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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2762
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 वाणिज्य शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वाणिज्य शिक्षण में सह-सम्बन्ध के प्रकार एवं समन्वय से लाभ का उल्लेख कीजिए।

अथवा
सहसम्बन्ध के प्रकारों की चर्चा कीजिए।

उत्तर-

सहसम्बन्ध के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं-

(i) शीर्षात्मक सह-सम्बन्ध,

(ii) अनुप्रस्थीय सह-सम्बन्ध - इसके अन्तर्गत णठ्यक्रम के विभिन्न विषयों का एक-दूसरे से सम्बन्ध स्थापित किया जाता है। इसके दो रूप होते हैं-

(क) आकस्मिक सह-सम्बन्ध
(ख) व्यवस्थित सह-सम्बन्ध

(क) आकस्मिक सह-सम्बन्ध - इसका प्रयोग अध्यापक अपने अनुभव के आधार पर करता है। ऐसा वह अनायास ही करता है। इससे पाठ को समझने में विशेष सहायता मिलती है। वाणिज्यशास्त्र पढ़ाते समय यदि मूल्यों का वर्णन चल रहा है तो इसका समन्वय 'माँग और पूर्ति के नियम' से किया जा सकता है।

(ख) व्यवस्थित सह-सम्बन्ध - इसके अन्तर्गत वाणिज्यशास्त्र शिक्षक विषय सामग्री का चयन पहले से ही कर लेता है। इस प्रकार उसे पहले से ही यह मालूम रहता है कि कहाँ पर उसे क्या उदाहरण देना है। ऐसे सह-सम्बन्ध को व्यवस्थित सह-सम्बन्ध कहते हैं। प्रायः इस प्रकार का सह - सम्बन्ध अधिक उपयोगी माना जाता है। प्रशिक्षण महाविद्यालयों में छात्राध्यापकों को इसी प्रकार के समन्वय को प्रयोग करना चाहिए।

(iii) जीवन से सह-सम्बन्ध - हरबर्ट स्पेन्सर का मत था कि शिक्षा के द्वारा छात्रों को भावी जीवन के लिए तैयार करना चाहिए। यह हम तभी कर सकते हैं जबकि विद्यालय की शिक्षा का बाहरी जगत से समन्वय स्थापित किया जाए। वाणिज्यशास्त्र को जीवन से सम्बंन्धित करने का उद्देश्य यह है कि इसके सिद्धान्तों द्वारा बालक को व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाए। इसके द्वारा शिक्षक बालक के भावी जीवन को तैयार करता है।

समन्वय से लाभ

समन्वय द्वारा अधोलिखित लाभों को प्राप्त किया जा सकता है-

(i) इसके द्वारा पाठ्यक्रम सरल हो जाता है।
(ii) यह ज्ञान की एकता का बोध कराता है।
(iii) यह छात्रों का मानसिक स्तर ऊँचा उठाता है।
(iv) यह छात्रों को प्रयोगात्मक तथा व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करता है।
(v) इससे पाठ रोचक और आकर्षक हो जाता है।
(vi) इससे किसी विषय की संकीर्णता दूर होती है।
(vii) इससे बालक की रचनात्मक प्रवृत्ति में विकास होता है।
(viii) इससे समय की बचत होती है।
(ix) यह बालकों में विषय के प्रति रुचि जाग्रत करता है।
(x) यह जीवन - सम्बन्धी समस्याओं को हल करता है।

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