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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सामाजिक अध्ययन के अन्तर्गत कुछ विषयों को सम्मिलित करने की तर्कसंगतता पर अपने विचार लिखिए।

उत्तर-

आधुनिक शिक्षा के प्रारम्भिक काल में विद्यालयी शिक्षा के पाठ्यक्रम में छात्रों को लिखना, पढ़ना और गणित की शिक्षा पर विशेष बल दिया गया था, जिसका उद्देश्य छात्रों को जीविकोपार्जन के योग्य बनाना था। तदुपरान्त विद्यालयी शिक्षा के पाठ्यक्रम में इतिहास, नागरिकशास्त्र और भूगोल को भी सम्मिलित किया गया, जिनका शिक्षण से सामाजिक उद्देश्यों की प्राप्ति की आशा की गई थी।

स्वतन्त्रता - प्राप्ति के उपरान्त भारतीय माध्यमिक शिक्षा के पुनर्निर्माण के लिए 1952-53 में माध्यमिक शिक्षा आयोग की संस्तुति के क्रियान्वयन में निम्न माध्यमिक एवं माध्यमिक स्तर पर इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र एवं अर्थशास्त्र से सम्बन्धित तथ्यों को सम्मिलित करके सामाजिक अध्ययन कहा गया था। सामाजिक विज्ञान नाम से यह विषय को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया गया था और माध्यमिक स्तर तक विद्यालयों में इसका अध्ययन एवं अध्यापन होने लगा था।

तत्पश्चात देश की शिक्षा के समस्त पहलुओं के पुनरीक्षण एवं समुचित विकास के लिए सुझाव देने हेतु गठित शिक्षा आयोग 1964-66 में निम्न माध्यमिक एवं माध्यमिक स्तर पर इतिहास स्तर पर इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र एवं अर्थशास्त्र आदि विषयों का सामाजिक अध्ययन होने लगा। सामाजिक विज्ञान शीर्षक अन्तर्गत समन्वित रूप में अध्ययन को तो स्वीकार किया गया परन्तु सामाजिक अध्ययन, सामाजिक विज्ञान में सम्मिलित विभिन्न विषयों के अपने-अपने अनुसंधान की बात रखने की संस्तुति की गई थी। यथा- "सामाजिक अध्ययन में पाठ्यक्रम निर्मित तरीके से और संगठित उपागम दोनों में व्यावस्थित की जा सकती है, जो परम्परागत विधि एवं इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र और अर्थशास्त्र अलग-अलग विषयों के द्वारा प्रस्तुत ज्ञान और कौशल को जोड़ने के लिए खोज करते हैं, जिनके अनुसार ये विषय अलग-अलग विषय (अनुशासन) माने जाते हैं, सन्तुलित विद्यालय पाठ्यक्रम में ये अपना स्वयं का स्थान रखते हैं।"

इस प्रकार 10+2+3 की शैक्षिक संरचना में कक्षा-10 तक सभी छात्रों को सामाजिक विज्ञानों के आवश्यक तथ्यों को अपने-अपने अनुसंधान (विषय) से सघन अध्ययन कराना की समन्वयकारी नीति का अनुसरण किया जा रहा है। ताकि 2+3 के स्तर पर सामाजिक विज्ञानों के विशिष्टिकरण के लिए अध्यापन करते समय पूर्व ज्ञान की समुचित पुनरुक्ति छात्रों को उपलब्ध हो सके। यथा- ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत के रूप में इतिहास, नागरिक जीवन के रूप में नागरिकशास्त्र, पर्यावरणीय अध्ययन के रूप में भूगोल और आर्थिक विकास के रूप में अर्थशास्त्र। इस प्रकार हम देखते हैं कि सामाजिक विज्ञान विषय स्वयं में एक समग्र विषय है जो विभिन्न विषयों - इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र एवं अर्थशास्त्र की विषयवस्तु को अपने में संजोये है। साथ ही इतिहास, भूगोल, नागरिकशास्त्र एवं अर्थशास्त्र अलग-अलग विषयों के रूप में अपना अस्तित्व बनाये हुए हैं, जो परस्पर अन्तःनिर्भर हैं क्योंकि उपर्युक्त समस्त विषयों की विषयवस्तु मानव एवं समाज के क्रियाकलाप, प्रयोगों एवं सामान्य प्रयोगों होती है।

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