बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कविता (पद्य) का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए तथा इसकी विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
हिन्दी कविता से क्या अभिप्राय है? हिन्दी कविता की विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. कविता का अर्थ बताइए।
उत्तर-
अर्थ एवं परिभाषा
काव्य की परिभाषा करना कठिन है। काव्य की सार्वभौमिक परिभाषा नहीं दी जा सकती है। हिन्दी साहित्य के विद्वानों ने अपने-अपने ढंग से काव्य के सौन्दर्य तत्त्वों तथा उसकी आत्मा का विवेचन किया है।
आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के शब्दों में- "जब मनुष्य प्रकृति के विविध रूपों और व्यापारों से ऊँचा उठकर अपने योग-क्षेम, हानि-लाभ, सुख-दुःख आदि को भूलकर अपनी पृथक् सत्ता से छूटकर केवल अनुभूति मात्र रह जाता है तब हम उसे मुक्त हृदय की इस मुक्ति साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है उसे कविता कहते हैं।"
प्रेम से पीड़ित हृदय से कविता एक धारा के समान निकलती है-
"वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान।
उमड़ कर आँखों से चुपचाप, वही होगी कविता अनजान।। '
आचार्य मम्मट के अनुसार- "तद दोषो शब्दार्थों सगुणा कलंकृति पुन- क्वापि।"
दोषरहित, गुणयुक्त, प्राय- अलंकृत पर कभी-कभी अलंकृत शब्द और अर्थ को काव्य कहते हैं।
आचार्य शुक्ल द्वारा प्रस्तुत परिभाषा ऊपर लिखी जा चुकी है। उन्होंने दूसरे रूप में कविता की परिभाषा इस प्रकार लिखी है- "कविता वह साधन है जिसके द्वारा शेष सृष्टि के साथ हमारे रागात्मक सम्बन्ध की रक्षा और निर्वाह होता है।"
शम्भूनाथ के शब्दों में- "मैं कविता को हृदय की बात हृदय तक पहुँचाने का माध्यम तथा साधन समझता हूँ।"
विश्वनाथ कविराज के अनुसार- "वाक्यम् रसात्मकम् काव्यम्" रसात्मक ही काव्य है।
आचार्य दण्डी - "रीतिरात्मा काव्यस्य" रीति ही काव्य की आत्मा है।
जयशंकर प्रसाद के अनुसार- "आत्मा की संकल्पनात्मक अनुभूति काव्य है।"
पण्डित जगन्नाथ - "रमणीयार्थ प्रतिपादक शब्द काव्यम्" रमणीय अर्थ का प्रतिपादक शब्द ही काव्य है।
पाश्चात्य साहित्यकारों द्वारा प्रस्तुत कविता की कतिपय परिभाषा का अवलोकन भी समीचीन प्रतीत होता है-
मेथ्यू आर्नोल्ड - "कविता मूलत- जीवन की समालोचना है।"
"Poetry is the criticism of life."
मिल्टन - "कविता सरल, ऐन्द्रिक एवं रागात्मक होनी चाहिए।"
हडसन - "कविता कल्पना एवं मनोवेगी के माध्यम से जीवन की व्याख्या है।
कालरित - "सर्वोत्तम शब्दों का सर्वोत्तम क्रम कविता है।"
जॉनसन - "कविता सत्य और आनन्द के एकीकरण की कला है जिसमें विवेक के साथ कल्पना का प्रयोग होता है।
कारलायल - "संगीतमय विचार ही कविता है।" Poetry is musical thought.
उपर्युक्त प्रत्येक परिभाषा में कविता के किसी-न-किसी विशिष्ट सौन्दर्य का संकेत है। रस, अलंकार, ध्वनि, गुण, रीति, वक्रोति गुण कविता के विधान एवं आत्मा के विविध परिचायक तत्त्व हैं। वस्तुत- कविता इन सभी तत्त्वों की समष्टि है वह जीवन की समालोचना भी है और संगीतमय विचार भी। वह जीवन का प्रतिबिम्ब भी है और सर्वोत्तम शब्द योजना भी। ये सभी गुण उसके विविध सौन्दर्य तत्त्व हैं और छात्रों में इन सौन्दर्य तत्त्वों के बोध एवं अनुभूति की योग्यता विकसित करना कविता-शिक्षण का प्रमुख उद्देश्य है।
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