लोगों की राय

बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण क्या है ? इसके निर्माण में किन पदों का अनुसरण किया जाता है ?

उत्तर -

उपलब्धि परीक्षण का अर्थ एवं परिभाषा
(Meaning and Definition of Achievement Test)

सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण एवं हस्तान्तरण के उद्देश्य से अनुभवों एवं मूल्यों को आने वाली पीढ़ी के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है, ताकि आने वाली पीढ़ी में अपेक्षित परिवर्तन हो सके। बालक विद्यालय में रहकर जो कुछ भी सीखता है उसे उसकी उपलब्धि कहते हैं। इस उपलब्धि की जाँच के लिए जो परीक्षा ली जाती है उसे उपलब्धि परीक्षण कहते हैं। प्रारम्भकाल से ही शिक्षक एवं शिक्षाविद् का प्रमुख दायित्व अपने छात्रों की उपलब्धियों का मूल्यांकन करना रहा है। इसके लिए विभिन्न प्रकार से उनका मूल्यांकन सम्पन्न करते रहे हैं। शिक्षा के उद्देश्यों में संशोधन एवं परिवर्तन के साथ हमारी मूल्यांकन एवं मापन की प्रक्रिया बदलती रही है।

छात्रों की उपलब्धि का ज्ञान प्राप्त करने के लिए अध्यापकों के द्वारा समय-समय पर उनकी परीक्षाएँ ली जाती रही हैं। ये परीक्षाएँ छात्रों की उपलब्धियों की किसी निर्धारित मापांक को नहीं होती है तथा अध्यापक इस प्रश्नपत्र में आवश्यकता होना चाहिए कि विद्यार्थी ने विषयवार योग्यताओं को प्राप्त करने में पूूर्ण रूप से सफलता प्राप्त की या नहीं। इस परीक्षा के परिणाम विद्यार्थी की किसी एक निश्चित क्षेत्र में योग्यता को प्रकट कराते हैं। उपलब्धि परीक्षण द्वारा बालकों की योग्यता की तुलना की जाती है। इस परीक्षा के द्वारा शिक्षित समाजता का बोध प्राप्त होता है।

सामान्यतः उपलब्धि परीक्षण से अभिप्राय उन परीक्षणों से है जो विद्यार्थी के ज्ञान, कौशल, योग्यता आदि का मापन करते हैं। विद्यालय में पढ़ाये जाने वाले विषयों में विद्यार्थियों ने क्या सीखा, इसका मापन करने के लिए उपलब्धि परीक्षण का ही प्रयोग किया जाता है।

गैरिसन एवं अन्य (Garrison and Others) के अनुसार - "उपलब्धि परीक्षण बालक की वर्तमान योग्यता या किसी विशिष्ट विषय के क्षेत्र में उसके ज्ञान की सीमा का मापन करते हैं।"

लिन्डक्विस्ट एवं मन्न (Lindquist and Mann) के अनुसार - "एक सामान्य सम्पूर्ण परीक्षण वह है जो एक ही फ्लान द्वारा सम्बन्धित के किसी दिए हुए क्षेत्र में बालक के सम्पूर्ण ज्ञान का बोध कराए।"

शिक्षा-शब्दकोश (Dictionary of Education) के अनुसार - "उपलब्धि परीक्षण विद्यालय में प्रदत्त क्षेत्र में पढ़ाए व्यक्ति की योग्यता, कौशल और समझ आदि के मापन के लिए बनाया गया परीक्षण है।"

एफ.एस. फ्रीमैन (F.S. Freeman, 1971) के अनुसार - "शैक्षिक उपलब्धि परीक्षण वह परीक्षण है जो एक विषय विशेष या पाठ्यक्रम के विभिन्न विषयों में व्यक्ति के ज्ञान, समझ एवं कौशल का मापन करते हैं।"

डी.ई. सुपर (D.E. Super, 1967) के अनुसार - "एक समर्पित परीक्षण यह ज्ञात करने के लिए प्रयोग किया जाता है कि बालक ने क्या तथा कितना सीख लिया है अथवा वह कोई कार्य कितनी अच्छी तरह से कर सकता है ?"

उपलब्धि परीक्षण निर्माण के पद
(Steps involved in the Construction of Achievement Test)

मानकीकृत उपलब्धि परीक्षण के निर्माण के प्रमुख पद निम्नलिखित हैं-

(1) उपलब्धि परीक्षण की योजना का निर्माण - किसी कार्य की की गयी सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि कार्य को आरम्भ करने से पूर्व उसकी विधिवत पूर्वयोजना का निर्माण किया गया अथवा नहीं। उपलब्धि परीक्षण निर्माण की वास्तविक प्रक्रिया से पूर्व भी एक निश्चित योजना की आवश्यकता होती है। उपलब्धि परीक्षण निर्माण की योजना के लिए निम्नलिखित कार्य करने पड़ते हैं -

  1. उपलब्धि परीक्षण का पुनर्वलोकन

  2. अन्य परीक्षण सामग्री अथवा साहित्य का अध्ययन

  3. विशेषज्ञों को परामर्शित करना

  4. उपलब्धि परीक्षण अथवा निदानात्मक परीक्षण के प्रकार

  5. परीक्षण पदों के प्रकार

  6. परीक्षण पदों की संख्या

  7. समय

  8. अंकन प्रक्रिया

  9. उत्तर-पुस्तिका का प्रकार

  10. परीक्षण निर्माण की विधि।

(2) परीक्षण निर्माण की तैयारी - उपलब्धि परीक्षण निर्माण की योजना बनाने के उपरान्त परीक्षण निर्माता परीक्षण के प्रारम्भिक रूप की तैयारी करने लगता है। सर्वोत्तम उद्देश्यों एवं विषय-वस्तु के अनुसार विभिन्न प्रकार की अन्य स्रोतों से ज्ञान एवं स्वयं निर्माण करता है। वह स्वयं को अपने अनुभव अथवा उपलब्ध मानकों के आधार पर अथवा अन्य स्रोतों से एकत्रित कर लेता है जो परीक्षण की विषय-वस्तु का प्रतिनिधित्व कर सके। परीक्षण के लिए जितने पदों की आवश्यकता होती है उन्हें इस प्रारम्भिक रूप में ही निर्मित कर लिया जाता है। परीक्षण के पदों को एकत्रित करने तथा उनके एक रूप में निर्धारण करने के पूर्ववर्ती परीक्षण निर्माण के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह उस विषय-वस्तु, उपयुक्तता तथा गुणों की दृष्टि से उल्लेखनीय हो जिनसे कि उसके प्रारम्भिक रूप अधिक सुसंगत रहें। परीक्षण पदों को दो-तीन विषय-विशेषज्ञों के पास भेजकर उनके विचार जानने चाहिए व उनका सुझावों के आधार पर संशोधन भी करना चाहिए। परीक्षण के प्रारम्भिक रूप में अन्तिम रूप की अपेक्षा ढीलापन एवं लचीलापन रखा जाता है। इस सोपान के अन्तर्गत निम्नलिखित बातें ध्यान में रखनी चाहिए -

  1. विभिन्न स्रोतों से परीक्षण पदों को एकत्रित करना।

  2. पदों के विभिन्न रूपों को सम्पिलित करना।

  3. पदों को स्वयं तथा विशेषज्ञों की सहायता से अवलोकन पूर्व सम्पादन करना।

  4. परीक्षण पदों के उचित निर्माण के लिए अलग-अलग निर्देश लिखना।

  5. अंकन विधि का निर्धारण करना।

(3) परीक्षण का अन्तिम प्रारूप निर्धारण करना - उपलब्धि परीक्षण की योजना एवं उसके प्रारम्भिक निर्माण के बाद यह जानने का प्रयास होता है कि परीक्षण कितना उपयुक्त, विश्वसनीय एवं विश्वासनीय है। परीक्षण की वास्तविक रचना से पूर्व उसके प्रारम्भिक रूप की जाँच की जानी चाहिए।

इस प्रारम्भिक रूप की जाँच को Pilot Study कहते हैं। इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं -

  1. जाँच के द्वारा कमजोर एवं बेकार के पदों को परीक्षण से निकालना।

  2. परीक्षण के अन्तिम रूप में पदों की वास्तविक संख्या को स्पष्ट करना।

  3. परीक्षण में परीक्षकों के उत्तरों में रुचि को व्यग्र करना।

  4. विभिन्न पदों के मध्य अन्तरसंबन्ध ज्ञात करना।

  5. समान पदों को उपप्रयोग में व्यवस्थित करना।

  6. परीक्षण के अन्तिम रूप की वास्तविक समय-सीमा ज्ञात करना।

  7. अंकन विधि का निर्धारण करना।

(4) उपलब्धि परीक्षण का मूल्यांकन - उपलब्धि परीक्षण का मूल्यांकन निम्नलिखित दो बातों को ध्यान में रखकर किया जाता है -

  1. परीक्षण कितना वैध, विश्वसनीय, विवेकसंगत या वस्तुनिष्ठ है अर्थात परीक्षण में आदर्श मापन यन्त्र की विशेषताओं किस सीमा तक समाहित हैं?

  2. परीक्षार्थियों के उत्तरों का स्वरूप कैसा है अर्थात विद्यालयों में विषय का शिक्षण किस प्रकार चल रहा है?

परीक्षण की विश्वसनीयता पुनरीक्षण विधि, समानान्तर प्रकार विधि, अर्द्ध-विभाजन विधि तथा कूट-परिरक्षण फार्मूले में से किसी भी एक विधि का प्रयोग करके ज्ञात की जा सकती है। सामान्यतः 80 या उससे अधिक विश्वसनीयता वाला परीक्षण अच्छा परीक्षण माना जाता है। इसी प्रकार परीक्षण की वैधता विषय वैधता, विषय-वस्तु वैधता, विशेषता वैधता, कारक वैधता या पूर्वानुमेय वैधता आदि विधियों में से किसी एक विधि से ज्ञात की जा सकती है। सामान्यतः 60 या उससे अधिक वैधता वाला परीक्षण अच्छा माना जाता है। मानकों की दृष्टि से आयु-मानक, ग्रेड मानक, प्रतिशतात्मक मानक तथा टी-मानक, आदि स्वीकार किये जाते हैं। सबसे अन्त में मूल्यांकन निर्देशिका तैयार की जाती है। इसमें परीक्षण में सम्मिलित समस्त जानकारी विस्तार से दी जाती है अर्थात परीक्षण निर्देशिका में परीक्षण के उद्देश्य, विश्वसनीयता, वैधता, मानक अंकन प्रक्रिया आदि का वर्णन प्रस्तुत रहता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book