बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- पाठ योजना के लिए नई विधि का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
हरबर्ट उपागम को आधार बनाकर नई पाठ योजना का विकास किया गया है जिसका मुख्य आधार मनोवैज्ञानिक है। इसे पाठ्य सामग्री, उपलब्ध समय, छात्रों की औसत उम्र एवं उनके मानसिक स्तर को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। अध्यापक धीरे-धीरे उपलब्ध समय के अनुसार-पाठ के निम्नलिखित सोपानों को विकसित करता है।
(i) तैयारी करना - इस सोपान के अंतर्गत अध्यापक पाठ्य सामग्री को किस प्रकार से तैयार करना है ? की भूमिका बनाता है। वह पाठ से संबंधित उपलब्ध पाठ्य सामग्री का गहन अध्ययन कर शिक्षण के लिए योजना तैयार करता है। इस विधि के अनुसार-किसी भी विषय की पाठ्य सामग्री को प्रस्तुत करने का यह प्राथमिक सोपान है। कक्षा में अध्यापन के दौरान प्रयोग की जाने वाली शिक्षण - विधियाँ, सहायक सामग्री एवं अन्य क्रियाओं का निर्धारण भी इसी चरण में किया जाता है।
(ii) प्रस्तुतीकरण - यह इस विधि का दूसरा सोपान है, जिसके अंतर्गत किसी विषय के पाठ के उद्देश्यों का निर्धारण किया जाता है। इसमें उस विशेष पाठ के दोनों प्रकार के उद्देश्यों सामान्य एवं विशेष उद्देश्यों को सम्मिलित किया जाता है।विषय के सामान्य उद्देश्य तो पहले ही निश्चित कर लिए जाते हैं जबकि विशेष उद्देश्य पाठ्य सामग्री के अनुसार-बदलते रहते हैं। सामान्य उद्देश्यों के अंतर्गत छात्रों की योग्यता एवं क्षमता का विकास करना, उन्हें समाज का सभ्य, जागरूक एवं उपयोगी नागरिक बनाना, विषय संबंधी रुचि पैदा करना एवं उपलब्ध ज्ञान की जानकारी देकर भावी शिक्षा के लिए तैयार करना आदि आते हैं। शिक्षक को इस विधि के अनुसार-पाठ का विकास इस ढंग से करना है जिससे उसमें स्वाभाविकता दिखाई दे। शिक्षण को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए प्रश्नों की मदद से शिक्षक को आगे बढ़ना चाहिए।
(iii) चाक-बोर्ड कार्य - इस विधि के अंतर्गत शिक्षक को चाक-बोर्ड का पर्याप्त प्रयोग करना चाहिए। उसके द्वारा लिखी गई पाठ्य सामग्री के सार को भी छात्र अपनी अभ्यास-पुस्तिका में लिखे।इस प्रकार का चाक-बोर्ड कार्य सारयुक्त तथा क्रमबद्ध होना चाहिए।
(iv) पुनरावृत्ति - पुनरावृत्ति पाठ की समाप्ति के बाद की जाने वाली एक महत्त्वपूर्ण क्रिया है।पाठ समाप्ति पर शिक्षक छात्रों से कुछ ऐसे प्रश्न पूछे जिससे उसे यह जानकारी मिल जाए कि छात्रों को पाठ कितना समझ में आया है। यह सोपान शिक्षक को यह भी जानकारी देता है कि उसका शिक्षण कितना प्रभावशाली रहा। इस चरण में रही कमियों में सुधार करके शिक्षक अपने शिक्षण को प्रभावशाली बना सकता है।
(v) गृह कार्य - इस विधि का अंतिम चरण गृह कार्य है। गृह कार्य के द्वारा बच्चे उपलब्ध समय का सदुपयोग करते हैं जिससे उन्हें शिक्षक द्वारा बताए गए कार्य को करने का अवसर मिलता है। गृह कार्य में शिक्षक द्वारा पाठ से संबंधित विभिन्न प्रकार के प्रश्न दिए जाने चाहिए जिससे छात्र का बौद्धिक एवं मानसिक विकास किया जा सके। इसके द्वारा कक्षा में पढ़ाई गई पाठ्य सामग्री को छात्र पुनः देखकर अपनी स्मृति को स्थायी कर सकता है। गृह कार्य उतना ही देना चाहिए जितना छात्र आसानी से कर सकें।
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