लोगों की राय

बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मूल्यांकन उपागम से आप क्या समझते हैं? मूल्यांकन उपागम पर आधारित पाठ-योजना का प्रारूप बताइए।

अथवा
स्कूल का मूल्यांकन उपागम शिक्षण के उपरान्त छात्रों में हुए व्यवहार परिवर्तन का किस प्रकार मूल्यांकन करता है? स्पष्ट कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न

  1. मूल्यांकन उपागम का क्या अर्थ है? संक्षेप में बताइए।
  2. मूल्यांकन उपागम के प्रमुख सोपान बताइए।
  3. मूल्यांकन उपागम के अन्तर्गत पाठ-योजनाओं का प्रारूप बताइए।

उत्तर -

ब्लूम का मूल्यांकन उपागम
(Bloom’s Evaluation Approach)

मूल्यांकन उपागम ब्लूम टैक्सोनॉमी पर आधारित पाठ योजना का एक प्रारूप है। इस कारण इसे मूल्यांकन उपागम या ब्लूम उपागम कहा जाता है। इस उपागम के अन्तर्गत पाठ योजना में शिक्षण उद्देश्यों को प्राथमिकता प्रदान की जाती है। इस उपागम के अन्तर्गत शिक्षण की समस्त क्रियाएँ शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति पर केन्द्रित रहती हैं। शिक्षण उद्देश्यों की प्राप्ति की जानकारी के लिए शिक्षक के द्वारा छात्रों में हुए व्यवहार परिवर्तन का मूल्यांकन किया जाता है।

मूल्यांकन/ब्लूम उपागम के प्रमुख सोपान - मूल्यांकन या ब्लूम उपागम के प्रमुख सोपान निम्नलिखित हैं -

  1. शिक्षण उद्देश्यों का निर्धारण - मूल्यांकन उपागम के इस सोपान के अन्तर्गत शिक्षण उद्देश्यों के निर्धारण में विषय-वस्तु की संरचना, छात्रों का स्तर, आवश्यकताएँ तथा उनकी सामाजिक स्थितियों के आधार बनाकर ज्ञानात्मक, बौद्धिक, प्रयोगात्मक एवं सृजनात्मक उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है।

  2. अधिगम अनुभव का निर्धारण - अधिगम अनुभव के निर्धारण के लिए पूर्व-निर्धारित शिक्षण उद्देश्यों के आधार पर अधिगम अनुभव के साधनों का चयन किया जाता है, यथा- ज्ञानात्मक उद्देश्यों के लिए व्याख्यान, चार्ट, प्रदर्शन पाठ्य-पुस्तकें, औषधिकृत अनु्देशन आदि, बौद्धिक उद्देश्यों के लिए वाद-विवाद, प्रश्नोत्तर, रेखाचित्र, मानचित्र, मॉडल आदि, प्रयोगात्मक उद्देश्यों के लिए प्रयोग-समाधान, प्रयोग इत्यादि तथा सृजनात्मक उद्देश्यों के लिए रचनात्मक कार्य, विचार प्रयोग, समस्या-समाधान से सम्बन्धित कार्य इत्यादि।

  3. व्यवहारगत परिवर्तन का मूल्यांकन - अधिगम अनुभवों की सहायता से छात्रों के व्यवहार में अपेक्षित परिवर्तन लाया जाता है। यह व्यवहारगत परिवर्तन ज्ञानात्मक, भावात्मक तथा क्रियात्मक तीनों पक्षों में होते हैं। इनके मापन के लिए विभिन्न विधियों का प्रयोग किया जाता है, यथा- ज्ञानात्मक व्यवहारगत परिवर्तन के मूल्यांकन के लिए मौखिक तथा लिखित परीक्षण, निरीक्षण तथा साक्षात्कार, भावात्मक व्यवहारगत परिवर्तन के मूल्यांकन के लिए निरीक्षण, औपचारिक सूची, अनुभूतिमापी इत्यादि का प्रयोग। तथा क्रियात्मक व्यवहारगत परिवर्तन के मूल्यांकन के लिए निरीक्षण, प्रयोग, साक्षात्कार तथा प्रदर्शन आदि का प्रयोग किया जाता है।

मूल्यांकन उपागम के अन्तर्गत पाठ योजना का प्रारूप
(Format of Lesson Plan according to Evaluation Approach)

मूल्यांकन उपागम के अन्तर्गत पाठ योजना का प्रारूप निम्नलिखित है -

पाठ योजना संख्या ... ... ...

दिनांक ... ... ... ... विषय ... ... ... ... समय चक्र ... ... ...
कक्षा ... ... ... ... प्रकरण ... ... ... ... अवधि ... ... ...
शिक्षण उद्देश्य — अपेक्षित व्यवहारगत परिवर्तन
सहायक सामग्री
पूर्वज्ञान
प्रस्तावना
उद्देश्य कथन
प्रस्तुतिकरण

| शिक्षण बिन्दु | शिक्षण क्रियाएँ | छात्र क्रियाएँ | शिक्षण विधि प्रक्रिया एवं सहायक सामग्री | सामयिक कार्य | शिक्षण उद्देश्य |

मूल्यांकन -
गृहकार्य -

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book