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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- पाठ-योजना के विविध उपागम कौन-कौन से हैं? किसी एक उपागम पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

अथवा
पाठ-योजना के विभिन्न उपागमों को बताते हुए हर्बर्ट के पंचपद उपागम का विस्तृत वर्णन कीजिए।
अथवा
पाठ-योजना के हर्बर्ट पंचपद उपागम का विवेचन कीजिए।

सम्बन्धित लघु उत्तरात्मक प्रश्न

  1. पाठ-योजना के विभिन्न उपागमों को लिखिए।
  2. हर्बर्ट की पंचपदी योजना का वर्णन कीजिए।
  3. हर्बर्टियन उपागम पर टिप्पणी लिखिए।
  4. हर्बर्ट की पंचपद प्रणाली के गुण-दोष बताइए।
  5. हर्बर्ट पंचपद उपागम के प्रमुख सोपान क्या हैं? स्पष्ट कीजिए।
  6. हर्बर्टियन उपागम को स्पष्ट कीजिए और इसके गुण एवं दोष लिखिए।

उत्तर -

पाठ-योजना के विविध उपागम

(Various Approaches of Lesson Planning)
पाठ-योजनाओं के निर्माण हेतु विभिन्न शिक्षाशास्त्रियों ने अपनी-अपनी मौलिक अवधारणाओं तथा शिक्षण-सिद्धान्तों को दृष्टि में रखते हुए अलग-अलग समयों में अलग-अलग बातों पर जोर दिया है।

यद्यपि पाठ-योजना के निर्माण में अनेक उपागम (Approaches) का प्रयोग किया जाता है, परन्तु उनमें से अभी तक प्रमुख रूप से निम्नलिखित उपागम उपलब्ध हैं -

  1. हर्बर्ट की पंचपद प्रणाली (Herbartian Five-Steps Approach)

  2. डेवी तथा किलपैट्रिक उपागम (Dewey and Kilpatrick Approach)

  3. मॉरिसन का इकाई उपागम (Morrison's Unit Approach)

  4. अमेरिकी उपागम (American Approach)

  5. ब्रिटिश उपागम (British Approach)

  6. भारतीय उपागम (Indian Approach)

  7. ब्लूम का मूल्यांकन उपागम (Bloom's Evaluation Approach)

  8. एन०सी०ई०आर०टी० उपागम (N.C.E.R.T. Approach)

  9. क्षेत्रीय शिक्षा महाविद्यालय मेरठ उपागम (R.C.E.M. Approach)।

हर्बर्ट का पंचपद उपागम
(Herbartian Five-Steps Approach)

जर्मन के प्रसिद्ध शिक्षाविद् जे०एफ० हर्बर्ट तथा उसके शिष्यों ने मिलकर पाठ-योजना के पाँच औपचारिक पदों का विकास किया। इसके अनुसार, छात्र को समस्त ज्ञान बाहर से प्रदान किया जाता है। यह ज्ञान संवेदन क्रिया द्वारा होता है तथा नवीन ज्ञान को पुराने से सम्बन्धित कर दिया जाता है तो छात्र अच्छी प्रकार से सीख लेता है। हर्बर्ट के पाँच पदों का विवरण इस प्रकार है-

(1) योजना (Preparation) - शिक्षक पाठ्य-वस्तु के तत्वों को व्यवस्थित क्रमबद्ध रूप में करता है। इसके पश्चात् छात्रों के पूर्वज्ञान के आधार पर प्रस्तुति देता है। प्रस्तुति के साथ ही उद्देश्य कथन (Statement of Aim) को बताता है तत्पश्चात पाठ प्रारम्भ होता है।

(2) प्रस्तुतीकरण (Presentation) - यहीं से पाठ का आरम्भ भाग माना जाता है। शिक्षक पाठ को विकसित प्रश्नों की सहायता से करता है तथा आवश्यकताानुसार उपकरण, चित्र, मानचित्र आदि सहायक सामग्री द्वारा पाठ्य-वस्तु का प्रस्तुतीकरण करता है।

(3) तुलना (Comparison) - शिक्षक पाठ्य-वस्तु के नवीन तथ्यों को पूर्ववर्ती से तुलना करता है तथा साथ-साथ छात्रों के समक्ष स्पष्टीकरण भी करता है।

(4) सामान्यीकरण (Generalization) - इस सोपान के अन्तर्गत शिक्षक छात्रों को दो या दो से अधिक तथ्यों को समन्वित रूप से अवगत कराता है जिससे छात्र किसी नियम-अभिनियम आदि को स्थापित कर सकने में समर्थ हो सकें।

(5) प्रयोग (Application) - शिक्षक ज्ञान को स्थायी बनाने हेतु उन परिस्थितियों का कथा में निर्माण करता है जिससे छात्र सीखे हुए ज्ञान का प्रयोग कर सके तथा उसका नवीन परिस्थितियों में प्रयोग कर सके।

हर्बर्ट के पंचपद उपागम के गुण (Merits of Herbartian Five-Steps Approach)
हर्बर्ट के पंचपद उपागम के निम्नलिखित गुण हैं -

1. मनोवैज्ञानिक विधि (Psychological Method) - हर्बर्ट की पंचपद प्रणाली में विद्यार्थियों की पूर्वज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान दिया जाता है। जिससे उनमें विभिन्न रुचियाँ विकसित होती हैं और इन रुचियों के विकसित होने से विद्यार्थियों का चरित्र-निर्माण होता है। इस दृष्टि से हर्बर्ट की पंचपद प्रणाली शिक्षण की एक मनोवैज्ञानिक, लाभदायक तथा प्रभावशाली विधि है।

2. व्यवस्थित शिक्षण (Organized Teaching) - हर्बर्ट की पंचपद प्रणाली में प्रत्येक पद को बड़े तार्किक क्रम में संयोजा गया है। इस क्रम का अनुपालन करने से नये शिक्षकों भावी भूल से बचते हैं तथा योग्य शिक्षकों की मौलिकता (Originality) में कोई बाधा नहीं आती और शिक्षण कार्य बड़े व्यवस्थित ढंग से चलता रहता है।

3. सम्बन्ध सम्भव (Correlation Possible) - हर्बार्ट के पंचपद उपागम में सम्पूर्ण ज्ञान को एक इकाई के रूप में माना जाता है। इस उपागम में विद्यार्थियों के पूर्वज्ञान का नवीन ज्ञान से सम्बन्ध जोड़ते समय पाठ्यक्रम के सभी विषयों का समन्वय सम्भव होता है।

4. आगमन तथा निगमन विधियों का प्रयोग (Use of Inductive and Deductive Methods) - हर्बार्ट की पंचपद प्रणाली में नवीन ज्ञान को प्रस्तुत करते समय विद्यार्थियों को आगमन तथा निगमन पद्धतियों का प्रयोग कराना जाता है। इससे सभी विद्यार्थी पाठ में रुचि लेते हैं एवं नवीन ज्ञान को सम्बद्ध रूप से सत्तलत्पूर्वक ग्रहण कर लेते हैं।

5. सृजनवृति (Recapitulation) - हर्बार्ट के पंचपद उपागम में प्रयोग (Application) पद पर सृजनवृति के लिये ऐसे प्रश्न पूछे जाते हैं जिनका उत्तर देते हुए विद्यार्थी अपने अर्जित किये हुए ज्ञान का नवीन परिस्थितियों में प्रयोग करना सीख जाते हैं।

हर्बार्ट के पंचपद उपागम के दोष (Demerits of Herbartian Five-Steps Approach)-

हर्बार्ट के पंचपद उपागम के निम्नलिखित दोष हैं :

  1. अरुचिकर (Uninteresting) - कुछ शिक्षाशास्त्रियों का मत है कि हर्बार्ट की पंचपद प्रणाली विद्यार्थियों के मानसिक विकास के अनुसार उनकी रुचियों, रुजानो, योग्यताओं तथा क्षमताओं पर ध्यान न देकर पाठ्यक्रम के सभी विषयों को एक ही क्रम में रखकर पढ़ाने पर बल देती है। इससे सम्पूर्ण शिक्षण बौद्धिक हो जाता है और विद्यार्थी नवीन ज्ञान को ग्रहण करने में कोई रुचि नहीं लेते।

  2. यांत्रिक शिक्षण विधि (Mechanical Teaching Method) - हर्बार्ट के पाँचों पदों में एक तार्किक क्रम में चलना पड़ता है जिससे शिक्षण की मौलिकता (Originality) कम हो जाती है। अतः हर्बार्ट की पंचपद प्रणाली एक यांत्रिक शिक्षण विधि है।

  3. व्यक्तिगत विभिन्नता का कोई स्थान नहीं (No Place for Individual Differences) - हर्बार्ट की पंचपद प्रणाली का प्रयोग करते समय कक्षा के सभी विद्यार्थियों से एक-से प्रश्न पूछे जाते हैं तथा एक-सी क्रियाएँ करायी जाती हैं जिससे व्यक्तिगत विभिन्नता की अवहेलना होती है।

  4. विद्यार्थियों की अपेक्षा शिक्षक का अधिक सक्रिय होना (Teacher is More Active rather than Students) - हर्बार्ट की पंचपद प्रणाली में विद्यार्थियों की अपेक्षा शिक्षक को अधिक सक्रिय रहना पड़ता है जबकि होना यह चाहिए कि शिक्षक की अपेक्षा विद्यार्थी अधिक सक्रिय रहें। चूँकि यह शिक्षण विधि क्रिया-प्रधान नहीं है, इसलिए इसके द्वारा विद्यार्थियों के स्वाभाव अथवा क्रिया द्वारा सीखने की प्रेरणा नहीं मिलती।

  5. सम्बन्ध की कठिनाई (Difficulty of Correlation) - हर्बार्ट ने ज्ञान को एक सम्पूर्ण इकाई माना है, इसलिए उन्होंने विद्यार्थियों के मानसिक जीवन में एकता लाने के लिये विभिन्न विषयों में सम्बन्ध स्थापित करने पर बल दिया। परन्तु इस प्रणाली का अनुसरण करते समय अध्यापक विद्यार्थियों के विभिन्न प्रकार के मानसिक जीवन को उपेक्षित कर देते हैं। उनका कहना है कि पंचपद उपागम में विद्यार्थियों के मानसिक जीवन में एकता लाने के लिये विभिन्न विषयों में सम्बन्ध स्थापित करना असम्भव सा नहीं तुरन्त एवं कठिन कार्य अवश्य है।

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