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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- आर.सी.ई.एम. उपागम क्या है? प्रशिक्षण महाविद्यालयों में शिक्षण अभ्यास में इसका प्रयोग किस प्रकार किया जाता है?

अथवा
आर.सी.ई.एम. उपागम को स्पष्ट करते हुए इसके गुण-दोषों पर प्रकाश डालिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न

  1. आर.सी.ई.एम. उपागम से आप क्या समझते हैं?

  2. आर.सी.ई.एम. उपागम के आधार पर पाठ-योजना का प्रारूप बताइए।

  3. आर.सी.ई.एम. उपागम के प्रमुख सोपानों पर प्रकाश डालिए।

  4. आर.सी.ई.एम. उपागम की प्रमुख विशेषताएँ लिखिए।

  5. आर.सी.ई.एम. उपागम की क्या सीमाएँ हैं? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर -

आर.सी.ई.एम. उपागम
(R.C.E.M. Approach)

पाठ नियोजन का यह उपागम रीजनल कॉलेज ऑफ एजूकेशन, भोपल के डॉ. दवे द्वारा 1967 में विकसित किया गया। पूर्व उपागमों की तुलना में इसे अधिक व्यावहारिक माना गया क्योंकि इसमें शिक्षण अधिगम क्रिया में उद्दीपन तथा अनुक्रिया की अपेक्षा मानसिक क्रियाओं को अधिक महत्त्व दिया गया है। इसमें लक्ष्यों के निर्धारण में ब्लूम की टैक्सोनॉमी को ही प्रस्तुत किया गया परन्तु ज्ञानात्मक पक्ष के वर्गों के स्थान पर चार वर्ग ज्ञान, बोध, प्रयोग और सृजनात्मक को ही लिया गया। अन्तिम तीन वर्गों - विश्लेषण, संश्लेषण तथा मूल्यांकन को सृजनात्मक लक्ष्य में सम्मिलित किया गया। इस प्रकार इसमें ज्ञानात्मक पक्ष के चार भागों और 17 मानसिक योग्यताओं का विकास किया जाता है। यही भावात्मक एवं क्रियात्मक पक्ष के लिए भी उपयोगी है। यथा -

ज्ञानात्मक पक्ष — मानसिक योग्यताएँ
लक्ष्य -

  1. ज्ञान
    1.1 प्रत्यासरण
    1.2 प्रत्याभिज्ञान

  2. बोध
    2.1 सम्बन्ध देखना
    2.2 उदाहरण देना
    2.3 भेद करना
    2.4 वर्गीकरण करना
    2.5 व्याख्या करना
    2.6 पुष्टि करना
    2.7 सामान्यीकरण करना

  3. प्रयोग
    3.1 तर्क करना
    3.2 उपकरण बनाना
    3.3 उपकरण की स्थापना करना
    3.4 निष्कर्ष निकालना
    3.5 पूर्व-कथन करना

  4. सृजनात्मक
    4.1 विश्लेषण करना
    4.2 संश्लेषण करना
    4.3 मूल्यांकन करना

इस उपागम में शिक्षण लक्ष्यों की निर्धारण कर लिया जाता है तत्पश्चात बढ़ाये जाने वाले पाठ की विषय-वस्तु के तथ्यों को प्रस्तुत करते हुए अपेक्षित व्यावहारिक परिवर्तन के रूप में लिखा जाता है। यथा -

  1. ज्ञान
    1.1 विद्यार्थी... ... ... का प्रत्यासरण कर सकेंगे।
    1.2 विद्यार्थी... ... ... पहचानने में समर्थ होंगे।

  2. अवबोधन
    2.1 विद्यार्थी... ... क्या ... ... ... सम्बन्ध देख सकेंगे।
    2.2 विद्यार्थी... ... का उदाहरण प्रस्तुत कर सकेंगे।
    2.3 विद्यार्थी... ... एवं ... ... ... में अन्तर कर सकेंगे।
    2.4 विद्यार्थी... ... की व्याख्या कर सकेंगे।
    2.5 विद्यार्थी... ... का तर्कशुद्ध कर सकेंगे।
    2.6 विद्यार्थी... ... की जाँच कर सकेंगे।
    2.7 विद्यार्थी... ... को सामान्यीकृत कर सकेंगे।

  3. प्रयोग
    3.1 विद्यार्थी... ... के कारण बता सकेंगे।
    3.2 विद्यार्थी... ... की परिकल्पना बना सकेंगे।
    3.3 विद्यार्थी... ... को निष्कर्षपरक सिद्ध कर सकेंगे।
    3.4 विद्यार्थी... ... ... के सम्बन्ध में निष्कर्ष निकाल सकेंगे।
    3.5 विद्यार्थी... ... ... के विषय में भविष्यवाणी कर सकेंगे।

  4. सृजनात्मक
    4.1 विद्यार्थी... ... ... को विश्लेषित कर सकेंगे।
    4.2 विद्यार्थी... ... ... को संश्लेषण कर सकेंगे।
    4.3 विद्यार्थी... ... ... का मूल्यांकन कर सकेंगे।

आर.सी.ई.एम. उपागम के सोपान
(Steps of R.C.E.M. Approach)

इस उपागम के प्रमुख सोपान इस प्रकार हैं -

  1. अदा (Input) - इसके अन्तर्गत अपेक्षित व्यावहारिक परिवर्तन (Expected Behavioural Outcomes - EBOs) को निर्धारित किया जाता है। तत्समय ज्ञान, बोध, प्रयोग तथा सृजनात्मक लक्ष्यों को 17 मानसिक योग्यताओं में वर्गीकृत करके उनकी सहायता से शिक्षण लक्ष्यों को व्यावहारिक रूप में लिखा जाता है।

  2. प्रक्रिया (Process) - निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शिक्षण की प्रक्रिया सुनियोजित की जाती है। शिक्षक प्रस्तुत प्रकरण की विषय-वस्तु के अनुसार शिक्षण युक्तियों एवं विधियों का चयन करता है ताकि उपयुक्त अधिगम परिस्थितियाँ उत्पन्न की जा सके, विद्यार्थी सक्रिय किये जा सके और उन्हें शिक्षण प्रक्रिया में सक्रिय रखा जा सके। इस पद में शिक्षक और विद्यार्थी दोनों की क्रियाएँ सम्मिलित रहती हैं।

  3. प्रदा (Output) - इसके अन्तर्गत विद्यार्थियों के वास्तविक व्यावहारिक परिवर्तन अंकित होते हैं। इन्हें वास्तविक अधिगम प्रदा (Real Learning Outcomes - RLOs) कहा जाता है। इसके लिए शिक्षक विविध प्रकार की मापन प्रविधियों का उपयोग करता है। मापन की प्रविधियाँ अपेक्षित व्यावहारिक परिवर्तन (Expected Behavioural Outcomes) पर आधारित होती हैं। इसमें शिक्षक लिखित एवं मौखिक दोनों प्रकार की परीक्षाओं का प्रयोग करते हैं। इसमें शिक्षक अपने शिक्षण के साथ ही शिक्षण लक्ष्यों की जानकारी भी रखता है।

आर.सी.ई.एम. उपागम के अनुसार पाठ नियोजन का प्रारूप
(Format of Lesson Plan according to R.C.E.M. Approach)

पाठ योजना सं. ........

दिनांक ... ... ... विषय ... ... ... चक्र ... ... ...
कक्षा ... ... ... प्रकरण ... ... ... अवधि ... ... ...

शिक्षण लक्ष्य — अपेक्षित व्यावहारिक परिवर्तन *

सहायक सामग्री
शिक्षण विधि
पूर्वज्ञान
प्रस्तावना

शिक्षक क्रियाएँ - छात्र क्रियाएँ - स्वयंप्रदत्त कार्य
उद्देश्य कथन
प्रस्तुतीकरण

शिक्षण बिन्दुअवत (Input)प्रक्रिया (Process)प्रत (Output)
अनुशासन (Instruction) अपेक्षित व्यवहार परिवर्तन (EBOs) शिक्षण सम्प्रेषण विधि/नीति (Communicating / Strategy) अधिगम के अनुभव (Learning Experiences) मूल्यांकन (Evaluation) वास्तविक व्यवहार परिवर्तन (RLOs)

 

शिक्षण बिन्दुशिक्षक की क्रियाएँ (Teacher’s Activities)छात्र की क्रियाएँ (Student’s Activities)
1. ज्ञान व्याख्यान, चार्ट, प्रदर्शन, स्पष्टीकरण। सुनना, निरीक्षण करना, लिखना, अनुक्रिया करना। पुनरुक्ति प्रश्न करना, परीक्षा देना, कथन देना, व्याख्या करना।
2. बोध वाद-विवाद, समस्या-समाधान, प्रदर्शन सहित वाद-विवाद। तथ्य, अधिगमनों को पहचानना, सम्बन्ध देखना, समानताओं तथा भिन्नताओं की व्याख्या करना। व्याख्यान प्रश्न, अपने शब्दों में अर्थ करना, समस्या का समाधान करना।
3. प्रयोग समस्या-समाधान, प्रयोगशाला, कार्य। प्रयोग करना, अवसर देना, सीखे हुए ज्ञान का प्रयोग करना। प्रयोगात्मक परीक्षा देना, परिस्थितियाँ उत्पन्न करना।
4. सृजनात्मक नई समस्या का समाधान, व्यक्तिगत कार्य पर बल दिया जाता। तर्क को विश्लेषण करना, सम्बन्ध स्थापित करना, निर्णय लेना। आलोचनात्मक प्रश्न पूछना, नई समस्या उत्पन्न करना, उसका समाधान निकालना।

स्वयंप्रदत्त सारांश -
मूल्यांकन -
गृहकार्य -
संवेग प्रश्न -

आर.सी.ई.एम. उपागम की विशेषताएँ
(Characteristics of R.C.E.M. Approach)

इस उपागम की निम्नलिखित विशेषताएँ हैं -

  1. इस उपागम द्वारा पाठ नियोजन अत्यन्त सरल है।

  2. इसमें अन्य उपागमों की तुलना में लक्ष्यों का व्यावहारिक रूप अधिक सुनिश्चित तथा विशिष्ट होता है।

  3. यह उपागम तीनों पक्षों (ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं क्रियात्मक) के लिए उपयोगी है।

  4. इस उपागम में प्रक्रिया पर अधिक बल दिया जाता है।

  5. इसमें मानसिक योग्यताओं पर विशेष बल दिया जाता है।

आर.सी.ई.एम. उपागम की सीमाएँ
(Limitati
on of R.C.E.M. Approach) -

इस उपागम की निम्नलिखित सीमाएँ हैं -

  1. यह उपागम 17 मानसिक योग्यताओं को मनोवैज्ञानिक आधार प्रस्तुत करने में असफल है क्योंकि गिलफोर्ड ने 120 मानसिक योग्यताओं का उल्लेख किया है।

  2. विषय-वस्तु के प्रत्येक अंश को मानसिक क्रिया के रूप में व्यवहार करना कठिन है।

  3. इस उपागम के तथ्यों को जीवन निरपेक्ष क्रियाओं में रखना ही कठिन कार्य है।

  4. इस उपागम में विभिन्न लक्ष्यों के लिए मानसिक क्रियाओं की स्थिति की व्यावहारिक प्रतीति नहीं होती है क्योंकि इसमें ज्ञान के लिए 20, बोध के लिए 7, प्रयोग के लिए 6 और सृजनात्मक के लिए 3 मानसिक क्रियाएँ दी गई हैं।

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