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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मॉडल किसे कहते हैं? इसकी उपयोगिता एवं वर्गीकरण का उल्लेख कीजिए।

उत्तर

मॉडल किसी बड़ी वस्तु का लघु रूप अथवा किसी छोटी वस्तु का बड़ा रूप होता है। यह आकार को छोड़कर शेष सभी बातों में असली से मिलता-जुलता है। अतः इसका प्रयोग उस वस्तु के बारे में ज्ञान देने में बड़ा उपयोगी सिद्ध होता है। अध्यापकों को चाहिए कि वह अपने विषयों से सम्बन्धित मॉडल अथवा प्रतिकृति एकत्रित करें और उनको सम्भाल कर रखें इससे उसके पास शिक्षण में सहायक साधनों में वृद्धि होती जाएगी। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हर श्रेणी को मॉडल दिखाना मात्र ही की वह शिक्षात्मक लाभ नहीं होता जब तक उनका प्रयोग किसी लक्ष्य विशेष की प्राप्ति के दृष्टिकोण से किया जाए। अध्यापक इस बात का ध्यान रखते हुए ही उसका प्रयोग करें।

शिक्षा उपयोगी मॉडल को दो प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है –

1. प्रायः बड़े विद्यालयों में शिक्षा उपयोगी मॉडल को बनवाया भी जा सकता है और स्कूल में बनाया जा सकता है।

2. प्रसिद्ध भवनों के प्लास्टर से बने हुए मॉडल बाजार में मिल सकते हैं। महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों की मूर्तियाँ, जहाज़ों, पुलों, बाँधों, योजनाओं, जल संग्रहण से संबंधित, जल जीवों, रेलगाड़ियों तथा अन्य वस्तुओं के मॉडल भी बने बनाए बाजार में मिल जाते हैं। मॉडल आसानी से अन्य उपयोगी दृश्य साधन हैं। वे आसानी से मिल सकते हैं और किसी वस्तु का हू-ब-हू रूप बालकों के सामने प्रस्तुत करते हैं। विद्यार्थियों को अवसरों के दिनों में मिट्टी, गोंद अथवा लकड़ी के मॉडल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है। भूगोल के विद्यार्थियों के लिए इस प्रकार का कार्य बड़ा लाभप्रद सिद्ध हो सकता है।

मॉडल की शैक्षिक उपयोगिता

1. अधिगम प्रक्रिया को रोचक बनाना – मॉडल अधिगम प्रक्रिया को रोचक तथा सजीव बनाते हैं परिणामस्वरूप विद्यार्थियों का पाठ के प्रति आकर्षण उत्पन्न हो जाता है।

2. रचनात्मक शक्ति का विकास – मॉडल विद्यार्थियों की रचनात्मक शक्ति का विकास करते हैं तथा शिक्षण प्रक्रिया में विद्यार्थियों को क्रियात्मक सहभागी बनाने में भी सहायक सिद्ध होते हैं।

3. जहाँ दूसरे विकल्प सम्भव नहीं – विभिन्न विषयों में विशेषकर भूगोल विषय हेतु ऐसी त्रिवायामी पदार्थों के बारे में ज्ञान जिनसे न तो चित्र, चार्ट आदि के द्विायामी साधनों द्वारा पढ़ाया जा सकता है और न जिसके लिए वास्तविक वस्तु या नमूने आदि की व्यवस्था की जा सकती है, मॉडलों का उपयोग उपयुक्त माना जाता है।

4. जहाँ वास्तविक पदार्थ बहुत छोटे या बड़े हैं – ऐसी परिस्थितियों में जबकि बड़ी वस्तुओं को छोटे रूप में तथा छोटी वस्तुओं को बड़े रूप में प्रदर्शित कर ज्ञान प्राप्त करने में सुविधा हो, मॉडल का प्रयोग काफी प्रभावशाली सिद्ध हुआ है। उदाहरण के तौर पर पृथ्वी का आकार तथा उससे सम्बंधित आवश्यकताएँ प्राप्त के लिए उसके छोटे प्रतिरूप में ग्लोब का प्रयोग काफी उपयोगी होता है। मानव शरीर और अमीबा आदि अनेक सूक्ष्म और जटिलताओं को अध्ययन करने के लिए इनके आकार के मॉडल बनाए जाते हैं।

5. कार्यकारी मॉडल – कार्यकारी मॉडल तथा विभागीय प्रकार के मॉडलों के रूप में शिक्षण कार्य में वस्तुओं तथा उनकी प्रक्रियाओं के अध्ययन के लिए बहुत सहायता मिलती है। इन मॉडलों के द्वारा जटिल से जटिल रचना और क्रिया-प्रणाली के अध्ययन में सहयोग इस प्रकार मिलता है कि इनमें वस्तुओं के भागों को अलग-अलग खोलकर तथा फिर जोड़कर दिखाया जा सकता है तथा किसी एक भाग की कार्य-प्रणाली का अलग ज्ञान करवाया जा सकता है।

मॉडल का वर्गीकरण

1. सरल मॉडल – सरल मॉडल प्रायः वास्तविक वस्तु का बाह्य रूप दिखाते हैं। उदाहरण के तौर पर पशुओं जैसे हाथी, शेर, घोड़ा आदि के प्रतिरूप, पक्षियों जैसे तौता, कबूतर, कौआ आदि के प्रतिकृति सरल मॉडल हैं। ये विद्यार्थी स्वयं मिट्टी से बनाए जा सकते हैं। पृथ्वी के हू-ब-हू ग्लोब पर नहीं बनाए जाते, फिर भी इन प्रतिकृतियों का शिक्षकीय दृष्टिकोण से काफी महत्त्व होता है।

2. स्केल मॉडल – स्केल मॉडल अर्थात् स्केल पर वस्तुओं का लघु रूप प्रस्तुत करते हैं। अनेक अधिगम स्थितियों में हमें वस्तुओं के एकदम सही रूप की आवश्यकता होती है। वहाँ मॉडल उपयोगी सिद्ध होते हैं। विद्यार्थियों को कुछ विशेष परिस्थितियों की ऊँचाई अवधारणाओं से परिचित कराने के लिए स्केल मॉडल का प्रयोग किया जाता है। इसी तरह से शरीर रचना का शिक्षण प्रदान करते वक्त मानव शरीर के विभिन्न अंगों के लिए स्केल मॉडल का प्रयोग जीवंत रूप समझा जाता है।

3. कार्यकारी मॉडल – यह मॉडल किसी प्रक्रिया को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत करने हेतु प्रयुक्त किए जाते हैं। उदाहरण के लिए मानव मस्तिष्क का कार्यशील मॉडल उसकी क्रियाओं को ज्ञान अर्जित करने में लाभप्रद सिद्ध होता है।

4. अनुप्रस्थीय भाग काट वाले मॉडल – ये मॉडल वस्तु का अन्दरूनी भाग तथा बाहरी भाग दोनों ही दर्शाते हैं। उदाहरण के लिए सैन्य विज्ञान के विद्यार्थियों को वायुप्रण का मॉडल दिखाया जाता है। इन विद्यार्थियों को वायुप्रण के आन्तरिक तथा बाहरी रूप को देखने की ज़रूरत होती है। तकनीकी विषयों के शिक्षण में इन मॉडलों का काफ़ी महत्त्व होता है।

5. मॉक-अप मॉडल – मॉक-अप मॉडल विशेष किस्म के मॉडल होते हैं जो देखने में वास्तविक वस्तु के अनुसार नहीं होते हैं। कुछ ही वस्तुओं की अनुकृति माना जाता है। इनमें उन निष्क्रिय भागों को त्याग कर दिखाया जाता है जो क्रियाशील भागों के बोध के लिए ज़रूरी नहीं होती।

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