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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2765
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- स्पष्ट एवं योग्यता मूल्यांकन का अर्थ स्पष्ट कीजिए।

अथवा
स्पष्ट मूल्यांकन तथा योग्यता मूल्यांकन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
स्पष्ट मूल्यांकन योग्यता मूल्यांकन से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर -

स्पष्ट मूल्यांकन तथा योग्यता मूल्यांकन में अन्तर
(Difference between Formative Evaluation and Summative Evaluation)

स्पष्ट मूल्यांकन (Formative Evaluation) - स्पष्ट परीक्षण का सम्बन्ध पाठ्य-वस्तु विश्लेषण पर आधारित होता है। पाठ्य-वस्तु विश्लेषण के अन्तर्गत छोटी-छोटी इकाइयाँ में सम्पूर्ण-चक्र के अनुसार हम सम्पूर्ण पाठ्य-वस्तु को दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, अर्धवार्षिक एवं वार्षिक विभागर कर लेते हैं और हमारा सम्पूर्ण ध्यान एक इकाई विशेष को योजनाबद्ध रूप से शिक्षण करने में केन्द्रित हो जाता है जिससे छात्र विषय-वस्तु को ठीक प्रकार से आत्मसात् कर सके तथा हमारी शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया भी प्रभावी हो सके। ठीक इसी प्रकार स्पष्ट परीक्षा के अन्तर्गत हम पाठ्य-वस्तु को भागों में विभक्त कर प्रत्येक शिक्षण सत्र की समाप्ति के पश्चात् प्रत्येक इकाई के अन्त में परीक्षा लेते हैं और यह देखते हैं कि छात्र ने अध्ययन किया विषयवस्तु को किस सीमा तक आत्मसात किया है। इस प्रकार स्पष्ट परीक्षा का प्रयोजन सतत परीक्षण के समान ही होता है। इसकी रचना प्रत्येक इकाई के मापन के लिये की जाती है जिससे कि छात्रों को विषय-वस्तु का गहन अध्ययन कराया जा सके।

योग्यता मूल्यांकन (Summative Evaluation) - जब छात्र स्पष्ट परीक्षा में सफल हो जाते हैं तब उन्हें योग्यता परीक्षण दिया जाता है। इस परीक्षण द्वारा अध्यापक छात्रों के सामान्य स्तर की परीक्षा लेते हैं। छात्रों की सफलता के आधार पर अध्यापक शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की प्रभावशीलता का अनुमान लगाता है। यदि वह छात्रों की उपलब्ध अथवा अपने शिक्षण से सन्तुष्ट नहीं है तो वह समस्या पर गम्भीरतापूर्वक विचार करके प्रकरण विशेष में उपचारात्मक परीक्षण बनाता है तथा समस्या के समाधान हेतु उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था करता है। शिक्षण अधिगम की सम्पूर्ण प्रक्रिया छात्रों की सफलता पर ही आश्रित रहती है। शिक्षण की भावी दिशा निर्धारित करने के साथ-साथ योग्यता मूल्यांकन को भी आधार बनाया जाता है।

तुलनात्मक दृष्टि से जहाँ स्पष्ट परीक्षण में छात्रों की अधिगम कठिनाइयों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है वहीं दूसरी ओर योग्यता परीक्षण में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया की प्रभावशीलता को अधिक महत्व दिया जाता है। संक्षेप में, ये दोनों प्रकार के परीक्षण एक-दूसरे के पूरक हैं तथा मूल्यांकन की आधुनिक संकल्पना की दृष्टि से अत्यन्त उपयोगी हैं।

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