बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि से आप क्या समझते हैं ? इस विधि के गुण-दोष बताइए।
अथवा
सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि एवं संचालन के चरणों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
आप सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि से क्या समझते हैं ? इसको सामाजिक अध्ययन में किस प्रकार व्यवहार में लाया जा सकता है ?
समन्वित लघु उत्तरीय प्रश्न
- सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि से क्या तात्पर्य है ?
- सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि का सामाजिक अध्ययन में प्रयोग बताइए।
- सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि के गुण व दोष बताइए।
उत्तर -
सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि
(Socialised Recitation Method)
समाज एक आवश्यक आवश्यकता है। आधुनिक युग में कक्षा-कक्ष में सामाजिक प्रक्रियाओं के प्रयोग की प्रवृत्ति लगातार बढ़ती जा रही है, परिणामस्वरूप शिक्षण में एक नवीन एवं प्रभावशाली विधि को प्रमुख स्थान दिया जा रहा है, जिसे सामाजिकृत अभिव्यक्ति के नाम से जाना जाता है। आधुनिक समय में सामाजिकृत अभिव्यक्ति शिक्षण की एक प्रभावशाली पद्धति मानी जाती है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद आधुनिक सामाजिकृत अभिव्यक्ति एक आदर्श रूप शिक्षण में प्रयुक्त की जा रही है, जिससे कक्षा के सभी बालक सहयोग तथा सद्भावनापूर्वक ज्ञानार्जन कर सके। इसके द्वारा कक्षा के वातावरण की कृत्रिमता को समाप्त किया जाता है और उसके स्थान पर स्वाभाविक वातावरण प्रदान किया जाता है, जिससे बालक आनन्द एवं रुचि के अनुसार स्वतन्त्रतापूर्वक सहयोग से ज्ञान प्राप्त करता है।
सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि के सन्दर्भ में बाइनिंग व बाइनिंग ने कहा है कि - “सामाजिकृत अभिव्यक्ति को सामाजिक वाद-विवाद कहा जा सकता है।” सामाजिकृत अभिव्यक्ति की वास्तविक एवं स्पष्ट परिभाषा के सन्दर्भ में विद्वानों में एक राय नहीं है। कुछ इसके अर्थ एवं परिभाषा को सन्दर्भित रूप में व्याख्या करते हैं। ऐसे लोगों का विचार है कि सामाजिकृत अभिव्यक्ति वह प्रक्रिया है जिसमें शिक्षक अपना सम्पूर्ण अधिकार ना रखकर उसे छात्रों को सौंपकर स्वयं को कक्षा की कार्यवाही में मुखर करते हैं। जबकि कुछ विद्वान इसे उद्धृत एवं विस्तृत दृष्टिकोण से देखते हैं। उनका मानना है कि “कोई भी कक्षा चाहे जो हो, उस वर्ग के रूप में सामाजिक चेतना एवं व्यक्तिगत विचारों को प्रकट करने का प्रदर्शन करे, वहीं सामाजिकृत अभिव्यक्ति है।”
सामाजिकृत अभिव्यक्ति छात्रों में सामाजिकता उत्पन्न करती है। इसमें वाद-विवाद पद्धति के द्वारा गोलमेज़ बैठक समूहिक रूप से अध्ययन करते हैं। इस अध्ययन विधि को स्पष्ट करते हुए पुगमैन ने कहा है कि “सामाजिकृत अभिव्यक्ति व्याख्यान पद्धति की अपेक्षा छात्रों को सहयोग के लिए अधिक अवसर प्रदान करती है। यह एक सामान्य सामाजिक वाद-विवाद विधि है जिसमें सभी बालक अपना योगदान प्रश्न पूछकर तथा समस्या के समाधान के लिए प्रयास करते सहयोगी ढंग से भाग लेते हैं।”
सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि का सामाजिक अध्ययन में प्रयोग
(Application of Socialised Recitation Method in Social Studies)
बाइनिंग तथा बाइनिंग ने सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि के प्रयोग के निम्नलिखित रूप बताये हैं -
(1) औपचारिक समूह योजना - सामाजिकृत अभिव्यक्ति की औपचारिक समूह योजना के अन्तर्गत छात्र अपने आप को व्यवस्थित करके कार्य करते हैं। जिस प्रकार प्रौढ़ों का समूह अपने लक्ष्य, क्रियाएँ, सीमाएँ बनाकर किसी समस्या का व्यवस्थित ढंग से हल खोजते हैं, उसी प्रकार छात्र का समूह भी संगठित होकर नियन्त्रित समस्याओं एवं विचार-विषयों का हल खोजते हैं।
(2) अनौपचारिक समूह योजना - अनौपचारिक समूह योजना के अन्तर्गत किसी प्रकार की व्यवस्थित योजना नहीं होती है, न तो कोई समय नियन्त्रित होता है, न स्थान नियन्त्रित होता है और न ही समस्या का चयन होता है। इसमें छात्र तथा अध्यापक स्वतन्त्र रूप से किसी भी समस्या पर विचार-विनिमय करके उचित हल खोजते हैं।
(3) आत्म-निर्देशन समूह योजना - आत्म-निर्देशन समूह योजना उच्च कक्षाओं के लिए अत्यन्त उपयोगी है। इस पद्धति में शिक्षक को बहुत ही कम बोलना पड़ता है, छात्र समस्याओं पर वाद-विवाद करके उनका हल स्वयं ही निकाल लेते हैं। यह विधि छोटी कक्षाओं के लिए उपयोगी नहीं है।
(4) सेमिनार का आयोजन - सेमिनार अधिकांशतः कॉलेज स्तर पर आयोजित किये जाते हैं। इस विधि में किसी एक छात्र को कोई एक समस्या दे दी जाती है। वह समूह उस विषय को पूरी तरह से खोजबीन करके एक आलेख तैयार करता है। अध्यापक के लिए सेमिनार में प्रस्तुत वक्ताओं के सेमिनार में सभी उस विषय पर अपने विचार तथा पक्ष तथा विपक्ष में प्रकट करते हैं। निष्कर्षतः उस समस्या के निराकरण के लिए सुझाव दिये जाते हैं तथा सामूहिक रूप से एक प्रतिवेदन तैयार किया जाता है।
सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि के गुण तथा दोष
(Merits and Demerits of Socialised Recitation Method)
गुण (Merits) - सामाजिकृत अभिव्यक्ति विधि के निम्नलिखित गुण हैं -
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इस विधि के माध्यम से छात्र सामाजिक बनना सीख जाते हैं।
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इससे छात्रों में आत्मविश्वास उत्पन्न किया जा सकता है।
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इस विधि द्वारा छात्रों के समान उद्देश्यों तथा रुचियों की खोज की जाती है।
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इससे छात्र वाद-विवाद में भाग लेना सीख जाते हैं।
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इससे छात्रों में स्वतन्त्र विचारों की नींव डाली जाती है।
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इस विधि द्वारा छात्रों की प्रेरणा-शक्ति को प्रोत्साहित किया जाता है।
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इस विधि से छात्रों में आत्म-निर्णय की प्रवृत्ति विकसित होती है।
दोष (Demerits) - इस विधि के निम्नलिखित दोष हैं :
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यह विधि विषय-वस्तु पर सम्पूर्ण अधिकार (Adequate Mastery) करने के लिये उपयोगी नहीं है।
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इस विधि से कुछ छात्र ही सम्पूर्ण कार्य को संचालित करते हैं; अन्य छात्रों को इससे कोई लाभ नहीं मिल पाता।
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इस विधि द्वारा कार्य के वाद-विवाद में अधिकांश छात्रों का समय नष्ट होता है।
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