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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- ग्लोब, मॉडल तथा ग्राफ का सामाजिक विज्ञान शिक्षण में क्या महत्त्व है? स्पष्ट कीजिए।

अथवा
ग्लोब, मॉडल एवं ग्राफ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

उत्तर -

ग्लोब (Globs) - सामाजिक अध्ययन शिक्षण में ग्लोब का बड़ा महत्त्व है। ग्लोब का प्रयोग विभिन्न स्थानों की स्थिति का ज्ञान प्रदान करने हेतु किया जाता है। ग्लोब के द्वारा अध्यापक का शिक्षण प्राकृतिक वनस्पति, वन, मिट्टी, सिंचाई के साधन, कृषि उपज, व्यापारिक उत्पादन, शिक्षण के साधन, खनिज आदि का ज्ञान दे सकता है। भूगोल शिक्षण में भी ग्लोब का महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। ग्लोब की सहायता से पृथ्वी का स्वरूप, उसका झुकाव, उसकी गति, विभिन्न देश की सीमाएँ, जलवायु को प्रभावित करने वाले तत्त्व आदि बातें बड़ी ही सरलता से बताया जा सकता है।

ग्लोब का प्रयोग करते समय अध्यापक को निम्नलिखित बातों की ध्यान में रखना चाहिए -
1. ग्लोब शुद्ध होने चाहिए।
2. ग्लोब स्पष्ट तथा सही होने चाहिए।
3. ग्लोब का आकार कक्षा के आकार के अनुरूप होना चाहिए।
आधुनिक युग में विज्ञान-युग के कारण आज अधिकांशतः अंतरराष्ट्रीय वृत्त वाले होते जा रहे हैं।
ग्लोब की सहायता से अक्षांश और रेखांश या देशान्तर, समय परिवर्तन और ऋतु परिवर्तन सरलता से समझा जा सकते हैं।

विद्यार्थियों में प्रचलित किए जाने वाले ग्लोब तीन प्रकार के होते हैं -
(1) राजनीतिक ग्लोब
(2) भौतिक-राजनीतिक ग्लोब तथा
(3) स्लेट-पृष्ठीय ग्लोब।

प्राथमिक कक्षाओं में राजनीतिक ग्लोब दर्शाए जाते हैं। इनमें न्यूनतम विवरण दिए रहते हैं। ऊँची कक्षाओं में भौतिक-राजनीतिक ग्लोब का प्रयोग किया जाता है। इनमें उच्चावच अथवा रंग की सहायता से ऊँचे भूखण्ड दिखाए जाते हैं। स्लेट-पृष्ठीय ग्लोब सामान्यत: निम्न कक्षाओं में प्रयोग होता है।

मॉडल (Models) - जब शिक्षक को वास्तविक पदार्थ उपलब्ध नहीं हो पाते हैं तब वह वास्तविक पदार्थों के मॉडल या नमूने प्रयोग में लाता है। इनके द्वारा सामाजिक अध्ययन का शिक्षक छात्रों को भूगोलिक, ऐतिहासिक तथा नागरिकशास्त्र के तत्वों का ज्ञान सुगमातमूलक करा सकता है। यदि शिक्षक को आवश्यक मॉडल उपलब्ध न हों तो वह स्वयं से बनवा सकता है। छात्रों के द्वारा मॉडल बनवाने से उनकी बहुत-सी मूख प्रवृत्तियों की संतुष्टि भी जा सकती है। मॉडल द्वारा किसी वस्तु का भीतरी भाग, जो सामान्यतः हमारी आँखों से छिपा रहता है, दृश्यात्मक बनाया जा सकता है। इनके द्वारा छात्रों को दृश्यीय कल्पनात्मकता (Visual Imagery) की विशिष्टता प्रदान की जाती है। इनके द्वारा छात्रों में निर्देशात्मक प्रवृत्तियों को भी विकसित किया जा सकता है।

ग्राफ (Graphs) - ग्राफ संख्यात्मक आँकड़ों को प्रस्तुत करने का एक प्रभावशाली साधन है। इसके द्वारा सम्बन्धों एवं विकास के प्रस्तार के साथ-साथ तुलनात्मक अध्ययन को प्रस्तुत किया जा सकता है। सामाजिक अध्ययन के शिक्षण में इसका प्रयोग बहुत उपयोगी है। इस विषय का शिक्षक जब ग्राफ प्रयोग में लाता है कि: मापने की क्रियाओं पर अन्य उपकरण से किसी बात को प्रस्तुत करना है, तब ग्राफ का प्रयोग प्रभावी बन जाता है। ग्राफ बनाने में काफी समय और सावधानी की आवश्यकता होती है। यदि भी शिक्षक को कुछ ग्राफ स्वयं बनाने के बजाय छात्रों से बनवाने चाहिए, जिससे उनकी रेखांकन बनाने की कुशलता का विकास हो सके।

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