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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2762
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वाणिज्य शिक्षण में एक पाठ योजना के सोपानों की विवेचना कीजिये।

उत्तर-

वाणिज्य अध्यापन में ज्ञान प्रदान करने वाले पाठों के लिए हरबर्ट महोदय के पंचपद प्रणाली का प्रयोग किया जाता है जो इस प्रकार है-

(अ) प्रस्तावना - इसे 'पूर्व ज्ञान परीक्षा' या परिचय भी कहा जाता है। इस सोपान में बालकों ज्ञान को जाँचने के लिए कुछ प्रश्न किए जाते हैं। ऐसा एक तो इसलिए किया जाता है कि इस बात का पता चल जाए कि विद्यार्थी पहले से क्या जानते हैं। दूसरे उनमें नए ज्ञान को सीखने की उत्सुकता उत्पन्न हो जाए। अध्यापक विद्यार्थी से पाठ सम्बन्धित कुछ प्रश्न पूछता है।प्रश्न कितने पूछे जाएं इसका निर्भर पाठ पर है। किसी पाठ में केवल दो या तीन प्रश्न ही पाठ का सम्बन्ध जोड़ने के लिए काफी हैं तो किसी दूसरे पाठ में इससे भी अधिक प्रश्न पूछने की आवश्यकता पड़ सकती है। अर्थात् इस पद में बालकों के पूर्व अनुभवों की जाँच करते हुए उन्हें नवीन ज्ञान को प्रदान करने के लिए तैयार किया जाता है।

(ब) उद्देश्य कथन - अध्यापक प्रश्न पूछने के पश्चात् पाठ का उद्देश्य घोषित करता है कि आज हम यह पाठ पढ़ेंगे। यहाँ पर बालकों को प्रकरण स्पष्ट हो जाता है तथा शिक्षक स्वयं स्पष्ट शब्दों में प्रकरण को श्यामपट्ट पर लिख देता है।

(ii) प्रस्तुतीकरण अथवा विषय प्रवेश - इस सोपान में बालकों के सहयोग से पाठ का विकास किया जाता है। यहाँ अध्यापक विद्यार्थियों के सम्मुख नवीन विषय प्रस्तुत करता है। उनकी मानसिक क्रिया को उत्तेजित करके उन्हें स्वयं सीखने के अवसर प्रदान करता है। शिक्षक बालकों से प्रश्नों के द्वारा अधिकांश बातें उन्हीं से निकालने का प्रयत्न करता है।

प्रस्तावना में कुछ बातें ध्यान देने योग्य हैं-

(अ) पाठ को इकाइयों में विभाजित करे।

(ब) पृष्ठ के तीन स्तम्भ बनाओ। सबसे बाईं ओर विषय-वस्तु, बीच में विधि और दाईं ओर श्यामपट्ट सार का प्रावधान है। पाठ-योजना के दो स्तम्भ भी बनाए जा सकते हैं। बाईं ओर विषय-वस्तु तथा दाईं ओर विधि।श्यामपट्ट सार पाठ के अन्त में लिखा जा सकता है।

(स) पाठ के विकास में जो सहायक सामग्री का प्रयोग करना है उसका जिक्र प्रस्तावना में होना चाहिए।

(iii) तुलना व सम्बन्ध - इस सोपान में पढ़ाए गए तथ्यों, घटनाओं अथवा प्रयोगों का तुलना के द्वारा आपस में सम्बन्ध स्थापित किया जाता है जिससे बालकों में पढ़ाई गई बातें स्पष्ट रूप से समझ में आ जाएं। तुलना तथा सम्बन्ध स्थापित करने से बालकों के ज्ञान में वृद्धि होती है। शिक्षक को चाहिए कि वाणिज्य का सम्बन्ध दूसरे विषयों से तथा वाणिज्य में एक तथ्य अथवा घटना का सम्बन्ध इस विषय की कोई दूसरी घटना अथवा तथ्य से करवाए। ऐसा करने से बालकों में ज्ञान की वृद्धि के साथ-साथ उनकी चिन्तन शक्ति में विकास होता है।

(iv) निष्कर्ष - मूल पाठ को समझने के बाद इस सोपान में बालकों को सोचने-विचारने के अवसर प्रदान किए जाते हैं जिनसे नियमों तथा सिद्धान्तों का निर्माण हो सके।

(v) प्रयोग व पुनरावृत्ति - प्रयोग सोपान में यह देखा जाता है कि सीखे हुए ज्ञान को नई परिस्थितियों में प्रयोग किया जा सकता है कि नहीं। गणित आदि विषयों की तुलना में वाणिज्य में प्रयोग का बहुत कम प्रयोग होता है। वह भी जब बालकों को कोई मानचित्र भरने या कोई समय रेखा तैयार करने के लिए कहा जाए। नहीं तो इस विषय में पुनरावृत्ति ही पाठ योजना का अन्तिम सोपान है जिससे पाठ के अन्त में अध्यापक विषय-वस्तु के बारे में छात्रों से प्रश्न पूछता है। ऐसा वह यह जानने के लिए करता है कि जो कुछ उसने विद्यार्थियों को पढ़ाया है उसे वे भली-भाँति समझ गए हैं या नहीं।

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