बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- उद्देश्य स्थापना में विचारणीय तत्त्वों का विवेचन कीजिए।
उत्तर-
उद्देश्य स्थापना में निम्नलिखित विचारणीय तत्त्व होते हैं-
(i) उद्देश्यों में उचित पहुँच रखना - संस्था के उद्देश्यों में कुछ न कुछ चुनौती का कार्य अवश्य रखना चाहिए जिससे कि प्रत्येक मनुष्य को साहसिक कार्य करना पड़े। किन्तु वह उद्देश्य इतना ऊँचा भी नहीं होना चाहिए कि पहुँच से बाहर हो।
(ii) कर्मचारी परामर्श उद्देश्य निर्धारण - उद्देश्यों का निर्धारण करने से पहले यह आवश्यक है कि उन सभी व्यक्तियों का परामर्श ले लिया जाए, जो इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए उत्तर-दायी. ठहराये जायेंगे। ऐसा करने से उद्देश्य अधिक सार्थक बनेंगे और उन्हें प्राप्त करने के लिए कर्मचारी अधिक मन से कार्य करेंगे।
(iii) यथार्थवादी उद्देश्य - व्यावसायिक इकाई के उद्देश्य निर्धारित सीमाओं के अन्तर्गत होने चाहिए ताकि उन्हें सरलता से प्राप्त किया जा सके। इसके लिए प्रबन्धकों को सरकारी नीति तथा बाजार, की अवस्था तथा संगठन की क्षमता तथा उपलब्ध आर्थिक साधनों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
(iv) उद्देश्य संख्या सीमित - प्रत्येक व्यावसायिक इकाई को अपने उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त करने हेतु उन्हें सीमित ही रखना चाहिए, इससे उन्हें आसानी से प्राप्त किया जा सकेगा।
(v) उद्देश्यों की व्यापक सूचना - कार्य करने वाले सभी कर्मचारियों को उद्देश्यों की विस्तृत जानकारी का होना आवश्यक है क्योंकि इसी से यह अपने लक्ष्यों को सरलता से प्राप्त कर सकेंगे।
(vi) संख्या सीमित होनी चाहिए - जहाँ तक हो सके, उद्देश्यों की संख्या सीमित ही रखनी चाहिए जिसे उन्हें सरलता से प्राप्त किया जा सके तथा किसी प्रकार का सन्देह पैदा न हो।अधिक संख्या में उद्देश्य उनकी उपयोगिता को घटा देते हैं।
(vii) उद्देश्यों की गुणात्मक व्याख्या - उद्देश्यों की स्थापना का क्रम जैसे-जैसे नीचे की ओर बढ़ता है वैसे-वैसे उद्देश्य गुणात्मक तथा व्यावहारिक बनते चलते जाते हैं। इसके कारण वास्तविक तरक्की को मापना बहुत सरल हो जाता है।
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