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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- ग्लोब किसे कहते हैं? ग्लोब के प्रकार बताइए।

उत्तर

ग्लोब पृथ्वी का शुद्ध प्रतिरूप है। इसके द्वारा ही यह स्पष्ट किया जा सकता है कि पृथ्वी गोलाकार है। दूसरी शब्दों में भूगोल विज्ञान शिक्षण के लिए ग्लोब का निर्माण किया गया। पृथ्वी को ग्लोब का रूप देकर ऐसी अनेक बातें स्पष्टकरण सरल रहती हैं जो सामान्य मानचित्र पर शायद कठिन हो जाती हैं। भूगोल विषय के शिक्षण में ग्लोब एक दूसरे साधन के रूप में विशेष महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मानचित्र की भांति ग्लोब भी पृथ्वी और उसके प्राकृतिक पर रेखा स्थिति, राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक परिस्थितियों का चित्र प्रस्तुत करने का प्रयत्न करता है। परंतु जहाँ मानचित्रों द्वारा पृथ्वी को सपाट रूप से दर्शाया जाता है, वहाँ ग्लोब इसकी वास्तविक गोलाकार आकृति को सामने लाते हैं और इस प्रकार ग्लोब को पृथ्वी के आकार तथा धरातल आदि को उसके सही अनुपात में प्रदर्शित किया जा सकता है। एक अच्छा ग्लोब इस प्रकार समस्त भूमंडल की आकृति, रचना और परिस्थितियों की वास्तविकता को सही अर्थों में स्पष्ट करने वाले वास्तविक मानचित्र का प्रतिनिधित्व करता है। पृथ्वी के संबंध में सबसे अधिक जानकारी ग्लोब से ही प्राप्त की जा सकती है। पृथ्वी के धरातल के सम्बन्ध में अनेक बातें जैसे पृथ्वी की गोलाई, पृथ्वी की अक्षांश, देशान्तर रेखाएँ, व पृथ्वी पर वायुमंडल का प्रभाव आदि कुछ ऐसी जानकारियाँ हैं जो अधिक स्पष्ट ग्लोब द्वारा ही हो सकती हैं। मानचित्र से ग्लोब द्वारा पृथ्वी की गोलाई अध्ययन कितना उत्तम है इस बात का उदाहरण दक्षिणी अमेरिका और श्रीलंका के आकार से लगाया जा सकता है। मानचित्र में अमेरिका के बराबर ही दिखाई देता है जबकि वास्तव में जब ग्लोब द्वारा देखने पर स्पष्ट होता है कि अमेरिका श्रीलंका से तीन गुना बड़ा है। इसका कारण यह है कि पृथ्वी के गोल होने हुए ग्लोब मात्र विघुत रेखा के रूप में है। इसलिए श्रीलंका और अमेरिका का आकार सही नहीं होता। और इस विघुत रेखा के अनुसार ही मानचित्र का निर्माण होता है। इस कारण से संसार एक ही रंग है। इसलिए विभिन्न देशों की तथा स्थलीय स्थिति को स्पष्ट रूप में नहीं दर्शाया जा सकता है।

इसकी समझाने के लिए ग्लोब सबसे उत्तम साधन है। कुछ ग्लोब जैसे सह्रद परिवर्तित अक्षांश तथा देशांश रेखाओं आदि का ज्ञान मानचित्र की अपेक्षा ग्लोब द्वारा अधिक स्पष्ट रूप से दिया जाता है।

ग्लोब के प्रकार

वैसे तो अध्ययन-अध्यापन के कार्य में सहायता देने के लिए विभिन्न आकारों वाले कई प्रकार के ग्लोब मार्किट में सुगमता से उपलब्ध हो जाते हैं परंतु मुख्यतः निम्नलिखित चार प्रकार के ग्लोबों की सिफारिश की जाती है –

1. भौतिक ग्लोब – इस ग्लोब में पृथ्वी पर स्थित भूमि और जल क्षेत्रों तथा उनकी ऊँचाई तथा गहराई आदि तथा पृथ्वी की विभाजित करने वाली अक्षांश तथा देशांतर रेखाओं को विभाजित किया जाता है और उस प्रकार का ग्लोब प्राकृतिक एवं भौगोलिक भूगोल से सम्बन्धित प्रकारों के अध्ययन में विशेष सहायक सिद्ध होता है।

2. राजनीतिक ग्लोब – इस ग्लोब में संसार के सभी देशों की सीमाएँ, प्रमुख नगरों, भवनों, बाँधों आवागमन के भागों तथा पर्यटन स्थलों आदि का विवरण होता है अर्थात् उनका प्रदर्शन किया जाता है।

3. भौतिक तथा राजनीतिक ग्लोब – भौतिक तथा राजनीतिक ग्लोब में भौतिक तथा राजनीतिक दोनों प्रकार के ग्लोबों की विशेषताओं का समावेश करने का प्रयत्न किया जाता है।

4. ख़ाका ग्लोब – ख़ाका ग्लोब में भूगोल का भौतिक अथवा राजनीतिक दृष्टि से एक ख़ाका बनाया जाता है। महाद्वीप, द्वीप, महासागर तथा अन्य देशों की भौगोलिक परिस्थितियों तथा राजनीतिक सीमाओं आदि की स्थिति को चित्रण भी इस प्रकार के ग्लोबों में किया जाता है। विवरण की दृष्टि से ये खाली होते हैं जिनमें आवश्यकतानुसार अध्यापक तथा विद्यार्थियों द्वारा चार्ट या पर्चे आदि से लिखा जा सकता है। ख़ाका ग्लोब में निम्नलिखित प्रकारों आदि के बारे में स्थान भरे जा सकते हैं –

(1) वायु, तापीय तथा भूमि मानों की स्थिति
(2) विभिन्न नदियाँ, पहाड़ों एवं दर्शनीय स्थलों की स्थिति
(3) विभिन्न खनिज पदार्थ तथा फसलों के पाए जाने वाले स्थानों की स्थिति

ग्लोब की तैयारी

ग्लोब को इतना महत्त्व होने हुए भी अध्यापक द्वारा इसे और विशेष ध्यान नहीं दिया जाता तथां कक्षा-कक्ष में इस प्रकार का उपयोग बहुत कम होता है। अध्यापक प्रशिक्षण संस्थानों में भी इस उपकरण की तैयारी तथा उपयोग के महत्व के बारे में जहाँ छात्र, अध्यापकों को पर्याप्त जानकारी प्रदान नहीं की जाती। परिणामस्वरूप बहुत से अध्यापक ऐसे हैं जिन्हें ग्लोब के प्रयोगों के बारे में ज्ञान ही नहीं है। ग्लोब का निर्माण कराना विद्यार्थियों के लिए बहुत लाभदायक क्रिया है। इसका कारण यह है कि बाजार में बड़े आकार वाले स्पष्ट स्थिति समझाने वाले ग्लोब नहीं मिलते। इसलिए विद्यार्थियों को इनका निर्माण कराना सिखाना बहुत ही आवश्यक बन जाता है। ग्लोब का निर्माण करने से विद्यार्थियों के रचनात्मक, कलात्मक दृष्टियों और योग्यताओं का विकास होता है।

विधि – ग्लोब बनाने के लिए कागज की गूंधी व गत्ते की आवश्यकता होती है। इस सामग्री से गोल मटोल गेंदनुमा पिण्ड बनाकर उसे ग्लोब का आकार देना चाहिए। जब यह सूख जाए तब उसे रंग कर उस पर आवश्यक विवरण चिपका कर आवश्यक ग्लोब तैयार हो जाता है। ग्लोब बड़े आकार के होते हैं, जैसे कि लगभग 24” व्यास तक गोलक बनाए जाते हैं, परन्तु शिक्षण कार्य में प्रायः 6” के व्यास वाला ग्लोब ही काम में लिया जाता है। इसी प्रकार ग्लोबों की बनावट में भी भिन्नता होती है। कुछ ग्लोब मेज पर रखने के लिए तथा कुछ लटकाने वाले होते हैं। आकर्षक विद्युत संचालित उपयुक्त वाले ग्लोब भी उपलब्ध हैं। इनमें पृथ्वी अपनी कील पर घूमती है और उपग्रह उसके चारों ओर घूमते रहते हैं। आवश्यकता की दृष्टि से संक्षिप्त ग्लोब भी उपलब्ध हैं। इस प्रकार के ग्लोबों पर छात्र स्वयं कार्य कर सकते हैं। इन पर महत्त्वपूर्ण नदियाँ तथा जलस्रोत आदि भी अंकित कर सकते हैं। विद्यार्थी स्वयं भौतिक तथा राजनीतिक दोनों प्रकार के ग्लोब तैयार कर सकते हैं।

ग्लोब के गुण :

1. उपयोगी ग्लोब कम-से-कम 16” व्यास का अथवा 1 इंच 500 मील के पैमाने पर होना चाहिए।
2. टाँगने अर्थात् लटकाने वाला बड़ा ग्लोब 19.20 इंच से 24 इंच तक के व्यास वाला होना चाहिए।
3. ग्लोब शुद्ध तथा आकर्षक होना चाहिए।
4. ग्लोब स्पष्ट रूप में होना चाहिए।
5. इस पर केवल आवश्यक बातों का ही विवरण होना चाहिए।

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