बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय 6 - शिक्षण विधियाँ : व्याख्यान सह प्रदर्शन, योजना, समाजीकृत अभिव्यक्ति, स्रोत, परिवेशित अध्ययन, समूह चर्चा, आगमन-निगमन, कहानी कथन, समय-रेखा
(Teaching Methods : Lecture Cum Demostration, Project, Socialized Recitation, Source, Supervised Study, Group Discussion, Inductive-Deductive, Story Telling, Time-Line)
प्रश्न- व्याख्यान सह प्रदर्शन विधि से आप क्या समझते हैं? इस विधि के सोपान एवं गुण-दोष बताइए।
उत्तर -
व्याख्यान सह प्रदर्शन विधि में व्याख्यान एवं प्रदर्शन दोनों को शामिल किया जाता है। इस विधि में शिक्षक विद्यार्थियों के समक्ष प्रयोग का प्रदर्शन करता है और सम्बन्धित तत्वों की व्याख्या भी करता है। शिक्षक प्रयोग से सम्बन्धित प्रश्न भी पूछता रहता है एवं आवश्यकतानुसार विद्यार्थियों को प्रदर्शन कार्यों में सहयोग भी लेता है जिससे विद्यार्थी कक्षा में सक्रिय बने रहते हैं। लेकिन सभी विद्यार्थियों को इस विधि का लाभ नहीं मिल पाता है क्योंकि निष्क्रिय श्रोतागण बनकर शिक्षक की ओर देखते रहते हैं।
व्याख्यान विधि की तुलना में यह विधि अधिक प्रभावशाली है। प्रयोग प्रदर्शन के दौरान यदि सम्भव हो तो विद्यार्थियों को भी प्रयोग करने का अवसर देना चाहिए।
व्याख्यान प्रदर्शन विधि के सोपान
1- योजना बनाना
(अ) शिक्षक द्वारा तैयारी
(ब) उपकरणों को एकत्रित करना एवं व्यवस्था करना।
(स) शिक्षक द्वारा प्रयोग पूर्व अभ्यास
2- प्रस्तुतिकरण
(अ) विद्यार्थियों के अनुभव के आधार पर
(ब) विद्यार्थियों के पूर्व ज्ञान के आधार पर
3- तथ्यों की व्याख्या
4- प्रयोग का प्रदर्शन
5. श्यामपट कार्य
6. मूल्यांकन
व्याख्यान प्रदर्शन विधि के गुण - इस विधि के गुण निम्नलिखित हैं -
1- व्याख्यान प्रदर्शन विधि शिक्षक केन्द्रित विधि है।
2- प्रायःमिक, उच्च प्रायःमिक विद्यार्थियों के लिए अधिक उपयोगी है।
3- यह विधि विज्ञान विषय में अधिक उपयोगी होती है।
4- विद्यार्थियों को व्यक्तिगत एवं प्रस्तानात्मक अनुभव प्राप्त करने हेतु व्यावहारिक अवसर प्रदान करती है।
5- शिक्षक के साथ प्रदर्शन कार्य में सहयोग करने से विद्यार्थियों को, करने सीखने के अवसर मिलते हैं।
6- शिक्षक को सहयोग करने से विद्यार्थियों की विज्ञान में रुचि बढ़ती है।
7- सम्पूर्ण कक्षा सामूहिक रूप से प्रेरित करती है।
8- यह विधि व्याख्यान विधि से थोड़ी खर्चीली एवं प्रभावी है।
व्याख्यान प्रदर्शन विधि के दोष - इस विधि के दोष निम्नलिखित हैं -
1- इस विधि में विद्यार्थी निष्क्रिय रूप से रहते हैं। इसलिए इस विधि को अज्ञानीय वैज्ञानिक विधि मानते हैं।
2- कक्षा के सभी विद्यार्थियों के लिए सर्वोपयोगी नहीं है क्योंकि सभी विद्यार्थियों में शुद्धता व कुशलता एक समान नहीं होती है।
3- विद्यार्थियों पर व्यक्तिगत रूप से ध्यान नहीं दिया जाता है।
4- प्रत्येक विद्यार्थी स्वयं प्रेरक के अवसर नहीं प्राप्त करते हैं।
5- इस विधि से व्याख्यान करने में समय अधिक लगता है।
6- जो विद्यार्थी औसत से कम क्षमता वालों के लिए उपयोगी नहीं है तथा उनसे पिछड़ने की आशंका बनी रहती है।
7- व्यक्तिगत रुचि, पूर्व ज्ञान, क्षमता एवं सीखने की गति पर ध्यान नहीं दिया जाता है।
8- उच्च कक्षाओं के लिए लाभप्रद नहीं है।
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