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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2762
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- किसी व्यावसायिक इकाई के उद्देश्यों का वर्णन करते हुए उसकी सीमाएँ बताइए।

उत्तर-

किसी व्यावसायिक इकाई के उद्देश्यों की निम्न विशेषताएँ होनी चाहिए -

(i) प्राथमिकता के आधार पर उद्देश्यों का क्रम निश्चित करना - एक व्यावसायिक इकाई के बहुत से उद्देश्य होते हैं। अतः उन सभी उद्देश्यों की महत्ता को ध्यान में रखकर उनको प्राप्त करने का क्रम ध्यान में रखना चाहिए। अतः सर्वप्रथम मुख्य उद्देश्य को ग्रहण करना चाहिए और इसके बाद सहायक उद्देश्य को प्राप्त किया जाना चाहिए।

(ii) उद्देश्य विश्लेषण - उद्देश्य चाहे अल्पकालिक हो या दीर्घकालिक, एक ही समय पर तय किये जाने चाहिए। संस्था के प्रत्येक विभाग के पृथक्-पृथक् उद्देश्य होते हैं, फिर भी ये उद्देश्य संस्था के पूरक, सहायक अथवा उसके जरूरी अंग होते हैं।

(iii) उद्देश्य का निर्धारण - किसी भी योजना का पहला लक्ष्य उस काम का उद्देश्य तय करना होता है जिसकी योजना बनाई जा रही हैं क्योंकि उद्देश्य नियत किये बिना व्यवसाय की कार्यविधि, नियम एवं व्यावसायिक विधियों का निर्धारण असम्भव है।

(iv) उद्देश्य की समीक्षा - ऐसा करने से प्रबंधकों को काम की प्रगति की उचित जानकारी होती रहेगी और यदि आवश्यक हो तो आवश्यक संशोधन भी किया जा सकेगा।

(v) उद्देश्य की विविधता - एक व्यावसायिक इकाई के बहुत से उद्देश्य होते हैं जिन्हें प्राप्त करने के लिए विभिन्न परिस्थितियों के अनुरूप समय-समय पर, पृथक्-पृथक् काम किये जाते हैं। अर्थात् प्रत्येक क्षेत्र के विविध उद्देश्य होते हैं जिन्हें प्राप्त करने हेतु आवश्यकता के अनुसार-उचित कार्य सम्पन्न करने चाहिए।

उद्देश्यों की सीमाएँ

(i) पर्याप्त साधनों की कमी - प्रत्येक संस्था अपने उद्देश्यों को आदर्श बनाने हेतु एक उच्च स्तर पर तय करती है। परन्तु ऐसे उद्देश्यों की पूर्ति हेतु संस्था के पास पर्याप्त साधन उपलब्ध नहीं होते और इस कारण संस्था अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं हो पाती।

(ii) विवादों को रोकना कठिन - जब कोई संस्था अपने विभिन्न उद्देश्य निर्धारित करती है तो उन्हें प्राप्त करने के लिए एक साथ कार्य किया जाता है। ऐसी अवस्था में दो विभिन्न उद्देश्य निश्चित करती है तो उन्हें प्राप्त करने के लिए एक साथ कार्य किया जाता है। ऐसी दशा में दो विभिन्न कामों का आपस में टकराव हो जाता है अर्थात् यह विवाद पैदा हो जाता है कि कौन-सा उद्देश्य पहले प्राप्त किया जाए।

(iii) व्याख्या करने में कठिनाई - उद्देश्यों का संबंध एक अच्छे विषय को प्राप्त करने से होता है। इसकी सुगम शब्दों में व्याख्या करना कठिन होता है। यही उद्देश्य पथ-प्रदर्शन करते हैं। यदि उद्देश्य आर्थिक हैं तो उन्हें संख्यात्मक रूप में प्रदर्शित किया जा सकता है। जैसे उत्पादन 15 प्रतिशत बढ़ाना है। किन्तु ऐसे अनार्थिक उद्देश्य होते हैं जिनकी व्याख्या करना कठिन होता है। जैसे—श्रमिकों का मनोबल बढ़ाना तथा उनकी अच्छी कार्य दशाओं बढ़ाना आदि कुछ इस प्रकार के उद्देश्य हैं जो सुनिश्चित एवं सुगम नहीं हो सकते। इन्हें प्राप्त करना भी सरल नहीं होता।

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