बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- वाणिज्य शिक्षण के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
हमारे विद्यालयों में वाणिज्य शिक्षण का क्या महत्व है?
उत्तर-
वाणिज्य शिक्षण का महत्त्व निम्नलिखित बिन्दुओं से समझा जा सकता है-
वर्तमान आधुनिकीकरण व वैश्वीकरण की स्थिति में व्यावसायिक कटुता चरम पर है। व्यावसायिक क्षेत्र में नई खोजें होने से उन्नत साधनों, विधियों एवं प्रौद्योगिकी से व्यवसाय संचालित हो रहे है। इसके कारण उत्तम प्रबन्धन, उत्तम उत्पाद एवं अधिकतम लाभ की अपेक्षा की जा रही है। इस कारण शिक्षा जगत में वाणिज्य शिक्षण का महत्व बढ़ता जा रहा है, जिसका विवरण निम्नवत् है-
1. वाणिज्यिक ज्ञान में वृद्धि (Growth in Commecial Knowledge) - वाणिज्य शिक्षण के अन्तर्गत वाणिज्यिक तथ्यों, परिभाषित शब्दों, संकल्पनाओं, सिद्धान्तों एवं समस्याओं को बताया जाता है। इससे वाणिज्यिक ज्ञान में वृद्धि होती है। वाणिज्य शिक्षण से व्यक्ति को आर्थिक गतिविधियों व व्यावसायिक क्रिया-कलापों का ज्ञान कराया जाता है। इससे व्यक्ति आर्थिक क्रियाओं के नियोजन, संचालन एवं नियंत्रण में समर्थ हो जाता है व उसे अपने जीवन में आर्थिक समस्याओं को सुलझाने में सहायता मिलती है। इससे आर्थिक उन्नति होती है और आर्थिक सम्पन्नता आती है।
2. श्रमिकों के लिए उपयोगी - वाणिज्य ने श्रम विभाजन को जन्म दिया। श्रम विभाजन वर्तमान सभ्यता का आधार है। इसके बिना आर्थिक जीवन ठीक ढंग से नहीं चल सकता। इसके कारण श्रमिक अपने कार्य में विशेषज्ञ हो जाते हैं और कार्य-क्षमता में बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस विशेष योग्यता के कारण उनको ज्यादा मजदूरी मिलने लगती है।
3. मानवीय जरूरतों की पूर्ति में सहायक - मनुष्य की अनेक जरूरतें होती हैं। हम जरूरतों के विकास को व्यापार का जनक कह सकते हैं। जरूरतों का इतिहास ही व्यापार का इतिहास है। प्रारम्भ में मनुष्य की जरूरतें सीमित थीं। वह आत्मनिर्भर था। अपनी जरूरतों की पूर्ति स्वयं करता था। ऐसी स्थिति में व्यापार का जन्म हुआ था, क्योंकि तब जरूरत पूर्ति हेतु किसी प्रबन्ध की जरूरत न थी। आज के युग में मनुष्य की जरूरतों का अन्त नहीं होता, वे नित्य प्रति बढ़ती जाती हैं। वाणिज्य के द्वारा ही इन जरूरतों की पूर्ति होती है।
4. आर्थिक विकास में उपयोगी - आज वाणिज्य ने विनिमय को सुविधाएँ प्रदान की हैं। मानव केवल उन वस्तुओं का उत्पादन करता है जिनमें वह प्रवीण होता है। अपनी जरूरत की वस्तुएँ वह दूसरों से क्रय कर लेता है। इस प्रकार हम केवल उतना धन व्यय करते हैं जितना कि वह हमें इच्छित उपयोगिता दे सके। शेष धन हम बैंक में जमा कर देते हैं। बैंक में जमा किया हुआ धन उद्योगों और व्यापार में लगाया जाता है। इस प्रकार देश का व्यापार बढ़ता है। देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होता हैं।
5. उपभोक्ताओं को लाभप्रद - देश में अनेकों प्रकार का सामान तैयार किया जाता है। देश के विभिन्न कोनों में यह सामान भेजने का प्रबन्ध किया जाता है। वितरण की सुविधाओं से ही हम यह सामान लगभग एक स्थान पर प्राप्त कर सकते हैं। एक ही दुकान पर अनेकों मिलों का कपड़ा, कैमिस्ट की दुकान पर विविध फर्मों की औषधियाँ और पुस्तक विक्रेता के यहाँ विविध प्रकाशकों एवं लेखकों की पुस्तकें - इसका उदाहरण हैं।
6. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सहायक - वाणिज्य ने अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को सक्रिय सहयोग दिया है। आज प्रत्येक राष्ट्र केवल अपने राष्ट्र की वस्तुओं का ही उपभोग नहीं करता, वरन् दूसरे राष्ट्र की वस्तुओं पर आश्रित रहता है। कारण यह है कि किसी राष्ट्र में जूट अधिक उत्पन्न होता है तो किसी राष्ट्र में कपास। कहीं गेहूँ अधिक होता है तो कहीं ऊन। यहाँ पर वाणिज्य अपना सबसे बड़ा उपयोगसिद्ध करता है। अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्य की सहायता से एक राष्ट्र का माल दूसरे राष्ट्र के निवासियों को उपभोग के लिए मिल जाता है।
विद्यालयों में वाणिज्य शिक्षण से देश में समृद्धि आती है। वाणिज्य शिक्षा लेकर विद्यार्थी उद्योगों, कारखानों, कार्यालयों आदि में लेखाकार क्लर्क, प्रबन्धक, संचालक आदि बनकर उत्पादकता, गुणवत्ता, निर्यात संवर्द्धन आदि में योगदान देते है। इससे देश में भी समृद्धि आती है।
|