बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कविता की प्रकृति को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर-
कविता की प्रकृति
कविता भावों की स्वतः प्रस्फुटित रससिक्त अभिव्यक्ति है। आदि कवि वाल्मीकि ने जब काम मोहित क्रॉच पक्षी के जोड़े में से एक को शिकारी के बाण से विद्ध होकर गिरते देखा तो वे अपने करुणा विचलित भावो को रोक नहीं सके और अनायास उनकी आह भावनायें एक अमर श्लोक के रूप में प्रस्फुटित हो गयीं-
मा निषाद प्रतिष्ठां त्वमगमः शाश्वर्तोः समाः।
यत्क्रौन्च मिथुना देकमवधीः काम मोहितम |
संभवतः वियोग से आहत दुःखपूर्ण भावों की उक्त अभिव्यक्ति की ही भाँति प्रसाद जी ने भी कवि के लिये कहा था '
वियोगी होगा पहला कवि आह से उपचा होगा गान,
निकल कर आँखों से चुपचाप वह होगी कविता अनजान।
कविता तो कवि के मुख से बरबस फूट जाने वाली वाणी है। यह कभी सोच विचार कर नहीं निकलती। इसीलिये कभी राह चलते भिखारी की दीन हीन दशा देखकर भावुक हृदय निराला कह उठते हैं-
वह जाता, तो ट्रक कजेजे के करता,
पछताता पथ पर आता।
हाथ पैर दोनो मिलकर है एक
चल रथ लकुटिया टेक।
गोस्वामी तुलसीदास के प्रेमातिरेक को देखकर रत्नावली जैसी गृहणी के मुख से भी सहमा कविता फूट पड़ी थी-
अस्थि चर्म मय देह मम, तामें ऐसी प्रीति।
ऐसी जो श्री राम में, होत न यॉ भवभीति।
यह इसी कविता का ही प्रतिफल था कि आज रामचरित मानस जैसा अमर महाकाव्य हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि के रूप में हमें उपलब्ध हुआ है। यह कविता की ही प्रकृति है, कि वह कभी हमें हंसाती हैं, तो कभी रूला देती है, कभी इसके रसास्वादन से मन प्रसन्नता से भर जाता है, तो कभी नयन अश्रुपूरित हो जाते है। कभी इसकी ओजस्वी वाणी हमें वीरता, जोश व उत्साह से भर देती है, तो कभी प्रकृति के रौद्र रूप के दर्शन भी कराती है। दया, करुणा, वात्सल्य, प्रेम विरह, मिलन आवेग, संवेग, भय क्रोध आदि कविता के वे अस्त्र-शस्त्र हैं, जिनका वार भावुक हृदय व्यक्तियों को अक्सर झेलना पड़ता है। कहते हैं "कवि सृष्टा और दृष्टा दोनों होता हैं। इसलिए उसकी वाणी कभी कल्पना के स्वर्णिम महल खड़े कर देती है तो कभी यथार्थ की कठोर धरती पर चलने को विवश कर देती है। कविता अक्षर है, सहचरी है, मार्गदर्शक है, नीति है, जोश व क्रान्ति है। सपनों की दुनिया है और वास्तविक जीवन की आधारशिला है।
मानव मन को सभी रंगों से भर देने वाली सूर्य किरण के समान जीवन दायिनी है कविता | गहराई से देखो तो जीवन का सार है कविता |
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