बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पाठ-योजना के इकाई-उपागम पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर-
अध्यापक इस उपागम में विषय-वस्तु को छोटी-छोटी इकाइयों में विभाजित करके शिक्षण करता है। प्रत्येक इकाई पहले पढ़ाई गई इकाई पर आधारित होती है। शिक्षक प्रत्येक इकाई की विषय - वस्तु पूर्ण रूप से छात्रों के सम्मुख रखता है।
इकाइयों के निर्माण के सिद्धान्त
(i) इकाई या सिद्धान्त - इकाई प्रणाली अंश न होकर पूर्ण हो।
(ii) रुचि एवं उद्देश्य - उपागम छात्रों की रुचि और उद्देश्य के अनुसार हो।
(iii) गतिशीलता - प्रत्येक इकाई गतिशील हो और उसका क्षेत्र विस्तृत हो।
(iv) संगठन का सिद्धान्त - इकाई की पूर्णता हेतु संगठन की आवश्यकता होती है। अतः पाठ्य वस्तु की उचित व्यवस्था की जाए।
(v) बाल केन्द्रित - इकाई का निर्माण छात्र के हित में हो।
(vi) अभिव्यक्ति का सिद्धान्त - इस प्रणाली में छात्रों की अभिव्यक्ति को स्वतंत्रता दी गई है ताकि उनमें आत्मविश्वास उत्पन्न हो।
इकाई उपागम के सोपान
(i) अन्वेषण
(ii) प्रस्तुतीकरण
(iii) आत्मीकरण
(iv) संगठन या व्यवस्थापन
(v) आवृत्ति या अभिव्यक्तिकरण
इकाई उपागम के गुण या विशेषतायें
(i) इकाई उपागम छात्र-केन्द्रित हों।
(ii) ज्ञान के लिये मनोविज्ञान को आधार बनाया जाए।
(iii) विषय-वस्तु को छोटी-छोटी इकाइयों में बाँटा जाए।
(iv) प्रत्येक इकाई के उद्देश्य स्पष्ट हों।
(v) छात्रों में स्वाध्याय की आदत का विकास होता है।
(vi) छात्रों को अभिव्यक्ति का अवसर मिलता है।
(vii) छात्रों में आत्मविश्वास उत्पन्न होता है।
(viii) छात्रों में सामाजिक मूल्यों का विकास होता है।
इकाई उपागम के दोष, कमियाँ या अवगुण
(i) इसमें समय अधिक खर्च होता है।
(ii) कई बार जरा सी असावधानी से इकाई नीरस और व्यर्थ हो जाती है।
(iii) अध्ययन की मौलिकता प्रभावित होती है।
(iv) क्षेत्र बहुत सीमित है।
(v) इकाई बनाना असुविधाजनक है।
(vi) उपागम के सोपानों में स्पष्टता न होने के कारण इनका प्रयोग कठिन है।
(vii) शिक्षण धीमी गति से होता है। अतः पाठ्यवस्तु समय पर पूरी नहीं होती।
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