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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2762
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वाणिज्य शिक्षण में नई शिक्षा नीति 1986 द्वारा निर्धारित उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-

नई शिक्षा नीति में शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित करते समय सरकार आयोगों के सुझावों के अतिरिक्त राष्ट्रीय विकास के विविध पहलुओं को भी अपने सामने रखा। शिक्षा और विकास के अभिन्न संबंध पर बल देते हुए भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गाँधी ने राष्ट्रीय विकास परिषद् की 39वीं बैठक का 1986 ई. में उद्घाटन किया और उस बैठक में कहा था, “शिक्षा विकास प्रक्रिया का एक भाग है। इस विकास को अलग नहीं किया जा सकता। ये दो अलग वस्तुएँ नहीं हैं। शिक्षा विकास की ओर अग्रसर करती है। इतना ही नहीं बल्कि विकास के साथ-साथ शिक्षा की माँग और भी अधिक बढ़ जाती है।"

(i) शिक्षा अधिक उपादेय - शिक्षा अधिक उपादेय होनी चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य केवल क्लर्क बनाना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि इसके द्वारा छात्रों में व्यावसायिक आर्थिक निर्भरता विकसित होनी चाहिए। शिक्षा के इसी उद्देश्य पर बल देते हुए भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने कहा था, "हमारी शिक्षा ऐसी नहीं होनी चाहिए जो सफेदपोश नौकरी माँगने वाले पैदा करे, बल्कि उसे स्वयं रोजमार की ओर अग्रसर करने वाली होनी चाहिए। इसके द्वारा विद्यार्थियों में आत्म-सहायता की भावना उत्पन्न होनी चाहिए ।"

(ii) सामाजिक समता एवं राष्ट्रीय एकता - शिक्षा द्वारा सामाजिक समता एवं राष्ट्रीय एकता का विकास होना चाहिए। देश के विविध क्षेत्रों की संस्कृतियों का विकास करके उन्हें राष्ट्रीय एकता में समन्वित करना चाहिए। राष्ट्रीय महत्ता के इस कार्य को शिक्षा द्वारा क्रियान्वित करना चाहिए। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने “राष्ट्रीय सामान्य पाठ्यक्रम' अपनाने की जरूरत पर बल दिया

(iii) भविष्योन्मुख शिक्षा - भविष्योन्मुख होनी चाहिए। शिक्षा द्वारा छात्रों में भविष्य के लिए सोचने की योग्यता विकसित की जानी चाहिए। परन्तु अंतीत तथा वर्तमान को भी सामने रखना होगा। इस तथ्य को स्पष्ट करते हुए भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था, “शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो अतीत की सर्वोत्तम बातों को उभारे, वर्तमान का सर्वोत्तम सामने लाए और भावी दिशा की ओर अग्रसर करे - वह दिशा जो हम देश के राजनैतिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास को देना चाहते हैं।"

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