बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ग्रेडिंग प्रणाली से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ व हानियों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
आजकल बहुत से महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली (CBCS), सेमेस्टर प्रणाली, ग्रेडिंग प्रणाली, खुली पुस्तक परीक्षा (open book exam), मांग आधारित परीक्षा या ऑन लाइन डिमांड परीक्षा (online exam) शिक्षा और मूल्यांकन के क्षेत्र में नवीन परीक्षा पद्धति एवं प्रमुख परीक्षा प्रणाली का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। प्रमुख परीक्षा प्रणालियों का विस्तृत विवरण निम्नलिखित है -
(1) विकल्प आधारित क्रेडिट प्रणाली
(2) ग्रेडिंग प्रणाली
(3) खुली पुस्तक परीक्षा प्रणाली
(4) मांग आधारित परीक्षा या ऑन डिमांड परीक्षा
(5) ऑनलाइन परीक्षा
ग्रेडिंग प्रणाली
(Grading System)
शिक्षा में छात्रों द्वारा की गयी प्रगति और अधिकांशतः उसका मूल्यांकन अति आवश्यक और अनिवार्य है। अध्यापकों के लिए भी यह जानना उपयोगी और उत्साहवर्धक होता है कि उनके शिक्षण से उनके विद्यार्थी कितना प्रभावित हुए हैं। इसके अतिरिक्त अभिभावकों में यह जानने की भी जिज्ञासा रहती है कि उनके बच्चों ने कैसी प्रगति की है इसे जानकर शिक्षक और अभिभावक बच्चों को सही मार्गदर्शन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त विद्यार्थियों को भी अपनी शैक्षिक उपलब्धि का ज्ञान प्राप्त हो जाता है जिससे वे अपनी शैक्षिक योजनाएँ उसी के अनुसार बनाते हैं। हमारे देश में वर्षों से इसके लिए परीक्षाओं का आयोजन होता रहा है जिसमें प्रश्न पत्रों में दिए गए प्रश्नों के उत्तर देते हैं और उत्तरों के मूल्यांकन के उपरान्त उन्हें अंक दिये जाते हैं। यह अंक 0 से 100 तक प्रतिशत के रूप में दर्शाये जाते रहे हैं एवं यही निर्धारित मानकों विभागों के आधार पर छात्रों को प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी प्रदान कर दी जाती है। यह प्रणाली कई वर्षों से बिना किसी संशोधन या परिवर्तन के चली आ रही है। जिसका कोई तार्किक और वैज्ञानिक आधार नहीं है।
इस प्रणाली (अंक प्रणाली) की आलोचना समय-समय पर की जाती रही है। इसकी आलोचना परीक्षकों द्वारा अपनी विचारधारा और उस समय की उनकी मानसिक स्थिति के आधार पर की जाती है। इसके अतिरिक्त जहाँ 59.8% प्राप्तांक पाने वाला छात्र प्रथम श्रेणी प्राप्त करता है वहीं 60% अंक प्राप्त करने वाला छात्र उच्च प्रथम श्रेणी प्राप्त करता है जबकि प्रतिशत में दोनों छात्रों की योग्यता में कोई अन्तर नहीं होता है। इस प्रकार मूल्यांकन के विषयक की प्रकृति द्वारा अंकों का निर्धारण होता है, जैसे गणित में 100% अंक प्राप्त करना सम्भव है, पर इतिहास या भाषा में यह सम्भव नहीं है।
अंकन प्रणाली की इन कमियों के कारण माध्यमिक शिक्षा आयोग (1952-53) तथा शिक्षा आयोग (1964-66) ने अंकों के आधार पर ग्रेडिंग प्रणाली का सुझाव दिया। 1975 ई. में NCERT के द्वारा जारी ‘Frame work of curriculum for ten year School’ में भी ग्रेड प्रणाली की सिफारिश की गई थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 1986 की ‘Plan of Action’ National Policy on Education’ में भी विश्वविद्यालय स्तर पर ग्रेड प्रणाली अपनाने की बात की गई है।
ग्रेडिंग प्रणाली में विद्यार्थियों की प्राप्त की गई उपलब्धि तथा निष्पादन (performance) के आधार पर प्रायः 5 श्रेणियाँ विभाजित करके अलग ग्रेड प्रदान किया जाता है। इसके लिए कमसेः दो प्रकार के आधार ग्रेड प्रचलित हैं। एक में इन श्रेणियों के नाम हैं ABCD और E तथा दूसरे में
O, A, B, C तथा D। अक्षर समूह इनमें से कोई भी चुना जाए परन्तु जिस प्रभावी उपलब्धि और निष्पादन स्तर का प्रतिनिधित्व करते हैं वह है उत्कृष्ट (outstanding), बहुत अच्छा (very good), अच्छा (good), कमजोर (Poor) तथा बहुत कमजोर (very poor)।
केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 9 बिन्दुओं वाली ग्रेडिंग प्रणाली को लागू किया है जिसमें 'अक्षर वाले ग्रेड' (A¹, A², B¹, B², C¹, C², D¹, D², तथा E) हैं जिन्हें अनुकूल प्रतिशत वाली सीमाएँ हैं (जो 91-100, 81-90, 71-80, 61-70, 51-60, 41-50, 33-40, 21-32 तथा 20) एवं उससे कम के रूप में हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) तथा अनेक विश्वविद्यालयों में 1975 तथा 1976 में ग्रेड प्रणाली पर कार्यशालाओं आयोजनों के पश्चात् की गई है और इसके आधार पर 7 बिन्दु ग्रेड प्रणाली अपनाने का सुझाव दिया गया। ये ग्रेड O, A, B, C, D, E और F हैं।
भारत में इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) ने अपने यहाँ पाँच बिन्दु वाली ग्रेडिंग व्यवस्था (A, B, C, D तथा E) लागू की हुई है।
ग्रेडिंग प्रणाली में परीक्षक छात्र के उत्तरपत्रों को सीधा-सीधे ग्रेड देकर मूल्यांकन कर सकते हैं तथा सम्पूर्ण उत्तर पुस्तिका के लिए औसत ग्रेड ज्ञात कर सकते हैं। ग्रेड औसत की गणना के लिए सभी ग्रेडों को अंकों में परिवर्तित कर लिया जाता है और उसके पश्चात् उनका औसत ज्ञात कर लिया जाता है। ज्ञान बिन्दु ग्रेड प्रणाली में O को 6, A को 5, B को 4, C को 3, D को 2, E को 1 और F को 0 अंक दिए जा सकते हैं। जब विभिन्न प्रश्नों के लिए भार (Weightage) असमान हो तब विभिन्न प्रश्नों के अंकों का प्रतिशत में गणना कर उनका योग कर लेते हैं और उसे 100 से भाग देकर एक ग्रेड बिन्दु ज्ञात किया जाता है।
ग्रेडिंग प्रणाली के लाभ - इस प्रणाली के लाभ निम्न हैं :
(1) ग्रेडिंग प्रणाली में अधिक संख्या में छात्र उत्तीर्ण होते हैं।
(2) आन्तरिक मूल्यांकन के कारण विद्यालय तथा छात्र के मध्य सम्बन्ध सघनात्मक होते हैं।
(3) यह विद्यार्थियों के शैक्षिक निष्पादन के विषय में सटीक जानकारी प्रदान करता है।
(4) यह परीक्षा परिणामों के प्रति समाज के लोगों तथा अभिभावकों की समझ को आसान बनाता है।
(5) छात्रों में समूह कार्य होने के कारण सामूहिकता की भावना जागृत होती है।
(6) इससे विभिन्न विश्वविद्यालयों और बोर्ड के विद्यार्थियों की तुलना सरलता से की जा सकती है।
(7) ग्रेड के सहायता से किया गया मूल्यांकन अधिक विश्वसनीय होता है।
(8) ग्रेड प्रणाली एक सामान्य मापांक का कार्य करती है जिससे विभिन्न विषयों में संकायों के अध्यवसायरत विद्यार्थियों की शैक्षिक उपलब्धि की तुलना सरलता से की जा सकती है।
(9) ग्रेड प्रणाली से छात्रों का एक विश्वविद्यालय या संस्था से दूसरे विश्वविद्यालय या संस्था में स्थानान्तरण सरलता से किया जा सकता है।
ग्रेडिंग प्रणाली की सीमाएँ - इस प्रणाली की हानियाँ निम्नलिखित हैं -
(1) ग्रेडिंग प्रणाली परीक्षा में 99 प्रतिशत तथा 90 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्रों को एक ही ग्रेड दिया जाता है। अयोग्य अधिक प्राप्त तथा परिश्रम कर करने वाले छात्रों में असन्तोष की भावना उत्पन्न हो जाती है।
(2) ग्रेडिंग वर्ष भर किए जाने वाले विभिन्न प्रोजेक्ट्स तथा अन्य क्रियाओं पर दिए जाते हैं जिससे छात्रों को पढ़ाई करने का जीवन समय नहीं मिलता है तथा वे वर्ष भर विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट्स में व्यस्त रहते हैं।
(3) ग्रेडिंग में केवल शैक्षिक उपलब्धि सम्बन्धी ग्रेड दिए जाते हैं। इससे छात्रों का सम्पूर्ण मूल्यांकन नहीं हो पाता है, यह उपलब्धि छात्र प्रश्नों को टक्कर भी प्राप्त कर सकते हैं। कुछ छात्र परीक्षा में बेईमानी करके भी अच्छे ग्रेड्स प्राप्त कर सकते हैं, जिससे छात्र में धोखा देने की भावना भी जागृत होती है।
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