बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- गद्य-शिक्षण के उद्देश्य बताइए।
अथवा
गद्य-शिक्षण के सामान्य उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
गद्य-शिक्षण के उद्देश्य - विद्यालय में हिन्दी भाषा पढ़ने वाले विद्यार्थियों को पद्य व गद्य दोनों की ही शिक्षा दी जाती है। गद्य का क्षेत्र बहुत ही विशाल है- नाटक, उपन्यास, आलोचना, निबन्ध तथा कहानी आदि सभी इसके अन्तर्गत आते हैं।
गद्य-शिक्षण के सामान्य उद्देश्य
1. विद्यार्थियों के सूक्ति-भण्डार तथा शब्द भण्डार का विकास करना।
2. विद्यार्थियों के शुद्ध उच्चारण का विकास करना।
3. विद्यार्थियों में प्राप्त ज्ञान को प्रकाशित करने की योग्यता को विकसित करना।
4. विद्यार्थियों में इतनी क्षमता उत्पन्न करना कि वे शब्दों तथा मुहावरों का उचित प्रयोग कर सकें।
5. विद्यार्थी स्वयं पाठकों को ठीक प्रकार समझ सकें तथा उसकी अभिव्यक्ति में योग्यता प्राप्त कर सकें।
6. विद्यार्थियों की रचनात्मक शक्तियों को विकसित करना जिससे कि उनके व्यक्तित्त्व का पूर्ण विकास हो सके।
7. विद्यार्थियों में भाषा से सम्बन्धित ज्ञान की वृद्धि करना।
8. विद्यार्थियों में स्पष्ट अर्थ समझने की शक्ति को विकसित करना।
9. विद्यार्थियों में कलापूर्ण ढंग से वाचन करने की क्षमता को विकसित करना।
10. विद्यार्थियों को गद्य की विभिन्न शैलियों का ज्ञान कराना।
11. विद्यार्थियों की तार्किक एवं मनन करने की शक्ति को विकसित करना।
12. विद्यार्थियों में भाषा के द्वारा नैतिक तथा चारित्रिक विकास करना।
13. विद्यार्थियों में तर्क, विचार तथा कल्पना शक्ति का विकास करना।
14. विद्यार्थियों में स्पष्टता, क्रमबद्धता तथा सुगमता का विकास करना।
15. विद्यार्थियों में गद्य शिक्षा के माध्यम से सांस्कृतिक विचारों का ज्ञान प्रदान करना।
16. विद्यार्थियों को गद्य के माध्यम से वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक विचारों का ज्ञान प्रदान करना।
17. विद्यार्थियों में गति -लय, आरोह-अवरोह तथा विराम चिन्हों के साथ-साथ वाचन क्षमता का विकास करना।
18. विद्यार्थियों में भौगोलिक, ऐतिहासिक तथा सामाजिक गुणों का विकास करना।
गद्य-शिक्षण के विशिष्ट उद्देश्य गद्य-शिक्षण का क्षेत्र अधिक व्यापक तथा विशाल है। इसलिये गद्य-शिक्षण के उद्देश्य भी अनेक हैं। इन सभी उद्देश्यों को प्रमुख छः उद्देश्यों में विभाजित कर सकते हैं-
1. भाषा सम्बन्धी ज्ञान की अभिवृद्धि करमा तथा भाव व्यक्त करने की योग्यता, विकास एवं नवीन शैलियों से अवगत कराना।
2. छात्रों में शब्द भण्डार तथा सूक्ति-भण्डार की वृद्धि करना।
3. शुद्ध हिन्दी को हृदयंगम करने तथा कठिन शब्दों के उच्चारण की क्षमता एवं कौशलों का विकास करना।
4. बौद्धिक, तार्किक तथा मानसिक योग्यताओं का विकास करना।
5. आलोचनात्मक प्रवृत्ति को जाग्रत करना।
6. सुन्दर विचारों तथा भावों को विकसित करके चरित्र-निर्माण में योगदान करना।
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