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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2762
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वाणिज्यशास्त्र का समाजशास्त्र से सह-सम्बन्ध स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-

वाणिज्यशास्त्र और अर्थशास्त्र का गहरा सम्बन्ध है।अर्थशास्त्र में मनुष्य की आर्थिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है और वाणिज्यशास्त्र भी धन सम्बन्धी क्रियाओं का ही शास्त्र है। दोनों ही विषयों का उद्देश्य अधिकतम मानवीय कल्याण करना है।वाणिज्यशास्त्र मानवीय जीवन के व्यावहारिक पक्ष का अध्ययन करता है। वाणिज्यशास्त्र में आर्थिक नियमों का उपयोग किया गया है। मनुष्य की विविध वाणिज्य सम्बन्धी क्रियाओं का अध्ययन अर्थशास्त्र में किया जाता है। वाणिज्यशास्त्र के अध्ययन के लिए अर्थशास्त्र का ज्ञान और आर्थिक नियमों को समझने के लिए वाणिज्य का ज्ञान अत्यन्त आवश्यक है। मूल्य में कमी और वृद्धि, माँग और पूर्ति का नियम, साख और साख पत्र, राजकीय नियन्त्रण- ऐसे विषय हैं जिनका अध्ययन अर्थशास्त्र में किया जाता है। वाणिज्यशास्त्र में बैंकों के कारोबार, व्यापारिक संगठन, साख-पत्र, विभिन्न प्रकार के व्यापारी, आर्थिक व्यवस्था आदि का अध्ययन किया जाता है। इसमें हम उत्पादन, उपभोग, विनिमय और वितरण की प्रक्रियाओं का अध्ययन करते हैं। इस प्रकार वाणिज्यशास्त्र का क्षेत्र व्यापक है। इसमें अर्थशास्त्र की बहुत-सी विषय-वस्तु का अध्ययन आ जाता है।वाणिज्यशास्त्र के अध्ययन से छात्र देश की उन्नति में सहायक हो सकते हैं। अतः अर्थशास्त्र शिक्षण के उद्देश्यों की पूर्ति हो सकती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि वाणिज्यशास्त्र और अर्थशास्त्र का घनिष्ठ सम्बन्ध है।देश की उन्नति के लिए दोनों आवश्यक हैं तथा एक-दूसरे पर अवलम्बित हैं। वाणिज्यशास्त्र के शिक्षक को इनमें सम्बन्ध स्थापित करना उपयोगी होगा।

वाणिज्यशास्त्र और समाजशास्त्र

वाणिज्यशास्त्र तथा समाजशास्त्र एक-दूसरे से सम्बन्धित हैं।समाजशास्त्र के अध्ययन से वाणिज्य सम्बन्धी समस्याओं का हल आसानी से तलाश किया जा सकता है। व्यापार का सम्बन्ध समाज से ही होता है। अतः वाणिज्य की समस्याओं का अध्ययन करने के लिए समाज का अध्ययन करना होता है। समाज के सदस्यों की रुचि, फैशन, रीति-रिवाज आदि का ज्ञान व्यापारियों को उत्पादन क्षेत्र में सहायक होता है। जो वस्तु समाज में सभी को स्वीकार होती हैं वही वस्तु व्यापारियों के द्वारा बनाई जाती हैं। यही कारण है कि उत्पादक खुदरा व्यापारियों, एजेण्टों, सेल्समैन आदि की सहायता से उपभोक्ताओं की रुचि आदि का ज्ञान करते रहते हैं। किसी समाज की समस्याएँ व्यापार की भी समस्याएँ होती हैं। व्यापार की समस्याओं का हल समाज में तलाश करना होता है।प्रबन्धक को समाजशास्त्र का ज्ञान प्राप्त करना अति आवश्यक होता है। ऐसी जानकारी के अभाव में प्रबन्धक और श्रमिकों के मध्य मनमुटाव रहता है। अतः समाजशास्त्र का अध्ययन उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए अति आवश्यक है।

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