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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2762
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- उपलब्धि परीक्षण एवं निदानात्मक परीक्षणों में अन्तर लिखिए।

उत्तर-

उपलब्धि परीक्षण एवं निदानात्मक परीक्षण में अन्तर

उपलब्धि एवं निदानात्मक परीक्षण में निम्नलिखित अन्तर है जो इस प्रकार है-

 

उपलब्धि परीक्षण निदानात्मक परीक्षण
1. उपलब्धि परीक्षण ये तो बता सकते हैं कि कोई विद्यार्थी किसी उपकरण का ठीक प्रकार प्रयोग करने में कमजोर है, परन्तु वह इस कमजोरी या समस्या का अच्छा तरह निदान करने तथा उसके पीछे छिपे हुए कारणों का पता लगाने में समर्थ नहीं हो पाते। इसलिए इनसे उपचारात्मक शिक्षण का नियोजन करने हेतु पर्याप्त आधार नहीं मिल पाता है। निदानात्मक परीक्षण समस्या की तह तक जाकर उसकी सही प्रकृति को सामने लाने तथा उसके पीछे छिपे हुए कारणों को प्रकाश में लाने में भली-भाँति सहयोगी सिद्ध होते हैं और इसी कारण उपचारात्मक शिक्षण के नियोजन के लिए उचित आधार - भूमि निदानात्मक परीक्षणों के परिणामों से ही प्राप्त हो सकती हैं, उपलब्धि परीक्षण परिणामों से नहीं।
2. उपलब्धि परीक्षणों का एकमात्र उद्देश्य जो कुछ लएक निश्चित अवधि में पढ़ा दिया जाता है उसकी उपलब्धि के स्तर पर पता लगाना होता है, विद्यार्थी जो गलतियाँ करते हैं या अधिगम उपलब्धि में उनकी जो कमजोरियाँ या कठिनाइयाँ हैं उनका पता लगाना नहीं होता। अतः यहाँ निदानात्मक परीक्षणों की तरह उपलब्धि परीक्षण के परिणामों की त्रुटि विश्लेषण (Error analysis) के रूप में व्याख्या करने की जरूरत नहीं पड़ती। निदानात्मक परीक्षणों के परिणामों की व्याख्या और विश्लेषण करने में बहुत अधिक सावधानी बरतनी पड़ती है।जैसे कि माना एक ऐसे विद्यार्थी का निदानात्मक परीक्षण लिया गया है जो प्रयोगशाला में ऑक्सीजन गैस का निर्माण ठीक प्रकार नहीं कर पाता तो यहाँ हमें उसके द्वारा की जाने वाली गलतियों या त्रुटियों का विधिवत् विश्लेषण (Error analysis) करना होगा ताकि उसके ऑक्सीजन गैस का निर्माण न करने सम्बन्धी समस्या की सही प्रकृति तथा उसके पीछे कार्य कर रहे कारणों का ठीक तरह से पता लगाया जा सके।
3. जो कुछ भी पढ़ा दिया जाता है उसकी सम्पूर्ण उपलब्धि की जाँच हेतु उपलब्धि परीक्षण लिये जाते हैं। यहाँ शिक्षण अधिगम सामग्री या विषय-वस्तु का बहुत अधिक विस्तार और व्यापक रूप से विश्लेषण करना आवश्यक नहीं होता और न विश्लेषित सामग्री का प्रश्न निर्माण हेतु क्रमिक आयोजन करना आवश्यक होता है। यहाँ तो बस इस बात का ध्यान रखना होता है कि जो कुछ पढ़ा दिया जाता है उसकी उपलब्धि की ठीक तरह से जाँच हो जाय चाहे प्रश्नों का विषय सामग्री के परीक्षण के सन्दर्भ में क्रम कैसा भी रहे ? निदानात्मक परीक्षण में हमें बहुत अधिक विस्तार और व्यापक रूप से पाठ्य वस्तु के विश्लेषण (content analysis) की जरूरत पड़ती है।पाठ्य वस्तु की किसी एक इकाई को बहुत-सी उप-इकाइयों तथा शिक्षण अधिगम बिन्दुओं में विभक्त करना होता है और फिर इस विभक्त सामग्री की तारतम्यता को बनाये रखते हुए क्रमबद्ध रूप से संगठित करना होता है। हम इस क्रम को नहीं तोड़ सकते और प्रश्नों की रचना क्रम को बनाये रखते हुए करनी पड़ती है ताकि विद्यार्थियों की अधिगम कठिनाइयों का कठिन स्तर को ध्यान में रखते हुए अच्छी तरह निदान किया जा सके।

 

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