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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय 11 - सामाजिक विज्ञान पाठ्य-पुस्तक की आलोचनात्मक समझ

(Critical Understanding of Social Science Text book)

प्रश्न- पाठ्य-पुस्तक का क्या अर्थ है? सामाजिक अध्ययन की पाठ्य-पुस्तकों के मापन हेतु प्रयुक्त की जाने वाली कसौटियों का उल्लेख करते हुए इसके प्रमुख लक्षणों का वर्णन कीजिए।

अथवा
पाठ्य-पुस्तक से क्या आशय है? सामाजिक अध्ययन की पाठ्य-पुस्तक के प्रमुख लक्षण लिखिए।
अथवा
पाठ्यक्रम एवं छात्रों के परिप्रेक्ष्य के सन्दर्भ में सामाजिक विज्ञान विषय की पाठ्य-पुस्तक का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
अथवा
पाठ्य-पुस्तकों के आलोचनात्मक विश्लेषण की आवश्यकता का वर्णन कीजिए तथा सामाजिक विज्ञान की एक अच्छी पाठ्य-पुस्तक की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए।

संबन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न

  1. पाठ्य-पुस्तक से आप क्या समझते हैं? परिभाषित कीजिए।
  2. सामाजिक अध्ययन की पाठ्य-पुस्तकों के मूल्यांकन की मापदण्ड बताइए।
  3. सामाजिक अध्ययन की एक उत्तम पाठ्य-पुस्तक के लक्षण लिखिए।

उत्तर -

पाठ्य-पुस्तक का अर्थ
(Meaning of Text-Book)

पाठ्य-पुस्तक सीखने वाला एक साधन है, जिसका प्रयोग विद्यालय तथा कॉलेजों में अनुशासन कार्यक्रम को परिव्यक्त करने के लिए किया जाता है। सामान्य अर्थ में, पाठ्य-पुस्तक मुद्रित होती है, जिनमें निश्चित विषयवस्तु होती है, जिसे अनुशासन अधिगम से यथावत की जाती है और सीखने वालों के अध्ययन से संप्रेषित की जाती है। पाठ्य-पुस्तक के अर्थ को स्पष्ट करने के लिए कुछ विचारों एवं शिक्षाशास्त्रियों ने परिभाषा के रूप में अपने विचार व्यक्त किये हैं, जो निम्नलिखित हैं -
"पाठ्य-पुस्तक अनुशासन अधिगमों के लिए व्यवस्थित किया गया एक प्रामाणिक चिन्तन का अभिलेख है।"
"पाठ्य-पुस्तक कक्षा-कक्षा के प्रयोग के लिए विनियोजित की गई पुस्तक है।"

सामाजिक अध्ययन की पाठ्य-पुस्तकों के मूल्यांकन का मापदण्ड
(Scale for Evaluating Text-Books of Social Studies)

A. प्रकाशन सामग्री - (1) पुस्तक का नाम, (2) लेखक या लेखकों, (3) प्रकाशक, (4) पुस्तकों की संख्या, (5) पुस्तक का मूल्य।

B. भौतिक तत्व - (1) पुस्तक का आकार, (2) जिल्द की सुदृढ़ता, (3) कागज, (4) छपाई (5) मार्जिन की चौड़ाई।

C. संगठन - (1) पाठों की सामान्य योजना, (2) पाठों का तर्कसंगत विभाजन, (3) पाठों की पूर्यता, (4) सारांश।

D. प्रस्तुतिकरण - (1) शैली, (2) भाषा, (3) स्फ़ूर्तता, (4) निष्पक्षता, (5) प्रयोगिक शब्द।

E. उदाहरण - (1) उदाहरणों की शुद्धता, (2) गुण, (3) छात्रों के लिए उपयुक्त उदाहरण।

F. चित्र, मानचित्र, रेखाचित्र, ग्राफ तथा चार्ट - (1) संख्या, (2) शुद्धता, (3) स्फ़ूर्तता, (4) आकार, (5) उपयुक्तता तथा महत्त्व, (6) स्पष्टता।

G. प्रश्न - (1) पाठ्य-वस्तु से सम्बन्ध, (2) उनकी विरूपता, (3) शिक्षक तथा छात्रों की दृष्टि से महत्त्व, (4) उनकी प्रेरणा-शक्ति।

H. पारिशिष्ट तथा अनुक्रमणिका - (1) व्यवस्थान, (2) विषय-सूची, (3) व्याख्यात्मकता, (4) पूर्यता, (5) महत्त्व।

सामाजिक अध्ययन की पाठ्य-पुस्तक के लक्षण
(Criteria of Social Studies Text-Book)

सामाजिक अध्ययन की पाठ्य-पुस्तक में निम्नलिखित लक्षणों का ध्यान रखना विशेष आवश्यक है -

(1) पाठ्य-वस्तु का चयन एवं व्यवस्था - इसके अन्तर्गत निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए -
(i) छात्रों की दृष्टि से पाठ्य-वस्तु का चयन उनकी रुचि, अवस्था, योग्यता, मानसिक स्तर, प्रवृत्तियों, अभिरुचियों तथा सामाजिक स्तर के अनुसार होना चाहिए।
(ii) समाज की दृष्टि से पाठ्य-वस्तु का चयन इस प्रकार से होना चाहिए जिससे पाठ्य-पुस्तकें समान तथा आर्थिक विकास तथा उन्नति के लिए देश के नागरिकों में नव जागरण का संचार कर सकें।
(iii) पाठ्य-वस्तु की व्यवस्था छात्रों के मानसिक स्तर के अनुरूप होनी चाहिए।
(iv) पाठ्य-वस्तु की विषय-वस्तु छात्र-केन्द्रित होनी चाहिए।
(v) पाठ्य-वस्तु में मनोनैतिकता का परिचय किया जाये।

(2) पाठ्य-वस्तु की भाषा आकृति - टाइप, जिल्द, कागज, पृष्ठों की संख्या, शब्दों के बीच की दूरी, आकार, मार्जिन की चौड़ाई आदि की उचित व्यवस्था पर ध्यान दिया जाये।

(3) विषय-सूची - उनकी प्रामाणिकता, महत्त्व तथा क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए।

(4) प्रस्तुतिकरण - पाठ्य-पुस्तकें इस प्रकार होने चाहिए जो -
(i) छात्रों में स्वाध्ययन की आदतों का निर्माण एवं कुशलताओं का विकास कर सकें।
(ii) दूसरे विषयों की पाठ्य-वस्तु से सहसम्बन्ध स्थापित करने में सहायक हो।
(iii) वर्गीय वैयक्तिक विभिन्नताओं की सन्तुष्टि करती हो।
(iv) शिक्षण के नियमों के अनुरूप हो।
(v) नियोजित अध्ययन के लिए अवसर प्रदान करने वाली हो।
(vi) शिक्षण-शैलियों के अनुरूप हो।
(vii) छात्रों में विषय के प्रति रुचि जाग्रत करे।
(viii) छात्रों के मानसिक विकास में सहायक हो।

(5) शिक्षण साधन - अभ्यास के लिए प्रश्न, निर्देश, सहायक पुस्तकों की सूची, अनुक्रमणिका, प्रस्ताना आदि की यथार्थता तथा उनकी उपयुक्तता।

(6) उदाहरण - शाब्दिक तथा प्रदर्शनात्मक उदाहरण जैसे, रूप-रेखा, तालिकायें, ग्राफ, रेखाचित्र एवं रेखांकन, मानचित्र आदि, इनके स्थान एवं संख्या की शुद्धता, उपयुक्तता तथा पर्याप्त संख्या।

(7) लेखक - उनके बौद्धिक स्तर की स्फ़ूर्तता, मौलिकता एवं निष्पक्षता, अनुभव एवं प्रतिष्ठा, योग्यता तथा प्रकाशन और मनोविज्ञान का ज्ञान।

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