बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान की उपयोगिता को बताइए।
उत्तर -
क्रियात्मक अनुसंधान की उपयोगिता
(Utility of Action Research)
स्टीफन एम. कोरे ने क्रियात्मक अनुसंधान की उपयोगिताओं का उल्लेख निम्नलिखित प्रकार से किया है -
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इसके द्वारा विद्यालय की कार्य-पद्धति में संशोधन और सुधार होता है।
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इसके द्वारा विद्यालय में लोकतान्त्रिक मूल्यों की स्थापना पर बल दिया जाता है।
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यह अध्यापकों में परस्पर स्नेह, सहयोग, सहानुभूति आदि गुणों का संवर्धन करती है।
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यह अध्यापकों, प्रधानाचार्यों, प्रबन्धकों आदि को वैज्ञानिक और वस्तुनिष्ठ विधियों अपनाने के लिये प्रेरित करती है।
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क्रियात्मक अनुसंधान विद्यालय के शैक्षिक एवं प्रशासनिक पर्यावरण को सुधार करने में उपयोगी है।
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यह विद्यार्थी, अध्यापकों, निरीक्षकों और प्रबन्धकों आदि की समस्याओं के समाधान के लिये उपयोगी है।
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इसके द्वारा विद्यालय के क्रियाओं का, प्रभावपूर्ण ढंग से इस प्रकार आयोजन किया जाता है कि विद्यार्थियों का सर्वांगीण एवं सहजसूत्री विकास होता है।
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क्रियात्मक अनुसंधान में सत्त्यों और तथ्यों पर ज़ोर दिया जाता है। इसलिए अध्ययन की जाने वाली परिस्थितियाँ भी वास्तविकता के आधार पर परिवर्तन होता रहता है।
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क्रियात्मक अनुसंधान, अध्यापक के व्यवहार और शिक्षण में परिवर्तन करने से पूर्व उसकी चिन्तन शैली में भी परिवर्तन लाता है।
प्रश्न 4. क्रियात्मक अनुसंधान के महत्व को बताइये।
उत्तर
क्रियात्मक अनुसंधान का महत्व
(Importance of Action Research)
इसका महत्व निम्नलिखित है –
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क्रियात्मक अनुसंधान विद्यालय के शिक्षकों आदि को अपने उत्तरदायित्वों के प्रति जागरूक व सेवाभावी बनाती है और उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करती है।
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शिक्षक विद्यार्थियों की रुचियों, आवश्यकताओं एवं योग्यताओं को समझ करके ऐसी शिक्षण पद्धति को अपना सकते हैं जिससे द्वारा शिक्षकों संकल्पबद्ध हो जाये और प्रत्येक विद्यार्थी के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास होता है।
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क्रियात्मक अनुसंधान द्वारा विद्यार्थियों के विकास हेतु स्कूल में उपयुक्त कार्यक्रम आयोजित किये जा सकते हैं।
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इसके द्वारा विद्यार्थियों की उपलब्धि का स्तर बढ़ाया जा सकता है।
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क्रियात्मक अनुसंधान की सहायता से पाठ्यक्रम का विकास किया जा सकता है।
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इसे द्वारा अनुशासनहीनों को सुधारा जा सकता है।
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क्रियात्मक अनुसंधान के द्वारा विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के बीच सामाजिक कारणों में आई हुई विषमताओं को दूर किया जा सकता है।
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इसके द्वारा किशोर अपराध एवं पिछड़ापन आदि कितनी ही समस्याओं को हल किया जा सकता है।
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क्रियात्मक अनुसंधान से स्कूलों में लोकतांत्रिक यथार्थ वातावरण को स्थापित करके जनतान्त्रिक मूल्यों (Democratic Values) की रक्षा की जा सकती है।
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इसके द्वारा प्रधानाचार्य, निरीक्षक, प्रबन्धक एवं प्रशासनकों के समक्ष आये दिन आने वाली समस्याओं के समाधान में उचित निर्णय लिये जा सकते हैं। इस प्रकार वे अपनी-अपनी क्रियाशीलताओं अथवा कार्यविधियों का उचित मूल्यांकन करके उनके दोषों को दूर कर सकते हैं।
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इसकी सहायता से शिक्षा में नवीन शिक्षण विधियों का प्रयोग किया जा सकता है। प्रोजेक्टर किण्डरगार्डन आदि विधियों क्रियात्मक अनुसंधान की ही देन है।
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क्रियात्मक अनुसंधान शैक्षिक समस्याओं का वैज्ञानिक, वस्तुनिष्ठ, प्रमाणिक तथा उपयोगी हल प्रस्तुत करता है।
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