बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 सामाजिक विज्ञान शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- व्यापक एवं सतत मूल्यांकन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
व्यापक मूल्यांकन (Comprehensive Evaluation) - व्यापक मूल्यांकन से तात्पर्य यह है कि परीक्षा मात्र बौद्धिक ज्ञान का मापन करने के लिये बनाई गई है। व्यापकता का सम्बन्ध क्षेत्र तथा विषय पाठ्यक्रम पर आधारित हो उसके समस्त पहलुओं पर छात्र से प्रश्न पूछे जाएँ। जितना अधिक कोई परीक्षा पाठ्यक्रम तथा उसके विभिन्न अंगों एवं क्षेत्रो से सम्बन्धित होगा उतना ही वह व्यापक कहलायेगा। व्यापकता के इस गुण के अन्तर्गत परीक्षा का वह प्रकार आ जाता है, जिसके द्वारा परीक्षा उस योग्यता (Trait) के विभिन्न पक्षों का मापन करने में समर्थ होता है। विज्ञान की परीक्षा में मात्र बौद्धिक पक्ष का पुँन रचनाात्मक प्रश्नों के माध्यम से मापन कर लेना ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसमें प्रयोगात्मक तथा सामाजिक पक्षों का भी समावेश होना चाहिए। इस प्रकार व्यापकता का सम्बन्ध लक्ष्य की पूर्ति के साथ-साथ व्यवहार के विविध प्रतिरूपों को प्रदर्शित करने तक है। परीक्षा की व्यापकता परीक्षा निर्माण की स्वयं की सूझ-बूझ, बुद्धि एवं परिकल्पना पर निर्भर करती है।
सतत मूल्यांकन (Continuous Evaluation) - सतत मूल्यांकन यह दर्शाता है कि समयबद्ध एवं क्रमबद्ध तरीके से छात्र द्वारा अर्जित ज्ञान की परीक्षा ली जाती है। मूल्यांकन अपने आप में सतत एवं विस्तृत प्रक्रिया है जिसका दायरा व्यवहारिक परिवर्तनों के प्रभावों का मापन किया जाता है। शिक्षा के क्षेत्र में मूल्यांकन का अर्थ सामान्य उपलब्धि की जाँच करना है। प्रत्येक शिक्षक मूल्यांकन के आधार पर अनुमान लगाता है कि विद्यार्थियों के ज्ञान में किस सीमा तक परिवर्तन हुआ और यह तभी लग सकता है जबकि मूल्यांकन की प्रक्रिया सतत् रुप से चलती रहे। कोठारी आयोग ने कहा है कि "मूल्यांकन एक सतत् चलने वाली प्रक्रिया है, यह सतत् शिक्षा क्रम का महत्तवपूर्ण भाग है और इस तरह इसका शैक्षिक उद्देश्यों से घनिष्ठ सम्बन्ध है।
निष्कर्षतः हम कह सकते हैं कि मूल्यांकन सदैव व्यापक एंव सतत् ही होती है उसको अलग-अलग करके नहीं देखा जा सकता।
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