सकती हैं तथा रिकार्ड भी देख सकती हैं संबंधित अधिकारियों व नागरिकों से प्रश्न भी पूछ सकती है।
5. चुनाव संबंधी कार्य - सीनेट राष्ट्रपति तथा उपराष्ट्रपति के चुनाव में डाले गये मतों की गिनती करता है और परिणामों की घोषणा करता है। यदि उपराष्ट्रपति के पद हेतु किसी भी उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत प्राप्त न हो तो सीनेट पहले दो उम्मीदवारों में से एक उपराष्ट्रपति चुन सकता है। इस हेतु प्रत्येक सीनेटर एक मत होता है। जिस उम्मीदवार को पूर्ण बहुमत प्राप्त होता है, वह उपराष्ट्रपति घोषित कर दिया जाता है।
उपरोक्त के अतिरिक्त सीनेट संविधान के संशोधन में भी भागीदार होता है। वह प्रतिनिधि सभा के साथ मिलकर संविधान संशोधन का प्रस्ताव रख सकता है। सीनेट को प्रतिनिधि सदन के साथ मिलकर युद्ध तथा शान्ति की घोषणा करने का अधिकार भी प्राप्त है।
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- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति का अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति के अध्ययन क्षेत्र की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रकृति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलनात्मक राजनीति और तुलनात्मक सरकार में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- उदार लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- पूँजीवाद से आप क्या समझते हैं, इसके गुण-दोष क्या हैं?
- प्रश्न- समाजवादी राज्य क्या है, इसकी कार्यप्रणाली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- समाजवाद की परिभाषा दीजिए। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- उपनिवेशवाद क्या है? इसकी विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- विकासशील देशों में राज्य की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों से क्या अभिप्राय है? इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों कानून से किस प्रकार भिन्न हैं? प्रमुख अभिसमयों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों का पालन क्यों होता है? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- राजपद से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी शक्तियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- राजा एवं राजपद अन्तर को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मन्त्रिमण्डलात्मक प्रणाली का उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मन्त्रिमंडल के संगठन एवं मंत्रिमण्डल व्यवस्था की विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मन्त्रिमंडल के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- बिटिश प्रधानमंत्री सारे शासन तंत्र की धुरी है।' इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन की सम्प्रभुता की विवेचना कीजिए तथा इस प्रभुसत्ता की सीमाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड सभा की रचना कार्यों व उनकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- इंग्लैंड की समिति प्रणाली के बारे में आप क्या जानते हैं? इसके कितने प्रकार होते हैं?
- प्रश्न- कामन्स सभा क्या है? इसके संगठन एवं पदाधिकारियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कामन्स सभा की शक्तियों, कार्यों एवं व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कामन सभा के स्पीकर एवं उसकी शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश समिति व्यवस्था की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में विधेयकों का वर्गीकरण कीजिए एवं व्यवस्थापन प्रक्रिया पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश न्यायपालिका के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश न्याय व्यवस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- विधि का शासन ब्रिटिश संविधान का एक विशिष्ट लक्षण है। इस कथन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दलों से क्या तात्पर्य है? राजनीतिक दलों की भूमिका एवं महत्व को समझाइये।
- प्रश्न- राजनीतिक दल प्रणाली के विभिन्न रूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ग्रेट ब्रिटेन में राजनीतिक दलों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश दल पद्धति की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रूढ़ियों के महत्व का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के ऐतिहासिक कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल की कानूनी स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मन्त्रिमंडल का ब्रिटिश की संवैधानिक व्यवस्था में क्या महत्व है?
- प्रश्न- मंत्रिमंडल की महत्ता के औचित्य को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल की महत्ता के कारण बताइये।
- प्रश्न- लार्ड सभा ने सुधार के क्या प्रयास किये?
- प्रश्न- क्या ग्रेट ब्रिटेन में संसद संप्रभु है?
- प्रश्न- 'संसदीय प्रभुता' के सिद्धान्त का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- विपक्षी दल की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड सभा एवं प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश कानून कितने प्रकार से प्रयोग में लाये जाते हैं?
- प्रश्न- राजनीतिक दलों के कार्यों का विवेचनात्मक वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजनीतिक दल मतदाताओं में अपना समर्थन बढाने के लिये कौन-कौन से साधनों का प्रयोग करते हैं।
- प्रश्न- ब्रिटेन तथा फ्राँस की दलीय प्रणाली का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका के राष्ट्रपति के कार्यों, शक्तियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति की वृद्धि एवं उसके कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- अमेरिकी व ब्रिटिश मंत्रिमंडल की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश संप्रभु (क्राउन) प्रधानमंत्री तथा अमेरिकी राष्ट्रपति की तुलनात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका के सीनेट के गठन, उसकी शक्ति एवं कार्यों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिनिधि सभा के संगठन, शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका का उच्चतम न्यायालय व्यवस्थापिका का तृतीय सदन बनता जा रहा है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च के महत्व का विस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- न्यायिक पुनर्निरीक्षण से आप क्या समझते हैं? अमेरिका के उच्चतम न्यायालय के संदर्भ में इसकी व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सर्वोच्च न्यायालय की कार्य-प्रणाली का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय के गठन का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अमेरिका के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति तथा भारत के सर्वोच्च न्यायालय की न्यायिक पुनरावलोकन की शक्ति में क्या अन्तर है?
- प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- अमेरिका तथा ब्रिटेन के राजनीतिक दलों की समानता और असमानताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दबाव अथवा हित समूह से आप क्या समझते हैं? दबाव समूह के प्रमुख लक्षण एवं साधनों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- संयुक्त राज्य अमरीका के संविधान की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- अमेरिकी राष्ट्रपति को दलीय अथवा राष्ट्रीय नेता के रूप में पर टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- राष्ट्रपति एवं मन्त्रिमण्डल के सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जैरीमैण्डरिंग पर संछिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- यू. एस. ए. 'सीनेट की शिष्टता' का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों की कमियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अमरीका और इंग्लैण्ड की दल- प्रणाली की तुलना कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका के राजनीतिक दलों की कार्य प्रणाली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- माओवाद क्या है? माओवाद के प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- कन्फ्यूशियसवाद क्या है? इसके प्रमुख सिद्धान्त कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- चीनी विधानमंडल राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस के गठन, शक्ति एवं कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति के बारे में आप क्या जानते हंत उसकी शक्ति एवं कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्थायी समिति की शक्तियों एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनवादी चीन के राष्ट्रपति के कार्यों एवं अधिकारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चीन में न्याय व्यवस्था की प्रमुख विशेषतायें बताते हुये न्यायपालिका के संगठन एवं उसकी शक्तियों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल के संगठन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनवादी चीन में साम्यवादी दल की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- एक देश दो प्रणाली नीति से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की स्थायी समिति पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- राष्ट्रीय जनवादी कांग्रेस की वास्तविक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चीन में कांग्रेस के सदस्यों के अधिकारों एवं दायित्वों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चीन राज्य परिषद के गठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- चीन के सैनिक केन्द्रीय आयोग पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की वास्तविक स्थिति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- चीन के राज्य परिषद की शक्ति एवं कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- जनवादी चीन में प्रोक्यूरेटोरेट पद की व्यवस्था का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के वर्तमान संविधान की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड के संविधान की संशोधन प्रकिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्रत्यक्ष लोकतन्त्र से आप क्या समझते हैं? स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष लोकतन्त्र की सफलता के कारणों को इंगित कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैण्ड में प्रत्यक्ष प्रजातन्त्र की कार्यप्रणाली का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्विट्जरलैंड की कार्यपालिका के बारे में बताइये।
- प्रश्न- स्विस व्यवस्थापिका के बारे में बताइये।