बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- हिन्दी भाषा की प्रकृति बताइए।
उत्तर-
हिन्दी भाषा की प्रकृति
प्रकृति का तात्पर्य है स्वभाव, मूलगुण, प्रधान प्रवृत्ति तथा सहज स्वाभाविक व्यवहार। इस कसौटी पर भाषा की प्रकृति का अध्ययन करने पर भाषा के मूल गुणों- ध्वनि, अर्थ शब्द तथा वाक्य की ओर स्वभावतः व्यक्ति का ध्यान चला जाता है। सामान्यतया भाषा की बात करने पर मनुष्यों द्वारा प्रयुक्त की जाने वाली भाषा पर ही विचार किया जाता है। मनुष्य भाषा के उक्त 4 मूल गुणों को ही अपने संकेतों का आधार बनाता है। इन गुणों में सर्वप्रथम ध्वनि को ग्रहण किया जाता है। हिन्दी भाषा तो लगभग सम्पूर्ण रूप से ध्वनियों पर ही आधारित भाषा मानी जाती है। इस भाषा में ध्वनियों का प्रतिध्वनि करने के लिए. ही मात्राओं, विसर्ग, अनुस्वार आदि का विधान निर्मित किया गया है। यही कारण है कि हिन्दी को ध्वन्यात्मक भाषा कहा गया है। विभिन्न प्रकार के ध्वनि संकेतों को व्यवस्थित कर के शब्दों का रूप दिया जाता है जो और विस्तार लेता हुआ वाक्य रचना तक पहुँच जाता है। ध्वनि के बाद अर्थ, शब्द और वाक्य रचना पर विचार किया जाता है। इस प्रकार भाषा की प्रकृति का अध्ययन करने के लिये इसे उक्त चारो मूल गुणों को आधार बनाया जा सकता है
उक्त चारों गुणों का अपना-अपना विशिष्ट विज्ञान होता है। प्रसिद्ध भाषा वैज्ञानिक डॉ. भोला नाथ तिवारी ने भाषा विज्ञान की 4 शाखायें बतायी है-
1. ध्वनि विज्ञान ( Phonetics)
2. शब्द विज्ञान (Morphology)
3. अर्थ विज्ञान (Semantics) और
4. वाक्य विज्ञान (Syntax)
अतः भाषा की प्रकृति इन चारों के संदर्भ में ही देखना अधिक श्रेयस्कर होता है।
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