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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आशुरचित उपकरणों से आप क्या समझते हैं? आशुरचित उपकरणों की भौतिक विज्ञान-शिक्षण में उपयोगिता बताते हुए इन उपकरणों के उपयुक्त सृजन एवं प्रयोग हेतु सुझाव दीजिए।

अथवा
आशुरचित उपकरण का अर्थ स्पष्ट करते हुए इसके महत्व को बताइए! इन उपकरणों के प्रयोग हेतु सुझाव दीजिए।

समन्वित लघु उत्तरीय प्रश्न

  1. आशुरचित उपकरण का क्या अर्थ है?
  2. आशुरचित उपकरणों की उपयोगिताओं को बताइए।
  3. आशुरचित उपकरणों के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए। (कानपुर 2017)
  4. आशुरचित उपकरण के प्रयोग हेतु सुझाव दीजिए।
  5. आशुरचित उपकरण का निर्माण विज्ञान शिक्षक के लिए किस प्रकार उपयोगी है? (कानपुर 2019)

उत्तर -

आशुरचित उपकरण
(Improvised Apparatus)

किसी भी विषय का शिक्षण, प्रभावशाली बनाने में शिक्षण सहायक सामग्री का विशेष महत्त्व होता है। इसकी सहायता से कठिन जान पड़ने वाले तथ्य भी बालकों को सहज रूप से सीखने से, विद्यार्थियों में औपचारिक अभिरुचि के विकास के लिए शिक्षण में प्रदर्शन और प्रयोग करने पर विशेष बल दिया जाता है, परन्तु भारत जैसे विकासशील देश में शिक्षण में प्रभावपूर्ण प्रदर्शन एवं प्रयोग के लिए उपकरण एवं अपेक्षित उपकरणों का अभाव एक गम्भीर समस्या है। यदि कभी स्कूल जाने वाले बच्चों को वैज्ञानिक विधियों में प्रशिक्षित करना है और उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण की अभिवृद्धि करनी है, तो इसके लिए पूर्ण सुसज्जित प्रयोगशालाओं की व्यवस्था करनी होगी। इसके लिए पर्याप्त धन की आवश्यकता होगी। किसी भी विषय को सम्बद्धता आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करने में आशुरचित उपकरण एक विकल्प है। इनके प्रयोगशालाओं हेतु अपेक्षित उपकरण उपलब्ध हो सकते हैं और धन के अभाव की भी कोई समस्या नहीं होगी क्योंकि, घरों एवं अन्य उपलब्ध सामग्री से साधारण प्रयोगशालीय उपकरण तैयार किये जा सकते हैं। इसमें शिक्षक और विद्यार्थियों की सक्रियता एवं लगन विशेष अपेक्षित है। हमारे शिक्षण अतीत के महान गणितज्ञ, वैज्ञानिक, विचारकों से प्रेरणा ले सकते हैं, जिनके पास न तो धन था, और न ही मूल्यवान उपकरण और प्रयोगशालाएँ, फिर भी उन्होंने उपकरण दशाओं में स्वयं निर्मित उपकरणों से अपने प्रयोग सफलता पूर्वक सम्पन्न किये थे और महत्वपूर्ण खोजें भी की। अतः शिक्षक को आशुरचित उपकरणों का निर्माण करना चाहिए तथा उनकी सहायता से शिक्षण को प्रभावशाली बनाना चाहिए।

आशुरचित साधारण उपकरणों के उदाहरण
(Example of Simple Improvised Apparatus)

आशुरचित साधारण उपकरणों के उदाहरण निम्नलिखित हैं, जिन्हें सरलता से बनाया जा सकता है -

1.चार्ट्स,
2. प्रतिरूप,
3. रेखाचित्र,
4. संख्यात्मक चित्र कार्ड,
5. ज्यामिति उपकरण,
6. आदि।

इन उपकरणों के अतिरिक्त प्रत्येक विषय में अनेक ऐसे उपकरण बनाये जा सकते हैं जिनका उपयोग शिक्षण सहायक सामग्री के रूप में किया जा सकता है।

आशुरचित उपकरणों की उपयोगिता
(Utility of Improvised Apparatus)

  1. आर्थिक दृष्टि से लाभप्रद (Beneficial for Economic Point of View) - इनको बनाने में बहुत कम खर्च पड़ता है। कई बार इन पर बिल्कुल भी खर्च नहीं पड़ता। अतः अध्यापक के सामने प्रयोग-परिक्षण आदि करने में जो धन सम्बन्धी कठिनाई आती है, वह आसानी से हल की जाती है।

  2. मनोवैज्ञानिक महत्त्व (Psychological Importance) - बच्चे स्वभाव से ही क्रियाशील होते हैं। जहाँ उनको क्रियात्मक कार्य करने तथा अपनी स्वतन्त्रता अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने का पूर्ण अवसर मिलता है। जब भी वे कोई वस्तु निर्मित करते हैं इस प्रकार से बालकों की स्वाभाविक रुचियों एवं मानसिकताओं का पूर्ण-पूरा विकास होता है तथा उसकी शक्तियों एवं सामर्थ्य को उचित मोड़ मिल जाता है।

  3. शैक्षिक मूल्य (Educational Value) - मूल्य उपकरण को स्वयं तैयार करने और उसे व्यवहार में लाने योग्य बनाने से विद्यार्थियों सम्बन्धित सिद्धान्त एवं कार्य-प्रणाली को बहुत सुगम अध्ययन करते हैं। छात्र जब परम्परागत सामग्री को और विविध सम्बन्धों के कारण उन्हें विचारों में जल्दी पकड़ पाने की सम्भावना में बहुत सहायता मिलती है। दूसरा, जब विद्यार्थी अपने बनाये हुए उपकरणों को प्रयोग में लाते हैं तो उनके अन्दर वैज्ञानिक आधार एवं कुछ व्यक्तिगत सम्बन्ध से हो जाते हैं, जिससे वे उनके प्रयोग से जानकारियों को आसानी से ग्रहण कर लेते हैं।

  4. वैज्ञानिक स्वभाव एवं योग्यता उत्पन्न करना (Creation of Scientific Nature and Ability) - विद्यार्थियों में वैज्ञानिक स्वभाव और योग्यता उत्पन्न करने में भी इनसे सहायता मिलती है। जैसे, इनके प्रयोग से -
    (1) छात्रों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का समुचित विकास किया जा सकता है।
    (2) वैज्ञानिक विधि से समस्या का सामना करने और उसके समाधान का प्रशिक्षण मिलता है।
    (3) विद्यार्थियों को अपनी मानसिक शक्तियों को विकसित करने का अवसर मिलता है।
    (4) विद्यार्थियों में संकल्प शक्ति तथा आत्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण बनाए रखने और अपने कार्य का स्वयं मूल्यांकन करने रहकर अपनी कमियों को स्वीकार कर सुधारने की आदत डाली जाती है।
    (5) बच्चों में नए प्रयोग करने तथा नए आविष्कार एवं अन्वेषण करने की प्रेरणा उत्पन्न होती है।
    (6) बच्चों में मूर्त योग्यता (Designing Faculty) उत्पन्न की जा सकती है तथा उसका समुचित विकास करने का भी अवसर मिलता है।

  5. मनोरंजन सम्बन्धी मूल्य (Recreational Value) - इसका मनोरंजन सम्बन्धी मूल्य भी कुछ कम नहीं है। नये-नये उपकरणों को अपने आप तैयार करने में बच्चों को बहुत ही अधिक प्रसन्नता होती है, विशेषकर जब अपना बनाया हुआ उपकरण वे प्रयोग में लाते हैं, तो वह उसकी सफलता पर वे नाच उठते हैं। इसके अतिरिक्त अपने हाथ से वैज्ञानिक उपकरणों एवं सामग्री का निर्माण अपने आप में एक बहुत ही स्वस्थ एवं उपयोगी शैक्षिक कार्य (Scientific Hobby) है, जिससे विद्यार्थी अपने खाली समय का सदुपयोग करने की शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं।

  6. सामाजिक मूल्य (Social Value) - स्वयं निर्मित यन्त्रों का सामाजिक मूल्य भी है, जो इस प्रकार है -

    (1) विद्यार्थियों में अपने हाथ से कार्य करने की आदत पड़ती है। फिर वे प्रत्येक कार्य के लिए दूसरों का मुँह नहीं देखते हैं।

    (2) प्रायः मजदूर और परिश्रम करने वालों को बुद्धिजीवी अपने से नीचा समझकर हेय दृष्टि से देखते हैं, परन्तु इन उपकरणों का निर्माण करने में गरीब-अमीर, ऊँच-नीच तथा नीची जाति और वर्ग के विद्यार्थी बिना किसी भेदभाव के परिश्रम करते हैं। इस तरह से आज के समाजवाद के बाँधे हुए बन्धन में बहुत सहायता मिलती है।

  7. उपकरणों का उचित उपयोग (Proper Use of Apparatus) - स्वयं निर्माण करने में विद्यार्थियों को यह पता चलता है कि किसी वस्तु का निर्माण कितना कठिन है तथा ही उन्हें वैज्ञानिकों द्वारा तैयार और आविष्कृत यन्त्रों का सही-सही मूल्य मालूम पड़ता है। यह अनुभव होने पर वे यन्त्रों का ठीक प्रकार उपयोग में लाने और सम्भाल कर रखने में रुचि लेते हैं।

  8. वैज्ञानिक प्रतिभा की खोज (Searching Scientific Talent) - वैज्ञानिक उपकरणों का निर्माण करते समय अध्यापक विद्यार्थियों के अधिक समीप आ सकता है। वह अच्छी तरह जान सकता है कि किस विद्यार्थी में विशेष वैज्ञानिक प्रतिभा अथवा यान्त्रिक योग्यता है। प्रत्येक प्रतिभाशाली छात्र को अपनी प्रतिभा को ठीक प्रकार से चमकने का अवसर दिया जा सकता है।

आशुरचित उपकरणों के सृजन एवं उपयोग हेतु सुझाव
(Suggestions for Creations and Use of Improvised Apparatus)

इन उपकरणों के सृजन एवं उपयोग हेतु निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं -

  1. इन उपकरणों का निर्माण शिक्षक को विद्यार्थियों के समक्ष स्वयं करना चाहिए और विद्यार्थियों को भी इन उपकरणों को बनाने के लिए प्रेरित एवं उत्साहित करना चाहिए।

  2. कक्षा शिक्षण में इन उपकरणों का उपयोग अध्यापक को करना चाहिए।

  3. इन उपकरणों को बनाने में घरेलू उपलब्ध वस्तुओं का ही उपयोग करना चाहिए।

  4. इन उपकरणों का निर्माण विद्यार्थियों से प्रयोगशाला या कक्षा में ही कराना चाहिए।

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