बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- एन.सी.ई.आर.टी. (N.C.E.R.T) उपागम का क्या अर्थ है? एन.सी.ई.आर.टी. उपागम के अनुसार पाठ योजना के प्रारूप का वर्णन कीजिए।
अथवा
एन.सी.ई.आर.टी. उपागम को स्पष्ट करते हुए इसके अन्तर्गत पाठ-योजना के प्रारूप का विवरण दीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
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एन.सी.ई.आर.टी. उपागम में क्या तात्पर्य है? बताइए।
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एन.सी.ई.आर.टी. उपागम के अनुसार पाठ-योजना का प्रारूप बताइए।
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एन.सी.ई.आर.टी. की पाठ योजना के प्रमुख पहलुओं को बताइए।
उत्तर -
एन.सी.ई.आर.टी. उपागम
(N.C.E.R.T Approach)
एन.सी.ई.आर.टी. उपागम को मिश्रित शैली उपागम भी कहते हैं। एन.सी.ई.आर.टी. द्वारा नई दिल्ली में शिक्षण पद्धतियों पर महत्त्वपूर्ण कार्य किया गया। यह कार्य प्रो. यू.आर. श्रीवास्तव एवं जे.पी. सूरी के द्वारा सम्पन्न हुआ। इन्होंने ज्ञानात्मक पक्ष के तीन भागों- ज्ञान, बोध और अनुप्रयोग को स्वीकार किया और अनुप्रयोगों में विश्लेषण, संश्लेषण और मूल्यांकन को सम्मिलित माना तथा भावात्मक पक्ष के दो भागों- रुचि एवं अभिवृत्ति को स्वीकार किया तथा क्रियात्मक पक्ष के कोष्ठक मानवत शिक्षण पद्धतियों को छह रूपों - ज्ञान, बोध (अवबोधन), प्रयोग (अनुप्रयोग), कौशल, रुचि (अभिवृति) और अभिव्यक्ति में लिखने पर बल दिया है जिसका प्रारूप निम्नलिखित है -
एन.सी.ई.आर.टी. उपागम के अनुसार पाठ योजना का प्रारूप
(Format of Lesson Plan according to N.C.E.R.T.)
पाठ योजना संख्या ... ... ...
दिनांक ... ... ... ... विषय ... ... ... समय ... ... ...
कक्षा ... ... ... ... उपविषय ... ... ... चक्र ... ... ...
प्रकरण ... ... ... ...
30 / बी०एड० (II सेमेस्टर) – 2023
शिक्षण उद्देश्य
(Teaching Objectives)
अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन
(Expected Behavioural Outcomes – EBOs)
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ज्ञान
1.1 छात्र ... ... ... का प्रत्यासरण कर सकेंगे।
1.2 छात्र ... ... ... की पहचान कर सकेंगे।
1.3 छात्र ... ... ... को अंकित कर सकेंगे।
1.4 छात्र ... ... ... की सूचनाएँ प्राप्त कर सकेंगे। -
अवबोधन
2.1 छात्र ... ... ... में तुलना कर सकेंगे।
2.2 छात्र ... ... ... में विवेचन कर सकेंगे।
2.3 छात्र ... ... ... में वर्गीकरण कर सकेंगे।
2.4 छात्र ... ... ... के अनुसार क्रमबद्ध कर सकेंगे।
2.5 छात्र ... ... ... का उदाहरण दे सकेंगे।
2.6 छात्र ... ... ... अशुद्धियों की गणना कर सकेंगे।
2.7 छात्र ... ... ... की व्याख्या कर सकेंगे।
2.8 छात्र ... ... ... का विवेचन कर सकेंगे। -
अनुप्रयोग
3.1 छात्र ... ... ... को विश्लेषित कर सकेंगे।
3.2 छात्र ... ... ... को पुनःसंगठित कर सकेंगे।
3.3 छात्र ... ... ... की योजना बना सकेंगे।
3.4 छात्र ... ... ... के समाधान सुझा सकेंगे।
3.5 छात्र ... ... ... के सामान्य निष्कर्ष निकाल सकेंगे।
3.6 छात्र ... ... ... की पुष्टि कर सकेंगे। -
कौशल
4.1 छात्र ... ... ... का शुद्ध लेखन एवं अंकन कर सकेंगे।
4.2 छात्र ... ... ... का निरूपण करेंगे।
4.3 छात्र ... ... ... का प्रयोग सरलता से कर सकेंगे।
4.4 छात्र ... ... ... का संग्रह करेंगे।
4.5 छात्र ... ... ... का सूक्ष्म निरीक्षण करेंगे। -
रुचि
5.1 छात्र ... ... ... के अध्ययन में रुचि लेंगे।
5.2 छात्र ... ... ... की जानकारी प्राप्त करेंगे।
5.3 छात्र ... ... ... के क्रियाकलापों में रुचि लेंगे।
5.4 छात्र ... ... ... का प्रभाव करेंगे। -
अभिवृत्ति
6.1 छात्र ... ... ... की भावना प्रकट करेंगे।
6.2 छात्र ... ... ... का सामान्यीकरण करेंगे।
6.3 छात्र ... ... ... का अध्ययन करेंगे।
6.4 छात्र ... ... ... की दृष्टि से मूल्यांकन करेंगे।
सहायक सामग्री
पूर्वज्ञान
प्रस्तावना
प्रस्तुतीकरण
| शिक्षण बिन्दु | शिक्षक लक्ष्य अपेक्षित व्यवहारिक परिवर्तन के रूप में | शिक्षक क्रियाएँ | छात्र क्रियाएँ | युक्ति विधि एवं सामग्री | मूल्यांकन कार्य |
मूल्यांकन -
गृहकार्य -
एन.सी.ई.आर.टी. की पाठ योजना के प्रमुख पक्ष
(Main Aspects of N.C.E.R.T. Lesson Plan)
एन.सी.ई.आर.टी. की पाठ-योजना के तीन पक्ष हैं, जो निम्नलिखित हैं -
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अदा (Input) - अदा के अन्तर्गत बालक के अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन (Expected Behavioural Outcomes) का निर्धारण किया जाता है जिन्हें 'EBOs' भी कहते हैं। इनकी सहायता से शिक्षण उद्देश्यों को अनेकानेक कार्य-सूचक क्रियाओं के द्वारा व्यवहारगत परिवर्तन के रूप में लिखा जाता है।
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प्रक्रिया (Process) - निर्धारति उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिये शिक्षण की व्यवस्था की जाती है। उद्देश्यों की प्राप्ति के लिये अध्यापक शिक्षण युक्ति तथा रणनीति (Strategies) तथा सहायक सामग्री की व्यवस्था करता है जिनकी सहायता से अधिगम परिस्थितियाँ उत्पन्न की जाती हैं। बालकों के सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है जिससे वह सक्रिय रहकर शिक्षण प्रक्रिया को पूर्ण करने में सहायता करें। शिक्षण प्रक्रिया में अध्यापक तथा छात्र दोनों की क्रियाएँ सम्मिलित रहती हैं जिन्हें अधिगम तथा छात्र-अनुभव कहते हैं।
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प्रदा (Output) - प्रदा में बालकों के वास्तविक व्यवहारगत परिवर्तन निहित होते हैं। इन्हें वास्तविक अधिगम प्रदा (Real Learning Outcomes) या 'RLOs' भी कहा जाता है। वास्तविक अधिगम प्रदा के लिये अध्यापक विभिन्न प्रकार की मूल्यांकन प्रविधियों का प्रयोग करता है। मूल्यांकन की प्रविधियाँ अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन पर आधारित होती हैं। शिक्षण के दौरान प्रत्येक EBO का मूल्यांकन करते समय अध्यापक उद्देश्यों की प्राप्ति की जानकारी भी प्राप्त करता रहता है।
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