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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय 10 - सामाजिक विज्ञान क्लब और प्रयोगशाला :
व्यवस्था एवं महत्त्व

(Social Science Club and Laboratory : Setting and Importance)

प्रश्न- सामाजिक विज्ञान शिक्षण में प्रयोगशाला निर्माण के कौन-कौन से सिद्धान्त हैं तथा छात्रों के लिए सामाजिक विज्ञान प्रयोगशाला की क्या उपयोगिता है ?

उत्तर -

आधुनिक युग में तो प्रयोगशाला का इतना व्यापक तथा प्रमुख प्रयोग होने लगा है कि प्रगतिशील विद्यालयों ने न केवल भौतिक विज्ञानों का ही अपितु सामाजिक एवं भाषा विज्ञानों का शिक्षण भी प्रयोगशालाओं के माध्यम से करने लगे हैं। इसलिए आज के साधन सम्पन्न एवं प्रगतिशील विचारों वाले विद्यालय न केवल भौतिक विज्ञान अपितु सामाजिक विज्ञानों के लिए भी उपयुक्त प्रयोगशालाओं की व्यवस्था करते हैं।

विद्यालयों में प्रयोगशालाओं का अपना स्थान होता है। आधुनिक युग में शिक्षा को अधिकारिक व्यवहारिक तथा अनुभावात्मक सिद्धान्तों किया जा रहा है। इसी लिए शिक्षा तथा शिक्षण के स्तर में भी उसी रूप में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। अतः सामाजिक विज्ञान शिक्षण में उनमें विभिन्न प्रकार के उपकरणों की उपयोगिता को नकारा नहीं जा सकता है। इन प्रयोगशालाओं में विभिन्न प्रकार के प्रयोग करके बालक न केवल करके ही सीखते हैं अपितु वे तथ्यों को व्यवहारिक एवं जीवनोपयोगी ज्ञान भी प्राप्त करते हैं।

 

सामाजिक विज्ञान प्रयोगशाला के सिद्धान्त - विद्यालयों में भौतिक एवं सामाजिक विज्ञानों की व्यवस्था एवं स्थापना के लिए निम्नलिखित सिद्धान्तों को ध्यान में रखा जाना चाहिए :

(1) उच्च माध्यमिक स्तर तक प्रयः सभी भौतिक विज्ञानों के लिए एक ही प्रयोगशाला हो।

(2) प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक स्तर पर सम्पूर्ण प्रकृति तथा आसपास के पर्यावरण को प्रयोगशाला के रूप में अपनाया जाए।

(3) माध्यमिक स्तर पर सभी भौतिक विज्ञानों के लिए पुस्तक-युक्त प्रयोगशाला में स्थापना की जाए।

(4) प्रयोगशाला के लिए जो कक्ष निर्मित किए जाएं या चुने जाएं उनकी निम्नलिखित विशेषताएँ हों :

 (A) प्रयोगशाला कक्ष साधारण तथा बड़ा हो।

 (B) प्रयोगशाला की प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था हो।

 (C) मुख्य कक्ष के साथ संलग्न दो छोटे-छोटे कक्ष भी हों जिनमें से एक भण्डार के रूप में तथा दूसरा प्रयोगी के कार्यालय के रूप में प्रयोग किया जाए।

 (D) प्रयोगशाला कक्ष में पानी की अच्छी व्यवस्था हो।

(5) प्रत्येक प्रयोगशाला का विषय से सम्बन्धित अध्यापक प्रभारी हो। प्रभारी अध्यापक के अलावा कुछ सहायक भी हों।

(6) सभी प्रयोग प्रभारी अध्यापक की देखरेख में सम्पन्न किए जाएं।

(7) प्रभारी अध्यापक तथा छात्र पूर्ण रूचि रखकर प्रयोगशाला में कार्य करें। अतः पर्याप्त मात्रा में प्रशिक्षण भी होने चाहिए।

(8) सामाजिक विज्ञान की प्रयोगशाला से सम्बन्धित विषय के लिए उपयोगी साहित्य तथा उपकरण होने चाहिए।

सामाजिक विज्ञान प्रयोगशाला के लाभ - सामाजिक विज्ञान प्रयोगशाला से छात्रों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं :

(1) सामाजिक विज्ञान की प्रयोगशाला की स्थापना से छात्रों को पुस्तकों की तथा सैद्धान्तिक शिक्षा के स्थान पर व्यवहारिक एवं वास्तविक शिक्षा प्रदान की जा सकती है।

(2) प्रयोगशाला में छात्र विभिन्न कार्य स्वयं करते हैं। इससे अध्ययन में रोचकता आती है। छात्र सैद्धान्तिक कक्षाओं में बैठकर ऊब जाते हैं। प्रयोगशाला छात्रों की इस ऊबाहट को दूर कर रुचिकर बना डालती है।

(3) प्रयोगशाला में छात्र विभिन्न प्रयोग स्वयं अपने हाथों से करता है। यह करके सीखने के सिद्धान्त पर आधारित है। छात्र जिस ज्ञान को स्वयं करके सीखता है वह अधिक स्थायी तथा जीवन उपयोगी होता है।

(4) प्रयोगशाला में छात्र किसी कार्य को सुनियोजित तथा व्यवस्थित रूप से करता सीख जाता है।

(5) प्रयोगशाला से छात्रों को ऐसी शिक्षा प्राप्त होती है जो सामान्यतः अन्य साधनों से सम्भव नहीं है। उदाहरण के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरणों, पदार्थों, प्रतिरूपों, सामग्रियों की संभाल कर कैसे रखें यह छात्र बालक सीधा सीखता है। यह व्यवस्थात्मक व्यवहार में सहायक होता है।

(6) प्रयोगशाला छात्रों में अनेक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व गुणों का विकास करने में सहायक होती है।

(7) प्रयोगशाला एक कक्ष में होती है, सारा सामान नहीं रहता है। छात्र इसे सामान को स्वयं प्रयोग करके सीखते हैं। इससे सामान को इधर-उधर लाते, ले जाने में समय व श्रम नहीं लगता है साथ ही प्रयोगशाला उपकरणों के टूटने-फूटने तथा क्षतिग्रस्त होने का भय नहीं रहता है।

(8) प्रयोगशाला छात्रों में अनेक उपयोगी कौशलों का विकास करती है। छात्रों की सभी ज्ञानेन्द्रियाँ लगती हैं। छात्र स्वयं अपने हाथों से कार्य करते हैं, आँखों से देखते हैं तथा अन्य इन्द्रियों का प्रयोग करते हैं। इससे उनमें कई प्रकार के कौशलों का सहज ही विकास होता है। इस प्रकार हम देखते हैं कि सामाजिक विज्ञान की प्रयोगशाला में मॉडल, चार्ट, फिल्मस्ट्रिप्स, प्रोजेक्टर, ग्लोब, मैप (नक्शा-भारत / विश्व) तथा अन्य उपकरणों की आवश्यकताएँ होती हैं।

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