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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- प्रोजेक्ट अथवा योजना विधि क्या है? सामाजिक अध्ययन शिक्षण में इसका प्रयोग किस प्रकार किया जा सकता है? उत्तर की पुष्टि उदाहरण देकर कीजिए।

अथवा
योजना विधि का अर्थ एवं परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए। सामाजिक विज्ञान शिक्षण में इस विधि के लाभ भी बताइए।
अथवा
योजना विधि का अर्थ एवं विशेषताओं की विवेचना कीजिए।
अथवा
सामाजिक विज्ञान शिक्षण में योजना विधि से आप क्या समझते हैं? इस विधि के गुण-दोषों की चर्चा कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न

  1. योजना विधि क्या है? स्पष्ट कीजिए।

  2. योजना विधि के सामान्य सिद्धान्त बताइए।

  3. योजना विधि की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

  4. योजना विधि अथवा प्रोजेक्ट पद्धति के लाभ बताइए।

उत्तर -

योजना विधि अथवा प्रोजेक्ट विधि
(Project Method)

योजना अथवा प्रोजेक्ट विधि की उत्पत्ति दार्शनिक विचारधाराओं के प्रयोगजन्यतम सम्प्रदाय के फलस्वरूप हुई। यह विधि जॉन ड्यूई (John Dewey) के शिक्षासम्बन्धी मत तथा समस्या विधि के स्वाभाविक विकास से विकसित हुई। यौकम एवं सिम्पसन (Youkam and Simpson) का मत है कि योजना विधि का प्रयोग सबसे पहले व्यवसायिक क्षेत्र में किया गया था। शिक्षा के क्षेत्र में इसका प्रयोग कोलम्बिया विश्वविद्यालय के प्रो. जॉन ड्यूई तथा उनके शिष्य किलपैट्रिक द्वारा किया गया। ड्यूई शिक्षा के तत्कालीन रूप एवं व्यवस्था से असन्तुष्ट थे तथा वे चाहते थे कि शिक्षा छात्रों को व्यावसायिक अथवा व्यावहारिक जीवन से परिचित कराये।

योजना विधि की परिभाषा (Definition of Project Method) - योजना को विभिन्न विद्वानों ने निम्न-लिखित रूप में परिभाषित किया है, जो निम्नलिखित हैं -

किलपैट्रिक के अनुसार - "प्रोजेक्ट वह सहस्वरूप अभियाय युवा क्रिया है जो पूर्ण स्वतन्त्रता के साथ सामाजिक वातावरण में की जाए।"

बैलार्ड के अनुसार - "प्रोजेक्ट वास्तविक जीवन का एक छोटा-सा अंश होता है जिसे विद्यालय में सम्पन्नित किया जाता है।"

टॉमस और लैंग के अनुसार - “प्रोजेक्ट इच्छानुसार किया जाने वाला ऐसा कार्य है, जिसमें रचनात्मक प्रयास अथवा विचार हो और जिसका कुछ सकारात्मक परिणाम भी हो।”

योजना विधि की विशेषताएँ
(Characteristics of Project Method)

एक श्रेष्ठ तथा सफल योजना की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -

  1. योजना मिलवायी होनी चाहिए।

  2. योजना के कार्य में, लिए सृजनात्मक एवं रोचक होने चाहिए।

  3. योजना का कार्य ऐसा सामूहिक रूप से उपयोगी होना अनिवार्य है।

  4. योजना में विभिन्न प्रकार की अनेक क्रियाओं का समावेश होना चाहिए।

  5. योजना सम्बन्धी सामग्री ऐसी होनी चाहिए जो स्कूलों अथवा उनके आसपास उपलब्ध हो सके। दूसरे शब्दों में, छात्रों को इसके प्रयोग में कोई कठिनाई नहीं होनी चाहिए।

योजना विधि के लाभ
(Advantages of Project Method)

प्रोजेक्ट पद्धति एक ऐसी योजना है जिसका प्रयोग किसी सामाजिक समस्या के समाधान हेतु किया जाता है। प्रो० किलपैट्रिक के अनुसार, “प्रोजेक्ट वह उद्देश्यपूर्ण कार्य है जो सामाजिक वातावरण में पूर्ण स्वतन्त्रता से किया जाए।”

प्रोजेक्ट पद्धति के प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं -

  1. प्रोजेक्ट पद्धति से छात्रों को विभिन्न सामाजिक सिद्धान्तों तथा मनोवैज्ञानिक नियमों का ज्ञान प्राप्त होता है।

  2. इस पद्धति के द्वारा शिक्षण से छात्रों को सीखने के विभिन्न नियमों, विभिन्न मनोवृत्तियों, डिजाइनों तथा उद्देश्यों का ज्ञान प्राप्त होता है।

  3. सामाजिक विज्ञान शिक्षण में प्रोजेक्ट पद्धति के द्वारा अनुभव, विभिन्न क्षेत्रों में विचारशीलता, सामाजिक कुशलता इत्यादि को विकसित करने में सहायता प्राप्त होती है।

  4. सामाजिक विज्ञान शिक्षण में योजना/प्रोजेक्ट पद्धति के द्वारा जीवन से सम्बन्धित वास्तविक समस्याओं का उद्देश्यपूर्ण ज्ञान प्राप्त होता है।

  5. योजना पद्धति के द्वारा हम विभिन्न विषयों का अध्ययन एक सम्मिलित एकीकृत रूप में कर सकते हैं।

  6. प्रोजेक्ट पद्धति द्वारा नागरिकशास्त्र के शिक्षण को मौलिकता तथा प्रभावशीलता की दृष्टि से अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है।

  7. प्रोजेक्ट पद्धति के द्वारा छात्रों एवं नागरिकों को लोकतंत्र का प्रशिक्षण प्रदान करके उनमें सामाजिक, राजनीतिक एवं नागरिक गुणों की समझ विकसित करने में अधिक सफलता मिलती है।

  8. यह पद्धति व्यक्तिगत विभिन्नताओं के आधार पर पिछड़े एवं अति प्रतिभाशाली छात्रों के लिए लाभकारी है।

परियोजना विधि के दोष
(Demerits of Project Method)

सामान्यतः प्रोजेक्ट विधि के जहाँ लाभ हैं वहाँ इसकी कुछ हानियाँ भी हैं जो निम्नलिखित हैं -

(1) श्रम अधिक खर्च होता है।

(2) उच्च स्तर पर केवल प्रोजेक्टर से शिक्षण नहीं किया जा सकता।

(3) परियोजनाओं के लिए उपकरणों तथा प्रयोगशालाओं की आवश्यकता होती है।

(4) योजना के लिए उचित सन्दर्भ साहित्य का अभाव हो सकता है।

(5) यह प्रत्येक विद्यालय में सम्भव नहीं है।

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