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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मापनी का क्या अर्थ है? मापनी की आवश्यकता, महत्त्व एवं विधियाँ बताइए।

उत्तर –

मापनी

मापनी दूरी का वह अनुपात है जिसके द्वारा किसी क्षेत्र को छोटा करके उसे मानचित्र के रूप में प्रदर्शित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, दो एवं दो बिंदुओं के बीच के मानचित्र पर मापी गयी सीधी दूरी एवं उन बिंदुओं के मध्य धरातल पर मापी गयी सीधी दूरी के मध्य के अनुपात को उस मानचित्र की मापनी कहते हैं। इसको सूत्र द्वारा निम्न प्रकार व्यक्त करते हैं –

मानचित्र की मापनी =

दो बिन्दुओं के बीच की मानचित्र पर दूरी / उन बिन्दुओं के बीच की धरातल पर दूरी

उदाहरणार्थ, मान लीजिए A व B कोई दो बिंदु हैं जिनके मानचित्र व धरातल पर एक-दूसरे से दूरी क्रमशः माप ली गई है तो स्पष्ट है कि मानचित्र व धरातल पर मापी गई दूरी में 1 तथा 10,00,000 (सेमी) का अनुपात है। यही अनुपात अर्थात् 1 : 1,00,000 उस मानचित्र की मापनी होगा। इसी प्रकार यदि किसी मानचित्र पर दो बिंदुओं के मध्य की दूरी 3 सेमी है एवं उन बिंदुओं के मध्य धरातल पर मापी गई दूरी 1.5 किमी है तो इन दूरियों का अनुपात अर्थात् 3 : 1,50,000 अथवा 1 : 50,000 उस मानचित्र की मापनी को प्रकट करेगा।

उपरोक्त विवरण से यह स्पष्ट है कि यदि हम किसी मानचित्र पर अंकित किसी दो बिंदुओं के धरातल पर वास्तविक स्थितियों ज्ञात हो जाय तो हम उन बिंदुओं के मध्य की मानचित्र व धरातल पर दूरियों का अनुपात निकालकर उस मानचित्र की मापनी ज्ञात कर सकते हैं।

मापनी की आवश्यकता एवं महत्त्व – हमारी पृथ्वी इतनी बड़ी है कि इसके आकार के बराबर आकार वाला कोई मानचित्र बनाना एक असम्भव कार्य है। यदि थोड़ी देर के लिये यह मान भी लिया जाय कि पृथ्वी के बराबर आकार वाला कोई मानचित्र बनाया जा सकता है तो ऐसा मानचित्र न केवल निरर्थक व निर्गुण होगा अपितु उसे प्रयोग में लाना भी असम्भव हो जाएगा। मापनी वह युक्ति है जिसके द्वारा सम्पूर्ण पृथ्वी या उसके किसी भी आवश्यकतापूर्वक आकार वाले मानचित्र द्वारा जानकारी प्रदर्शित किया जा सकता है। इससे अतिरिक्त मापनी के अनुसार बनाए गये मानचित्रों की सहायता से सम्बन्धित भू-भाग का क्षेत्रफल अथवा धरातल पर स्थलों के मध्य की वास्तविक दूरी ज्ञात की जा सकती है। मापनी का प्रयोग किये बिना बनाया गया कोई मानचित्र सम्बन्धित क्षेत्र के आकार तथा उसमें स्थित स्थलों की, परस्परिक दूरियों को सही प्रदर्शित नहीं कर सकता। यहाँ पर यह संकेत करना आवश्यक है कि मानचित्र व ग्लोब आपस में एक-दूसरे से अलग होते हैं। मानचित्र सदैव किसी मापनी के अनुसार बनाया जाता है तथा रेखा मापनी द्वारा मापनी प्रकट की जाती है। केवल अनुपात में बना दिए जाते हैं।

मानचित्र पर मापनी व्यक्त करने की विधियाँ – मानचित्रों पर मापनी व्यक्त करने की निम्न विधियाँ हैं –

1. कथन विधि – इस विधि में किसी मानचित्र पर उसकी मापनी को शब्दों में लिख देते हैं जैसे…

  • 1 सेमी. = 1 कि.मी. अथवा 1 इंच = 1 मील आदि। इसलिए कथन विधि को शब्दिक विवेचन विधि भी कहते हैं। भारत में इस विधि का प्रयोग ग्रामों में भू-सम्पत्ति मानचित्रों एवं व्यक्तिगत भवनों आदि के प्लानों में किया जाता है।

2. रेखात्मक चित्र विधि - मानचित्र एवं धरातल पर मापी गयी दूरीयों के अनुपात को प्रदर्शित करने वाली चित्र जैसे - 1/50000 को रेखात्मक चाप प्रस्तुत करते हैं। इस चित्र का अंश व हर किसी माप-प्रणाली की समान इकाइयों में रहता: मानचित्र एवं धरातल पर मापी गयी दूरी प्रकट करते हैं एवं इस चित्र में अंश का मान सदैव एक होता है।

3. आलेखी विधि - इस विधि में रेखात्मक चित्र के अनुसार ज्ञात की गयी किसी लम्बाई के बराबर मानचित्र पर एक रेखा खींचकर उसे प्रामाणिक चित्र कहते हैं। विभिन्न रंगों में चित्र विभागों पर उनके द्वारा प्रदर्शित वास्तविक दूरियों के मान लिख दिए जाते हैं। मूल आकार से चित्र आकारों में मुद्रित किए जाने वाले मानचित्रों पर केवल इसी विधि के द्वारा मापनी व्यक्त करते हैं।

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