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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2789
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में प्रतिनिध्यात्मक उपागम का विस्तार से वर्णन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. प्रतिनिध्यात्मक उपागम से आप क्या समझते हैं।
2. प्रतिनिध्यात्मक विधि से आप क्या समझते है?
3. प्रतिनिध्यात्मकं उपागम की उपयोगिता का वर्णन कीजिए।
4.प्रतिनिध्यात्मक उपागम की सीमाओं का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

मानव विकास का प्रतिनिध्यात्मक उपागम
(Cross-Sectional Approach
of Human Development)

प्रतिनिध्यात्मक उपागम (cross-sectional approach) के अन्तर्गत विभिन्न अवस्थाओं के बालकों के बड़े-बड़े समूहों का प्रायः एक ही समय निरीक्षण किया जाता है और प्राप्त परिणामों के औसत मान की उस अवस्था का प्रतिमान या नॉर्म (Norm) समझा जाता है। उदाहरणार्थ, यदि हमें जानना हो कि विभिन्न अवस्थाओं के बालकों को कितने शब्दों की जानकारी होती है तो इसके लिए हम चार, छः, आठ, दस एवं बारह वर्ष के बालकों के अलग-अलग समूह लेकर प्रत्येक अवस्था के बालकों में पाये जाने वाले शब्द भण्डार का पता लगाते हैं। प्रत्येक समूह के बालकों द्वारा प्राप्त अंकों का औसत उस आयु वर्ग के बालकों के लिए मानक (Norm) माना जाता है।

प्रतिनिध्यात्मक उपागम को समकालीन उपागम के नाम से भी जाना जाता है। इस उपागम द्वारा विकास की प्रक्रिया का अध्ययन करने के लिए विभिन्न आयु या स्तरों के बालकों का चयन किया जाता है तथा उनमें हुए विकासों का तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है। इस उपागम को परिभाषित करते हुए-

जुबेक एवं सालबर्ग (Zubek and Solberg, 1954) ने लिखा है - "सर्वेक्षण के समय विभिन्न आयु समूहों का प्रतिनिधित्व करने वाले व्यक्तियों के समूह से प्रदत्त प्राप्त करना प्रतिनिधित्यात्मक उपागम कहा जाता है।'

"Cross Sectional studies gather from group of individuals who represent the different age group at the time of each survey in made."  -Jubek and Solberg (1954)

हरलॉक (Hurlock, 1975) के अनुसार - "विकासात्मक प्रक्रिया पर जितने अध्ययन हुए हैं उनमें अधिकांश प्रतिनिध्यात्मक उपागम के आधार पर किये गये हैं। जब विकास की विभिन्न अवस्थाओं में किसी निश्चित योग्यता का मापन किया जाता है तो उसे प्रतिनिध्यात्मक अध्ययन कहते हैं ।'

केली (Kelley, 1955) ने - अपने अध्ययनों के आधार पर प्रतिनिध्यात्मक उपागम के विकास में लिखा है कि, "प्रतिनिध्यात्मक उपागम के द्वारा विभिन्न आयु समूहों (Age groups ) के लिए प्राप्त प्रदत्त अत्यधिक उत्साहवर्धक (Provocative) होते हैं। परन्तु दुर्भाग्य से इन प्रदत्तों द्वारा विकासात्मक विशेषताओं (Developmental trends ) या अन्तः वैयक्तिक विचरणशीलता. (Intra-individual variability) के बारे में ठोस निर्णय नहीं लिये जा सकते हैं ।'

इसके कारणों की व्याख्या करते हुए बाटविनिक (Botwinick, 1977) ने कहा है कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि प्रतिनिध्यात्मक उपागम के द्वारा विकास के लिए निश्चित बिन्दु या अवस्था ( specific point of development ) के बारे में ही सूचना प्राप्त होती है, विकास की सम्पूर्ण प्रक्रिया की जानकारी नहीं प्राप्त होती है। इस उपागम की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें थोड़े समय में ही विभिन्न बाल समूहों का अध्ययन किया जा सकता है इसलिए उसे अगली अवस्था की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता नहीं होती है अतः कम समय, धन एवं श्रम का उपयोग करके अभीष्ट परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। इसके अतिरिक्त इस उपागम के द्वारा बड़े-बड़े बाल समूहों का अध्ययन एक साथ करके अल्प समय में ही प्रत्येक अवस्था के लिए विकासात्मक प्रतिमानों (Developmental Norms) की स्थापना की जा सकती है।

प्रतिनिध्यात्मक उपागम की उपयोगिता
(Utility of Cross-Sectional Approach)

प्रतिनिध्यात्मक उपागम की उपयोगितायें निम्नलिखित हैं-

1. इस उपागम के द्वारा कम समय में अधिक से अधिक व्यक्तियों का अध्ययन किया जा सकता है।

2. इस उपागम के द्वारा अध्ययन करने पर प्रदत्तों के संग्रह में कम धन खर्च होता है।

3. इस उपागम के द्वारा विकासात्मक प्रक्रिया का एक निश्चित समय में विभिन्न वर्गों को लेकर तुलनात्मक अध्ययन किया जा सकता है ।

4. इस उपागम के द्वारा प्रक्रिया (Growth Process) के बारे में महत्वपूर्ण सूचना प्राप्त होती है । -एण्डरसन (Anderson, 1954) ।

5. इस उपागम द्वारा प्राप्त प्रदत्तों के आधार पर मानक (Norms) निर्मित करके अन्य लोगों की क्षमताओं एवं कार्यो की तुलना की जा सकती है।

6. प्रतिनिध्यात्मक उपागम के द्वारा अध्ययन करने पर एक समरूपी प्रतिदर्श प्राप्त हो जाता है, जिसके कारण अध्ययन अवधि में सभी प्रयोज्य प्रारम्भ से अन्त तक अध्ययन के लिए उपलब्ध रहते हैं, उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता है।

7. इस उपागम की सबसे बड़ी उपयोगिता यह है कि यदि क्रमिक आयु वर्गों (Successive ages) के प्रतिदर्शों पर प्रदत्त प्राप्त हो जाते हैं तो अन्य बालकों के विकासात्मक प्रतिमानों की तुलना के लिये मापनी (scale) तैयार की जा सकती है। इस प्रकार किसी भी बालक की क्षमता की तुलना उसके समान स्तर (Equal level), उच्च स्तर (Higher level) तथा निम्न स्तर (Lower level) बालकों से करके मात्रात्मक परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं।

8. इस उपागम के सम्बन्ध में टर्मन एवं मेरिल का विचार है कि उपयुक्त प्रतिदर्श (Adequate Sample) प्राप्त हो जाने से बालकों के विकास के मूल्यांकन एवं निर्देशन के लिए महत्वपूर्ण मापनियाँ बनायी जा सकती हैं।

प्रतिनिध्यात्मक उपागम की सीमायें
(Limitations of Cross Sectional Approach)

प्रतिनिध्यात्मक उपागम की सीमायें निम्नलिखित हैं-

1. प्रतिनिध्यात्मक उपागम द्वारा विकास के एक निश्चित बिन्दु (Specific point of development ) के बारे में ही जानकारी मिलती है न कि सम्पूर्ण विकास के बारे में। -केली (Kelly 1955)

2. हरलॉक (Hurlock, 1975) के अनुसार - विकास की अन्तः वैयक्तिक विचरणशीलता ( Intra individual variability of development) तथा विकासात्मक प्रतिमानों या विशेषताओं ( Developmental trends ) के बारे में इस विधि से कोई ठोस निर्णय नहीं लिये जा सकते हैं।

3. विभिन्न आयु स्तरों के अध्ययन के लिए पूर्णतया समतुल्य प्रतिदर्शों का मिलना कठिन है। -होता ओवेन्स (Owens, 1953)

4. हरलॉक (Hurlock, 1974) तथा एण्डरसन (Auderson, 1956) का विचार हैं कि प्रतिदर्शों का सांस्कृतिक परिवेश (Cultural Context ) असमान होता है। इस असमानता का शारीरिक एवं मानसिक विकास पर प्रभाव पड़ता है। इस उपागम में सांस्कृतिक असमानता को नियंत्रित करना कठिन है और इसे नियंत्रित किये बिना विश्वसनीय परिणाम प्राप्त नहीं किये जा सकते हैं।

5. इस उपागम के द्वारा बालकों की क्षमताओं एवं उपलब्धियों के संचयी विवरण (Cumulative records) प्राप्त करना सम्भव नहीं है।

6. इस उपागम के द्वारा दो बालकों के मध्य समानता एवं भिन्नता का अध्ययन सम्भव नहीं है। 

7. इस उपागम द्वारा न तो बालक के विकास की गति ( rate of development) की जानकारी मिलती है और न ही उसके विकास की पूरी तस्वीर ही उभर कर सामने आ पाती है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- मानव विकास को परिभाषित करते हुए इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- विकास सम्प्रत्यय की व्याख्या कीजिए तथा इसके मुख्य नियमों को समझाइए।
  3. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में अनुदैर्ध्य उपागम का वर्णन कीजिए तथा इसकी उपयोगिता व सीमायें बताइये।
  4. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में प्रतिनिध्यात्मक उपागम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में निरीक्षण विधि का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  6. प्रश्न- व्यक्तित्व इतिहास विधि के गुण व सीमाओं को लिखिए।
  7. प्रश्न- मानव विकास में मनोविज्ञान की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  8. प्रश्न- मानव विकास क्या है?
  9. प्रश्न- मानव विकास की विभिन्न अवस्थाएँ बताइये।
  10. प्रश्न- मानव विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों का वर्णन कीजिए।
  11. प्रश्न- मानव विकास के अध्ययन की व्यक्ति इतिहास विधि का वर्णन कीजिए
  12. प्रश्न- विकासात्मक अध्ययनों में वैयक्तिक अध्ययन विधि के महत्व पर प्रकाश डालिए?
  13. प्रश्न- चरित्र-लेखन विधि (Biographic method) पर प्रकाश डालिए ।
  14. प्रश्न- मानव विकास के सम्बन्ध में सीक्वेंशियल उपागम की व्याख्या कीजिए ।
  15. प्रश्न- प्रारम्भिक बाल्यावस्था के विकासात्मक संकृत्य पर टिप्पणी लिखिये।
  16. प्रश्न- गर्भकालीन विकास की विभिन्न अवस्थाएँ कौन-सी है ? समझाइए ।
  17. प्रश्न- गर्भकालीन विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से है। विस्तार में समझाइए।
  18. प्रश्न- नवजात शिशु अथवा 'नियोनेट' की संवेदनशीलता का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- क्रियात्मक विकास से आप क्या समझते है ? क्रियात्मक विकास का महत्व बताइये ।
  20. प्रश्न- क्रियात्मक विकास की विशेषताओं पर टिप्पणी कीजिए।
  21. प्रश्न- क्रियात्मक विकास का अर्थ एवं बालक के जीवन में इसका महत्व बताइये ।
  22. प्रश्न- संक्षेप में बताइये क्रियात्मक विकास का जीवन में क्या महत्व है ?
  23. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को प्रभावित करने वाले तत्व कौन-कौन से है ?
  24. प्रश्न- क्रियात्मक विकास को परिभाषित कीजिए।
  25. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल के क्या उद्देश्य हैं ?
  26. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास क्यों महत्वपूर्ण है ?
  27. प्रश्न- प्रसवपूर्व विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं ?
  28. प्रश्न- प्रसवपूर्व देखभाल की कमी का क्या कारण हो सकता है ?
  29. प्रश्न- प्रसवपूर्ण देखभाल बच्चे के पूर्ण अवधि तक पहुँचने के परिणाम को कैसे प्रभावित करती है ?
  30. प्रश्न- प्रसवपूर्ण जाँच के क्या लाभ हैं ?
  31. प्रश्न- विकास को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन हैं ?
  32. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन करो।
  33. प्रश्न- शैशवावस्था में (0 से 2 वर्ष तक) शारीरिक विकास एवं क्रियात्मक विकास के मध्य अन्तर्सम्बन्धों की चर्चा कीजिए।
  34. प्रश्न- नवजात शिशु की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- शैशवावस्था में बालक में सामाजिक विकास किस प्रकार होता है?
  36. प्रश्न- शिशु के भाषा विकास की विभिन्न अवस्थाओं की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  37. प्रश्न- शैशवावस्था क्या है?
  38. प्रश्न- शैशवावस्था में संवेगात्मक विकास क्या है?
  39. प्रश्न- शैशवावस्था की विशेषताएँ क्या हैं?
  40. प्रश्न- शिशुकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  41. प्रश्न- शैशवावस्था में सामाजिक विकास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखो।
  42. प्रश्न- सामाजिक विकास से आप क्या समझते है ?
  43. प्रश्न- सामाजिक विकास की अवस्थाएँ कौन-कौन सी हैं ?
  44. प्रश्न- संवेग क्या है? बालकों के संवेगों का महत्व बताइये ।
  45. प्रश्न- बालकों के संवेगों की विशेषताएँ बताइये।
  46. प्रश्न- बालकों के संवेगात्मक व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक कौन-से हैं? समझाइये |
  47. प्रश्न- संवेगात्मक विकास को समझाइए ।
  48. प्रश्न- बाल्यावस्था के कुछ प्रमुख संवेगों का वर्णन कीजिए।
  49. प्रश्न- बालकों के जीवन में नैतिक विकास का महत्व क्या है? समझाइये |
  50. प्रश्न- नैतिक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक कौन-से हैं? विस्तार पूर्वक समझाइये?
  51. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  52. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास क्या है? बाल्यावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है?
  53. प्रश्न- बाल्यावस्था क्या है?
  54. प्रश्न- बाल्यावस्था की विशेषताएं बताइयें ।
  55. प्रश्न- बाल्यकाल में शारीरिक विकास किस प्रकार होता है?
  56. प्रश्न- सामाजिक विकास की विशेषताएँ बताइये।
  57. प्रश्न- संवेगात्मक विकास क्या है?
  58. प्रश्न- संवेग की क्या विशेषताएँ होती है?
  59. प्रश्न- बाल्यावस्था में संवेगात्मक विकास की विशेषताएँ क्या है?
  60. प्रश्न- कोहलबर्ग के नैतिक सिद्धान्त की आलोचना कीजिये।
  61. प्रश्न- पूर्व बाल्यावस्था में बच्चे अपने क्रोध का प्रदर्शन किस प्रकार करते हैं?
  62. प्रश्न- बालक के संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं?
  63. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास की विशेषताएँ क्या हैं?
  64. प्रश्न- किशोरावस्था की परिभाषा देते हुये उसकी अवस्थाएँ लिखिए।
  65. प्रश्न- किशोरावस्था में यौन शिक्षा पर एक निबन्ध लिखिये।
  66. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख समस्याओं पर प्रकाश डालिये।
  67. प्रश्न- संज्ञानात्मक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास किस प्रकार होता है एवं किशोरावस्था में संज्ञानात्मक विकास को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों का उल्लेख कीजिए?
  68. प्रश्न- किशोरावस्था में संवेगात्मक विकास का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- नैतिक विकास से आप क्या समझते हैं? किशोरावस्था के दौरान नैतिक विकास की विवेचना कीजिए।
  70. प्रश्न- किशोरवस्था में पहचान विकास से आप क्या समझते हैं?
  71. प्रश्न- किशोरावस्था को तनाव या तूफान की अवस्था क्यों कहा गया है?
  72. प्रश्न- अनुशासन युवाओं के लिए क्यों आवश्यक होता है?
  73. प्रश्न- किशोरावस्था से क्या आशय है?
  74. प्रश्न- किशोरावस्था में परिवर्तन से सम्बन्धित सिद्धान्त कौन-से हैं?
  75. प्रश्न- किशोरावस्था की प्रमुख सामाजिक समस्याएँ लिखिए।
  76. प्रश्न- आत्म विकास में भूमिका अर्जन की क्या भूमिका है?
  77. प्रश्न- स्व-विकास की कोई दो विधियाँ लिखिए।
  78. प्रश्न- किशोरावस्था में पहचान विकास क्या हैं?
  79. प्रश्न- किशोरावस्था पहचान विकास के लिए एक महत्वपूर्ण समय क्यों है ?
  80. प्रश्न- पहचान विकास इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
  81. प्रश्न- एक किशोर के लिए संज्ञानात्मक विकास का क्या महत्व है?
  82. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था से आप क्या समझते हैं? प्रौढ़ावस्था में विकासात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वैवाहिक समायोजन से क्या तात्पर्य है ? विवाह के पश्चात् स्त्री एवं पुरुष को कौन-कौन से मुख्य समायोजन करने पड़ते हैं ?
  84. प्रश्न- एक वयस्क के कैरियर उपलब्धि की प्रक्रिया और इसमें शामिल विभिन्न समायोजन को किस प्रकार व्याख्यायित किया जा सकता है?
  85. प्रश्न- जीवन शैली क्या है? एक वयस्क की जीवन शैली की विविधताओं का वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- 'अभिभावकत्व' से क्या आशय है?
  87. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  88. प्रश्न- विविधता क्या है ?
  89. प्रश्न- स्वास्थ्य मनोविज्ञान में जीवन शैली क्या है?
  90. प्रश्न- लाइफस्टाइल साइकोलॉजी क्या है ?
  91. प्रश्न- कैरियर नियोजन से आप क्या समझते हैं?
  92. प्रश्न- युवावस्था का मतलब क्या है?
  93. प्रश्न- कैरियर विकास से क्या ताप्पर्य है ?
  94. प्रश्न- मध्यावस्था से आपका क्या अभिप्राय है ? इसकी विभिन्न विशेषताएँ बताइए।
  95. प्रश्न- रजोनिवृत्ति क्या है ? इसका स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं बीमारियों के संबंध में व्याख्या कीजिए।
  96. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान होने बाले संज्ञानात्मक विकास को किस प्रकार परिभाषित करेंगे?
  97. प्रश्न- मध्यावस्था से क्या तात्पर्य है ? मध्यावस्था में व्यवसायिक समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- मिडलाइफ क्राइसिस क्या है ? इसके विभिन्न लक्षणों की व्याख्या कीजिए।
  99. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  101. प्रश्न- मध्य वयस्कता के कारक क्या हैं ?
  102. प्रश्न- मध्य वयस्कता के दौरान कौन-सा संज्ञानात्मक विकास होता है ?
  103. प्रश्न- मध्य वयस्कता में किस भाव का सबसे अधिक ह्रास होता है ?
  104. प्रश्न- मध्यवयस्कता में व्यक्ति की बुद्धि का क्या होता है?
  105. प्रश्न- मध्य प्रौढ़ावस्था को आप किस प्रकार से परिभाषित करेंगे?
  106. प्रश्न- प्रौढ़ावस्था के मनोवैज्ञानिक परिप्रेक्ष के आधार पर दी गई अवस्थाओं का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- मध्यावस्था की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  108. प्रश्न- क्या मध्य वयस्कता के दौरान मानसिक क्षमता कम हो जाती है ?
  109. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60) वर्ष में मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक समायोजन पर संक्षेप में प्रकाश डालिये।
  110. प्रश्न- उत्तर व्यस्कावस्था में कौन-कौन से परिवर्तन होते हैं तथा इन परिवर्तनों के परिणामस्वरूप कौन-कौन सी रुकावटें आती हैं?
  111. प्रश्न- पूर्व प्रौढ़ावस्था की प्रमुख विशेषताओं के बारे में लिखिये ।
  112. प्रश्न- वृद्धावस्था में नाड़ी सम्बन्धी योग्यता, मानसिक योग्यता एवं रुचियों के विभिन्न परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
  113. प्रश्न- सेवा निवृत्ति के लिए योजना बनाना क्यों आवश्यक है ? इसके परिणामों की चर्चा कीजिए।
  114. प्रश्न- वृद्धावस्था की विशेषताएँ लिखिए।
  115. प्रश्न- वृद्धावस्था से क्या आशय है ? संक्षेप में लिखिए।
  116. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था (50-60 वर्ष) में हृदय रोग की समस्याओं का विवेचन कीजिए।
  117. प्रश्न- वृद्धावस्था में समायोजन को प्रभावित करने वाले कारकों को विस्तार से समझाइए ।
  118. प्रश्न- उत्तर वयस्कावस्था में स्वास्थ्य पर टिप्पणी लिखिए।
  119. प्रश्न- स्वास्थ्य के सामान्य नियम बताइये ।
  120. प्रश्न- रक्तचाप' पर टिप्पणी लिखिए।
  121. प्रश्न- आत्म अवधारणा की विशेषताएँ क्या हैं ?
  122. प्रश्न- उत्तर प्रौढ़ावस्था के कुशल-क्षेम पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
  123. प्रश्न- संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  124. प्रश्न- जीवन प्रत्याशा से आप क्या समझते हैं ?
  125. प्रश्न- अन्तरपीढ़ी सम्बन्ध क्या है?
  126. प्रश्न- वृद्धावस्था में रचनात्मक समायोजन पर टिप्पणी लिखिए।
  127. प्रश्न- अन्तर पीढी सम्बन्धों में तनाव के कारण बताओ।

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