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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- समूह चर्चा से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ एवं उद्देश्य बताइए।

उत्तर-

समूह चर्चा विधि - समूह चर्चा एक ऐसी विधि है जिसमें आठ अथवा दस सदस्य होते हैं, निश्चित पाठ्य बिन्दु (समस्या) पर एक-एक करके अपने विचार प्रस्तुत करते हैं तथा आपस में प्रश्न पूछकर समस्या का समाधान निकालते हैं।

समूह चर्चा विधि की परिभाषा - समूह चर्चा अथवा वार्तालाप की तैयारी करना आवश्यक होता है। प्रश्नों का चुनाव करना पड़ता है। तथा इस प्रकार पर अपने आदर्श तथा मूल्यों के आधार पर अपने विचार-विमर्श करते हैं तथा आपस में पूछे गए प्रश्नों के उत्तर एक-दूसरे को समूह करते हैं।

हर्बर्ट शेली के अनुसार -

(1)  समूह चर्चा उस समय होता है जब व्यक्तियों का एक समूह सामान्य उद्देश्य के लिए विचारों का आदान-प्रदान करता है।”

(2) वक्ताओं को निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है तथा वक्ताओं को प्रकरण सम्बन्धी अपने विचारों को प्रस्तुत करने की स्वतंत्रता दी जाती है।

(3) उच्च कक्षाओं में विशेष प्रकारों तथा समस्याओं के सम्बन्ध में व्यापक जानकारी दी जाती है।

(4) समायोजन तथा सहयोग की भावनाओं का विकास किया जाता है।

(5) मूल्यांकन तथा संश्लेषण की क्षमताओं का विकास किया जाता है।

(6) प्रकरण या समस्या सम्बन्धी दोनों प्रकार के विरोधी तथा पक्षीय विचारों को सुनने तथा जानने का अवसर मिलता है।

समूह चर्चा विधि के उद्देश्य - समूह चर्चा विधि के उद्देश्य निम्नांकित हैं -

(1) किसी तत्कालीन समस्या के विभिन्न पक्षों की जानकारी तथा उन्हें पहचानने की क्षमताओं का विकास करना।
(2) किसी प्रकरण के विभिन्न पहलुओं को पहचानना और उन्हें बौद्धिक बनाना।
(3) प्रकरण एवं समस्या सम्बन्धी निर्णय लेने की क्षमताओं का विकास करना।
(4) विद्यार्थियों एवं भागीदारों में व्यापक दृष्टिकोण का विकास करना।
(5) प्रकरण एवं समस्या सम्बन्धी शंकाओं एवं कठिनाइयों के समाधान एवं स्पष्टीकरण का अवसर देना।

(6) सामूहिक चर्चा का प्रमुख उद्देश्य ज्ञानात्मक पक्ष के उच्च पक्षों का विकास करना है।

सामूहिक चर्चा विधि की प्रक्रिया -

सामूहिक चर्चा की व्यवस्था किसी विभाग, संस्था या संगठन द्वारा की जाती है। अनुदेशक या व्यवस्थापक सामूहिक चर्चा प्रकरण या समस्या का निर्धारण करते हैं, जिसकी घोषणा करते हैं। सामूहिक चर्चा का स्थान व विधियों तथा समय निर्धारण करते हैं। समस्या के विभिन्न पक्षों को विभिन्न वक्ताओं को प्रस्तुत करने के लिए निर्धारित वक्ता के लिए समय भी निश्चित कर दिया जाता है। सभी वक्ताओं के प्रस्तुतिकरण के पश्चात् अध्यक्ष एक समीक्षा प्रस्तुत करता है तथ्पश्चात् समस्या प्रस्तुति का आलेख तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से लिखित रूप में भी आयाम प्रस्तुत होते हैं और प्रकरण के समय में सभी श्रोताओं एवं वक्ताओं को वितरित कर दी जाती है। सामूहिक चर्चा में श्रोताओं को अन्तःप्रश्नों का अवसर नहीं दिया जाता है अपितु वे वक्ताओं के प्रवचनों एवं विचारों को ध्यानपूर्वक सुनते हैं। जो वक्ता प्रकरण एवं समस्या के पक्ष में बोलता है, वह अध्यक्ष का एक और तथा विरोधी विचार वाला दूसरी ओर खड़ा होता है।

समूह चर्चा विधि के समय ध्यान देने योग्य बातें -

(1) प्रथम सावधानी अनुदेशक / व्यवस्थापक को यह रखनी चाहिए कि वक्ताओं ने अपने प्रवचनों को अच्छी प्रकार तैयार कर लिया है या नहीं। वे सामूहिक चर्चा की प्रक्रिया व प्रस्तुतिकरण के नियमों में भी भली-भाँति परिचित हैं या नहीं। इसके साथ ही साथ उसे अपने वक्ताओं के विचारों की पुनरुक्ति नहीं करनी चाहिए।

(2) साधारणतः सभी वक्ताओं को अन्त में प्रश्नों के स्पष्टिकरण के लिए अवसर देना चाहिए। कभी-कभी वातावरण में परिवर्तन लाने के लिए अध्यक्ष बालकों को प्रश्न पूछने का अवसर देता है।

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