बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- निरीक्षित अध्ययन विधि को उपयुक्त उदाहरण द्वारा समझाइए। इस विधि से क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
सामाजिक विज्ञान शिक्षण की निरीक्षित अध्ययन विधि का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए। इस विधि के गुण-दोष भी बताइए।
समन्वित लघु उत्तरीय प्रश्न
- निरीक्षित अध्ययन विधि से क्या आशय है ?
- निरीक्षित अध्ययन विधि के प्रयोग की योजनाएँ बताइए।
- निरीक्षित अध्ययन विधि के गुण-दोषों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
निरीक्षित अध्ययन विधि
(Supervised Study Method)
निरीक्षित अध्ययन विधि का जन्म मनोवैज्ञानिक, परीक्षणों द्वारा हुआ, इसलिए यह विधि बालक की रुचियों को ध्यान देती है। इसके द्वारा छात्र स्वतः क्रियाशील रहकर सीखता है। यह विधि द्वारा पुरातन विधियों के दोषों को दूर किया जा सकता है। इस विधि का प्रयोग अध्ययन-कक्ष या अध्ययनशाला में पूर्व-नियोजित कार्य के सम्बन्ध में किया जाता है और उसका शिक्षकों द्वारा निरीक्षण एवं निर्देशन किया जाता है। इस विधि को “निर्देशित अध्ययन पद्धति” (Directed Study Method) के नाम से भी पुकारा जाता है। सामाजिक विषयों के शिक्षण में यह विधि बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है। जैसेकि हम जानते हैं कि सामाजिक अध्ययन वह अध्ययन है जिसमें विभिन्न क्रियाओं, योजनाओं, समस्याओं आदि का समावेश होता है। इनके शिक्षण के लिए यह विधि अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुई है। इससे छात्रों को कार्य दे दिया जाता है। इसके उपरान्त छात्र अपने-अपने कार्य में संलग्न हो जाते हैं और शिक्षक उनके कार्य का निरीक्षण करता है। इसके अतिरिक्त वह निर्देशन भी प्रदान करता है। निर्देशन हेतु समूह रूप से एक और शिक्षक भी नियुक्त किया जा सकता है। छात्र शिक्षक से अपनी कठिनाइयों एवं समस्याओं का समाधान कराते रहते हैं। कुछ विद्वानों का मत है कि इस पद्धति के प्रयोग से छात्रों की शिक्षात्मक की समस्त क्रियाओं का निरीक्षण एवं निर्देशन किया जाता है। परन्तु यह ठीक प्रतीत नहीं होता, क्योंकि अध्ययनशाला में उन्हीं क्रियाओं का निरीक्षण एवं निर्देशन हो पाता है जिन्हें नियत कार्य से सम्बन्धित है। वस्तुतः यह एक रीति या प्रविधि (Technique) है जिसका प्रयोग अन्य पद्धतियों के साथ में किया जा सकता है, परन्तु कुछ विद्वान इसे पृथक् विधि के रूप में ग्रहण करते हैं।
निरीक्षित अध्ययन विधि का प्रयोग
(Use of Supervised Study Method)
प्रो बाइनिंग व बाइनिंग ने इसके प्रयोग के लिए निम्नलिखित योजनाएँ प्रस्तुत की हैं -
(1) सम्मेलन योजना - इस योजना द्वारा पिछड़े हुए बालकों की शिक्षा को उपयुक्त ढंग से प्रवाहित हो जाता है। इसके द्वारा उन बालकों को शिक्षा दी जाती है जो कक्षा के अन्य विद्यार्थियों के साथ नहीं चल पाते। इनकी विशेष आवश्यकताएँ आपेक्षित करके शिक्षा प्रदान की जाती है। इस योजना द्वारा इनकी व्यक्तिगत कठिनाइयों का समाधान सुविधापूर्वक किया जाता है। यह योजना विशेष रूप से समकक्ष प्रतीत होती है।
(2) विशिष्ट शिक्षक योजना - यह योजना सम्मेलन योजना से सम्बन्धित है। इससे छात्र को विशिष्ट अध्यापक या अतिरिक्त शिक्षक नियुक्त करके सहायता प्रदान की जाती है। इसके द्वारा छात्रों को अतिरिक्त अध्ययन एवं निर्देशन प्राप्त हो जाता है।
(3) काल-विभाजन योजना - इस योजना के अन्तर्गत छात्रों को अध्ययन हेतु कार्य दे दिया जाता है जिसका निर्देशन एक शिक्षक द्वारा तथा निरीक्षण दूसरे शिक्षक द्वारा किया जाता है। यह योजना नियतव्य है क्योंकि निरीक्षण करने वाला शिक्षक कम समय में बहुत से छात्रों की कठिनाइयों एवं समस्याओं को जानने में समर्थ हो जाता है तथा निर्देशन करने वाला अध्यापक भी कम समय में अधिक-से-अधिक छात्रों को निर्देशित कर सकता है।
(4) त्रि-काल योजना - इसमें पाठ्य-वस्तु के समय छात्रों के लिए प्रदान कर दी जाती है। प्रथम समय चक्र में छात्रों को नियत कार्यों से सम्बन्धित बातें का ज्ञान कराया जाता है तथा दूसरे में वे निरीक्षण या निर्देशित अध्ययन करते हैं। बेवेन ने 90 मिनट के समय को अधोलिखित रूप में विभक्त किया है -
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पुनर्निरीक्षण (Revision) - 25 मिनट
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कार्य-निर्देशन (Assignment) - 25 मिनट
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शारीरिक व्यायाम (Phisical Excercise) - 5 मिनट
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नियतित कार्य का अध्ययन (Study of Assignment) - 35 मिनट
(5) सामायिक योजना - निरीक्षण अध्ययन की यह योजना क्रमिक रूप से प्रस्तुत न करके सामायिक रूप से प्रयोग में लायी जाती है। शिक्षक इसका प्रयोग महीने में एक बार या दो बार कर सकता है। उदाहरणार्थ -
नियतित कार्य - गीति-प्रथा
शिक्षक इस पद्धति के प्रयोग के लिए छात्रों को दो भागों में विभक्त कर सकता है - पिछड़े बालकों का वर्ग तथा सामान्य बालकों का वर्ग। यह समस्त छात्रों को एक ही वर्ग में रखकर अपने कार्य का निर्धारण करेगा। गीति-प्रथा में विषय को शिक्षार्थ प्रस्तुत करने हेतु शिक्षक एक गीत प्रस्तुत करेगा और विषय विवेचन में स्वयं प्रवृत्त न होकर बालकों द्वारा संवाद शैली में विषय जानकारी के आधार पर गीत गवाकर उनका सन्तोष प्राप्त करेगा। इस प्रकार निरीक्षण अध्ययन पद्धति बालकों एवं सामाजिक दोनों ही प्रकार की कठिनाइयों एवं समस्याओं का समाधान करेगी। इस समय वह कार्य से सम्बन्धित सामान्य विषय में छात्रों को निर्देशन भी करेगा।
निरीक्षित अध्ययन विधि के गुण (Merits of Supervised Study Method) - इस विधि के गुण अथवा लाभ को निम्न प्रकार से समझा जा सकता है -
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निरीक्षित अध्ययन विधि विषय की समस्या को हल करने में बहुत सहायक है।
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इस विधि के द्वारा व्यावहारिक निर्धारण के अनुरूप शिक्षा दी जाती है; जो इस पद्धति का प्रमुख गुण है।
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इस विधि के माध्यम से छात्र तथा अध्यापक के सम्बन्ध अच्छे हो जाते हैं।
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यह विधि पिछड़े बालकों को जीवन ढंग से शिक्षा देने में लाभकारी है।
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इस विधि के प्रयोग से छात्रों में विभिन्न कुशलताओं, गुणों तथा आदतों का विकास होता है।
निरीक्षित अध्ययन विधि के दोष (Demerits of Supervised Study Method) -
निरीक्षित अध्ययन विधि के दोष निम्नलिखित हैं -
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यह विधि अधिक खर्चीली है तथा इसमें समय भी अधिक लगता है।
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इस विधि में कभी-कभी छात्रों की आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की प्रवृत्ति को आघात पहुँचता है।
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