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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान की क्रियाविधि तथा सीमाओं का वर्णन कीजिए (कानपुर 2015)

उत्तर-

क्रियात्मक अनुसंधान के सोपान
(Steps of Action Research)

क्रियात्मक अनुसंधान के पद और प्रक्रिया बहुत निश्चित नहीं है फिर भी विद्यार्थियों को चाहिए कि वह जहाँ तक हो सके वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ विज्ञान के नियमों का अनुसरण करते हुए अध्ययन करें। क्रियात्मक अनुसंधान के प्रमुख पद या सोपान निम्नलिखित हैं -

  1. समस्या को पहचानना (Identification of the Problem) – क्रियात्मक अनुसंधान में पहला और सबसे अधिक महत्वपूर्ण सोपान समस्या का चयन है। जब किसी कार्यक्रम को समस्या का अनुभव होता है तभी वह अनुसंधान करता है। समस्या को पहचानने के लिए शिक्षक को जागरूक रहकर और वस्तुनिष्ठ रूप से अपने दैनिक कार्यक्रम के प्रत्येक अंग पर दृष्टि रखनी पड़ती है। इसके लिए व्यापक दृष्टि और स्वस्थ दृष्टिकोण की आवश्यकता है। जिससे कि कार्य-प्रणाली के दोष देखे जा सके। ये समस्यायें शिक्षकों के विद्यालय जीवन में सहज देखने पड़ती हैं और उन्हें अक्सर इनसे दो-चार होना पड़ता है। "यदि अपनी कक्षा एवं विद्यालय में एक-दो या अधिक बार जिस स्थिति तथा प्रशासनिक प्रवृत्त्ति का सामना करना पड़ा है, वह विकट परिस्थिति बन गई है तब निश्चित रूप से समझना चाहिए कि मास्टर के रहने वाले इन समस्याओं में किसी को एक उपयुक्त तथा व्यवहारिक अनुसंधान योजना का रूप दे सकता है।"

समस्याओं के पहचान में संदर्भवालियों की आवश्यकता होती है जोकि सामान्य क्रियात्मकों में एक-सी नहीं मिलती। क्रियात्मक अनुसंधान की मुख्य समस्यायें निम्नलिखित स्रोतों में खोजी जा सकती हैं -

(i) शिक्षण से सम्बन्धित समस्यायें (Problems relating to Teaching) - इसमें उपयुक्त रूप से समझन, उपयुक्त शिक्षण, शिक्षक-विद्यार्थी सम्बन्ध, कक्षा का वातावरण, विद्यार्थियों में परस्पर आदान-प्रदान, गृहकार्य और लिखित कार्यों से - स्वर एवं मौन वाचन, लिखित तथा मौखिक अभिव्यक्ति, उच्चारण, रुचि कक्षा में देरी से आना आदि से सम्बन्धित समस्यायें सम्मिलित हैं।

(ii) परीक्षण से सम्बन्धित समस्यायें (Problems relating to Test) - इनमें विषयवस्तुनिष्ठता, वैधता, परीक्षण का निर्माण, विभिन्न परीक्षणों का प्रयोग, परीक्षणों द्वारा उपलब्ध में प्रगति, प्रस्तुतियों के आधार विकल्प चयन, निम्नस्तरीय एवं वस्तुनिष्ठ परीक्षणों का सम्बन्ध, निरन्तर परीक्षण का प्रयोग एवं निर्माण तथा परीक्षण और शिक्षण में सम्बन्ध की समस्यायें आती हैं।

(iii) पाठ्येत्तर कार्यक्रमों से सम्बन्धित समस्यायें (Problems relating to Extra-curricular Activities) - इनमें विद्यार्थियों में रुचि एवं उत्साह, कार्यक्रमों को अर्थ उद्देश्य, साधनों का अभाव तथा पाठ्यक्रम से इस कार्यक्रम के सम्बन्ध की समस्यायें सम्मिलित हैं।

(iv) विद्यालय के संगठन एवं प्रबन्धन से सम्बन्धित समस्यायें (Problems relating to Organisation and Management of School) - इनमें विद्यालय की विविध क्रियाओं में समन्वय, शैक्षिक वातावरण का निर्माण, अध्यापकों की परस्पर सहमति, अध्यापक एवं छात्र सम्बन्ध के कार्यों का पर्यवेक्षण, अनुसंधान, पुस्तकालय तथा वाचनालय की सुविधायें, कक्षा गृहों की स्वच्छता और आकर्षकता तथा उनकी साज-सज्जा, आयोजकों और विद्यार्थियों के सम्बन्ध, विद्यालय में भावनात्मक एकता और उसके स्तर को ऊँचा बढ़ाने की समस्यायें आती हैं।

क्रियात्मक अनुसंधान का क्षेत्र एवं समस्यायें
(Scope and Problems of Action Research)

क्रियात्मक अनुसंधान का मुख्य कार्य है - विद्यालय की समस्याओं का समाधान करके उसकी गुणवत्ता उन्नत करना। अतः इसका क्षेत्र बहुत व्यापक है और इसमें निम्नलिखित समस्याओं को स्थान दिया जा सकता है -

  1. बाल-व्यवहार से सम्बन्धित समस्यायें।

  2. शिक्षण से सम्बन्धित समस्यायें।

  3. परीक्षा से सम्बन्धित समस्यायें।

  4. विद्यालय-संगठन व प्रशासन से सम्बन्धित समस्यायें।

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