बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मूल्यांकन के प्रकारों एवं विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
अथवा
मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों का वर्णन करते हुए इसकी प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
मूल्यांकन के विभिन्न प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
- मूल्यांकन के विभिन्न प्रकार बताइए।
- संरचनात्मक मूल्यांकन से आप क्या समझते हैं? इसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
- योगात्मक मूल्यांकन का अर्थ तथा विशेषताएँ बताइए।
- निदानात्मक मूल्यांकन के अर्थ को स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषताएँ बताइए।
- नियोजनात्मक मूल्यांकन का अर्थ एवं विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
मूल्यांकन के प्रकार
(Types of Evaluation)
मूल्यांकन के उद्देश्यों, प्रक्रिया, विशेषताओं तथा कार्यों के आधार पर इसके निम्नलिखित प्रकार बताये जा सकते हैं :
1. संरचनात्मक मूल्यांकन (Formative Evaluation) - संरचनात्मक मूल्यांकन किसी भी शैक्षिक कार्यक्रम, योजना, प्रक्रिया, सामग्री की प्रभावशीलता, उसकी गुणवत्तता, आवश्यकतता तथा योग्यता को अन्तिम रूप देने के लिए किये जाने वाले मूल्यांकन को कहते हैं। इस प्रकार के मूल्यांकन में अध्यापन एवं अध्ययन की प्रक्रिया सम्मिलित होती है।
उदाहरणतः - विद्यालयों में विभिन्न शैक्षिक गतिविधियों को देखा जा सकता है। इसमें छात्राध्यापक पूरे पाठ योजना पढ़ाने से पहले कौशलों का प्रशिक्षण सूक्ष्म शिक्षण (माइक्रो टीचिंग) के रूप में कराया जाता है। जिससे उसकी कक्षा शिक्षण की संरचना अच्छी हो सके। सामाजिक विज्ञान में शिक्षण से पहले करायी जाने वाली डील टीचिंग उसकी भविष्य में की जाने वाली कक्षा शिक्षण हेतु संरचना को ठीक करती है। संरचनात्मक मूल्यांकन के द्वारा सामाजिक विज्ञान के शिक्षण में प्रमुख रूप से निम्नलिखित तीन बातों पर विशेष ध्यान दिया जाता है :
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शैक्षिक कार्यक्रम या सामग्री के विभिन्न अंगों के गुण व दोषों के सम्बन्ध में स्पष्ट प्रमाण संकेतित करना।
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इन संकेतित प्रमाणों के आधार पर कार्यक्रम या सामग्री की कमियों को स्पष्ट करना।
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इन कमियों को दूर करने के कार्यक्रम या सामग्री को अधिक प्रभावपूर्ण बनाने के लिए सुझाव प्रस्तुत करना।
संरचनात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ (Characteristics of Formative Evaluation) -
संरचनात्मक या रचनात्मक या निर्माणात्मक मूल्यांकन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
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यह एक सतत मूल्यांकन प्रक्रिया है।
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इस मूल्यांकन में छात्र की परिस्थितियों का प्रयोग किया जाता है।
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इस मूल्यांकन के द्वारा सुधारात्मक अनुदेशन की व्यवस्था की जाती है।
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इस मूल्यांकन में शिक्षक निर्मित कक्षीय तथा सन्दर्भ परीक्षा का व्यापक उपयोग होता है।
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इस मूल्यांकन का प्रयोग विशेष अधिगम में सुधार हेतु किया जाता है।
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त्रुटियों के निवारण हेतु इस मूल्यांकन का उपयोग किया जाता है।
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सामाजिक अध्ययन शिक्षण में इस मूल्यांकन का प्रयोग व्यापक रूप से किया जाता है।
2. योगात्मक मूल्यांकन (Summative Evaluation) - शिक्षणान्तर्गत या सत्रान्तर्गत किए जाने वाले मूल्यांकन को योगात्मक या संकलित मूल्यांकन कहा जाता है। योगात्मक मूल्यांकन अधिगम पूर्वनिर्धारित शैक्षिक कार्यक्रम, योजना या सामग्री को सम्पूर्ण बाँधने वाला कार्य करने की प्रक्रिया से है। इस मूल्यांकन का उपयोग विषय वार्षि में चलता आ रहा है। विभिन्न शैक्षिक प्रक्रियाओं जैसे- प्रवेश विधि, शिक्षण विधि, परीक्षा प्रणाली, पाठ्यक्रम इत्यादि को भविष्य में लागू रखने या न रखने के दृष्टिकोण से किया जा सकता है। योगात्मक मूल्यांकन उपर्युक्त विकल्पों के गुण-दोषों का आकलन करके किसी एक सर्वश्रेष्ठ उपागम को ज्ञान करने की ज्ञान करने की दृष्टि से किया जाता है।
योगात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ (Characteristics of Summative Evaluation)
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योगात्मक या संकलित मूल्यांकन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
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योगात्मक मूल्यांकन अनुशीलन प्रक्रिया के अन्तर्गत प्रमुख किया जाता है।
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पूर्ण समाप्त पाठ्यक्रम व शिक्षण कार्यक्रम की सफलता की सीमा को जाँचता है।
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इस मूल्यांकन में शैक्षिक उत्पादों का वास्तविक परिस्थितियों में मूल्यांकन किया जाता है।
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इस मूल्यांकन में अध्यापक शिक्षण प्रयासों के सम्पूर्ण प्रभाव का अध्ययन किया जाता है।
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शैक्षिक कार्यक्रम की सफलता की भविष्यवाणी इस मूल्यांकन के द्वारा की जा सकती है।
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इस मूल्यांकन में शिक्षक निर्मित परीक्षाओं के साथ निरूपित मापनी का प्रयोग किया जाता है।
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इस मूल्यांकन से शिक्षण तथा अनुशीलन की गुणवत्ता प्राप्त होती है।
3. निदानात्मक मूल्यांकन (Diagnostic Evaluation) - निदानात्मक मूल्यांकन का सम्बन्ध अधिगम सम्बन्धी जटिलता तथा कठिनाइयों को दूर करने से होता है, क्योंकि आज शिक्षक का कार्य केवल ज्ञान देना नहीं रह गया है वरन् उसे छात्रों की कमजोरी, अभिरुचियों एवं क्षमताओं का पता लगाकर अपनी शिक्षण पद्धति को उनके अनुरूप बनाना होता है। शिक्षक का यह भी कर्तव्य है कि वह छात्रों के ऐसे दोषों का पता लगाये तथा उन्हें दूर करने का प्रयास करे जो शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है कि निदानात्मक या उपचारात्मक मूल्यांकन वह मूल्यांकन है जिससे छात्रों की अधिगम कठिनाइयों तथा समस्याओं के लक्ष्यों का पता लगाया जाता है तथा उनका निदान एवं उपचार किया जाता है। निदानात्मक मूल्यांकन के लिए निदानात्मक परीक्षण का प्रयोग किया जाता है। बुकर व बेल्टी के अनुसार - “निदानात्मक मूल्यांकन का उद्देश्य किसी विषय-वस्तु में बालक की विशिष्ट कमजोरियों को प्रकाश में लाना व जिससे उस कमजोरी के कारणों को ढूँढकर सुधार हेतु उपयुक्त कदम उठाया जा सके।”
निदानात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ (Characteristics of Diagnostic Evaluation) -
निदानात्मक परीक्षण की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
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निदानात्मक मूल्यांकन का केन्द्र विद्यार्थी अर्थात् बालक होते हैं।
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इस मूल्यांकन से किसी शैक्षिक समस्या का निराकरण करने का प्रयास किया जाता है।
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निदानात्मक मूल्यांकन छात्रों की कठिनाइयों का पता लगाकर उनके निदान करता है।
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अधिगम सम्बन्धी जटिलताओं को पहचान कर, उन्हें दूर किया जाता है।
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निदानात्मक मूल्यांकन छात्रों की अधिगम कठिनाइयों का निवारण करता है।
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निदानात्मक मूल्यांकन छात्रों को दिशा-निर्देश देने में सहायक होता है।
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निदानात्मक मूल्यांकन शिक्षण अधिगम को प्रभावशाली बनाता है।
4. नियोजनात्मक मूल्यांकन (Placement Evaluation) - इस प्रकार के मूल्यांकन का प्रयोग शिक्षण प्रक्रिया के प्रारम्भिक स्तर पर ही योजना बनाते समय किया जाता है। यह छात्रों के प्रारम्भिक व्यवहार से सम्बन्धित होता है। नियोजनात्मक मूल्यांकन के द्वारा ही शिक्षण व्यवहार की सम्पूर्ण रूपरेखा को पहले से ही निर्धारित कर लिया जाता है कि किस छात्राध्यन अनुसंधानात्मक ज्ञान को ग्रहण करने के लिए छात्रों को किस स्तर का ज्ञान एवं कौशल की आवश्यकता होती है, वे उसमें नयें हैं या नहीं इसका पता लगाना नियोजनात्मक मूल्यांकन की ही उद्देश्य एवं कार्य होता है। छात्रों की रूचियों, शैक्षिक विशेषताओं, आदतों इत्यादि के अनुसार शिक्षण विधियों एवं युक्तियों को चयन करने के लिए भी इसी नियोजनात्मक मूल्यांकन का प्रयोग किया जाता है।
नियोजनात्मक मूल्यांकन की विशेषताएँ (Characteristics of Placement Evaluation) -
नियोजनात्मक मूल्यांकन की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :
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नियोजनात्मक मूल्यांकन का प्रयोग शिक्षण प्रक्रिया के प्रारम्भ में किया जाता है।
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इस मूल्यांकन द्वारा शिक्षण की योजना निर्धारित करने में सहायता मिलती है।
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इस मूल्यांकन के आधार पर ही शैक्षिक व शारीरिक गतिविधियों की रूपरेखा तैयार की जाती है।
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नियोजनात्मक मूल्यांकन के द्वारा छात्रों का शिक्षण विधियों का चयन किया जा सकता है।
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नियोजनात्मक मूल्यांकन के द्वारा छात्रों के लिए आवश्यक मूलभूत ज्ञान एवं कौशल का पता लगाया जाता है।
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