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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- क्रियात्मक अनुसंधान कौन करते हैं? क्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्य एवं महत्व बताइए।

उत्तर -

सर्वप्रथम शिक्षा के क्षेत्र में क्रियात्मक अनुसंधान का विकास 1926 ई. में हुआ। स्टीफन एम. कोरी ने क्रियात्मक अनुसंधान का शिक्षा की समस्याओं के लिए सर्वप्रथम प्रयोग किया।
कर्तल ल्यूइन ने इसे सामाजिक मनोविज्ञान से सम्बन्धित बताया।

क्रियात्मक अनुसंधान - क्रियात्मक अनुसंधान शैक्षिक अनुसंधान का एक व्यवहारिक रूप है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है- क्रियात्मक+अनुसंधान। अतः क्रिया द्वारा खोज करके किसी नियम पर पहुँचने या किसी परिणाम पर पहुँचने को क्रियात्मक अनुसंधान कहा जाता है।

इस प्रकार के अनुसंधान में अध्यापक अपने नियमित कार्य के साथ ही एक योजनाबद्ध तरीके से शैक्षिक समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करता है। यह एक लघु अनुसंधान कार्य है, जिसके परिणामों में निष्कर्षों का प्रयोग तुरन्त किया जा सकता है।

परिभाषाएँ-

"क्रियात्मक अनुसंधान वह प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत अनुसंधानकर्ता अपनी समस्याओं का समाधान इस उद्देश्य से करता है कि उसके निर्णय तथा कार्यों को उचित दिशा प्राप्त हो, उन्हें सुधारा जा सके, तथा उनका मूल्यांकन सम्भव हो सके।"

  • स्टीफन एम. कोरी

"क्रियात्मक अनुसंधान शिक्षकों, निरीक्षकों एवं प्रशासकों द्वारा अपने निर्णयों एवं कार्यों में गुणात्मक सुधार लाने के लिए किया गया अनुसंधान है।"

  • कार्टर वी. गुड

"क्रियात्मक अनुसंधान वह अनुसंधान है, जिसका प्रयोग व्यक्ति अपने उद्देश्यों को अधिक प्रभावशाली रूप में सम्पादन करने के लिए करता है, एक अध्यापक अपनी शिक्षा में सुधार के लिए तथा विद्यालय का प्रबन्धक अपने प्रशासनिक व्यवहार को सफल संचालन के लिए क्रियात्मक अनुसंधान का प्रयोग करता है।"

  • नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ बेसिक एजुकेशन

क्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ - क्रियात्मक अनुसंधान की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

(1) यह अनुसंधान केवल विद्यालय में उत्पन्न परिस्थितियों और समस्याओं के समाधान पर बल देता है।

(2) विद्यालय की कार्यप्रणाली में सुधार करना।

(3) अनुसंधानकर्ता विद्यालय की ही लोग, प्रधानाचार्य, शिक्षक या प्रबन्धन का कोई व्यक्ति हो सकता है।

(4) विशेष बालकों के लिए यह अनुसंधान उपयोगी है।

(5) यह एक अनुसंधानात्मक शोध प्रणाली है; जिस पर बल रहता है जिससे बच्चे सीखने को बल मिलता है।

(6) रूढ़िवादी विचार और व्यवहार इस अनुसंधान से बदलें जा सकते हैं।

(7) क्रियात्मक अनुसंधान करने वालों के मस्तिष्क में अपनी स्वयं की विधियों में सुधार का विचार सदैव विद्यमान रहता है।

(8) क्रियात्मक अनुसंधान, विद्यालय की वास्तविक परिस्थितियों से सामाजिक परिस्थितियों में किया जाता है।

(9) क्रियात्मक अनुसंधान में विद्यालय के शिक्षक, प्रशासन और निरीक्षक एवं विश्वविद्यालयों के अध्यापक सामान्यतः एक-दूसरे के सहयोग से कार्य करते हैं।

क्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्य - क्रियात्मक अनुसंधान के उद्देश्य इस प्रकार हैं -

(1) विद्यालय की कार्यप्रणाली में सुधार तथा विकास करना।

(2) छात्रों और शिक्षकों में प्रचलित के वास्तविक गुणों का विकास करना।

(3) विद्यालय की कार्यप्रणाली को प्रभावशाली बनाना।

(4) शैक्षिक प्रशासनिक एवं प्रबन्धकों को विद्यालय की कार्य प्रणाली में सुधार तथा परिवर्तन के लिए सुझाव देना।

(5) विद्यालय के परम्परागत वातावरण का समाधान करना।

(6) विद्यालय की दैनिक समस्याओं के अध्ययन का उपयुक्त समाधान करके उसको स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाना।

(7) शिक्षा की प्रवृत्ति, विचार शक्ति, व्यावसायिक भावना और दूसरों के साथ मिलकर काम करने की योग्यता में वृद्धि करता है।

क्रियात्मक अनुसंधान का महत्त्व - इस अनुसंधान का महत्त्व निम्नलिखित है -
(1) इससे पाठ्यक्रम का विकास किया जा सकता है।
(2) इसमें अनुशासनहीनता आदि समस्याओं को आसानी से दूर किया जा सकता है।
(3) क्रियात्मक अनुसंधान में किशोर अपराध तथा पिछड़ापन आदि कितनी ही समस्याओं को हल किया जा सकता है।
(4) इससे विद्यालय के रूढ़िवादी वातावरण को समाप्त करके जनतांत्रिक मूल्यों को स्थापित किया जा सकता है।
(5) क्रियात्मक अनुसंधान में अनुसंधानकर्ता को न्यायिक सम्बन्धी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है। अतः वह समस्या को निकट से देख पाता है और उसे भली प्रकार समझ पाता है।
(6) क्रियात्मक अनुसंधान समूह नियोजन पर बल देता है।

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