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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2760
आईएसबीएन :0

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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- हिन्दी शिक्षण प्रविधियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर-

हिन्दी शिक्षण की प्रविधियाँ

भाषा शिक्षण अन्य विषयों के शिक्षण से भिन्न है। अतः इसके शिक्षण की प्रविधियाँ भी अन्य विषयों के शिक्षण प्रविधियों से कुछ अलग है। हिन्दी शिक्षण प्रविधियों मे कुछ तो शिक्षक केन्द्रित है तथा कुछ छात्र केन्द्रित प्रायः शिक्षण करते समय बाल केन्द्रित शिक्षण विधियों एवं प्रविधियों का प्रयोग अधिकांशत- किया जाता है। कुछ प्रमुख शिक्षण प्रविधियाँ निम्नवत है-

(1) ध्वनि साम्य प्रविधि - हिन्दी शिक्षण मे ध्वनि साम्य प्रविधि का प्रयोग सुनने और बोलने की योग्यताओं और कौशल के विकास के लिए किया जाता है बालको में अनुकरण की प्रवृत्ति प्रबल होती है। वे जैसा सुनते हैं वैसा बोलते है। ध्वनि साम्य प्रविधि में अनुकरण और अभ्यास दोनों ही क्रियाओं के माध्यम से सुनने और बोलने की योग्यता को विकसित किया जाता है। स्पष्ट उच्चारण उचित लय आरोह अवरोह के साथ बोलने का अभ्यास तथा अर्थ विभेद करने में सक्षम हो जाते है।

(2) सुनने तथा बोलने की प्रविधि - हिन्दी शिक्षण में सुनने और बोलने की प्रविधि को तीन प्रकार से प्रयोग में लाया जाता है-

(i) इस प्रविधि के अन्तर्गत शिक्षक स्वर, व्यंजन, शब्द, वाक्य आदि को स्पष्ट भाषा मानक के अनुसार- सही उच्चारण, बलाघात, स्वराघात, अनुतान, उच्चता, विराम चिन्हों के साथ वाचन करते है जिसे छात्र ध्यानपूर्वक सुनते है, उनका अनुकरण करके सीखते है और इस सीखे हुए ज्ञान को व्यवहार मे प्रयोग करते है। शिक्षक कक्षा के कुछ ऐसे बालकों जिनका उच्चारण स्पष्ट तथा मानकानुसार होता है से वाचन कराते है तथा शेष छात्र अनुकरण वाचन करके सीखते है।

(ii) दूसरे प्रकार में शिक्षक कुछ यान्त्रिक साधनों जैसे रेडियो, टेप आदि की मदद से छात्रों को कुछ सुनाते है फिर उनसे वैसा ही बोलने को कहते हैं। इससे बालकों के उच्चारण सम्बन्धी दोष धीरे- धीरे दूर हो जाते है। तथा छात्रों मे उचित लय, आरोह, अवरोह का अभ्यास हो जाता है। भाषा प्रयोगशाला का भी इस प्रविधि में प्रयोग किया जाता है।

(iii) देखो और कहो प्रविधि - हिन्दी शिक्षण प्रविधि के इस प्रकार मे बालक दृश्य एवं श्रव्य दोनों ही इन्द्रियों का उपयोग करते हुए भाषा सीखते हैं। इस प्रविधि में देखकर बोलने के साथ-साथ बालक पढ़ने में भी उनके कौशल को विकसित करता है। इस प्रविधि द्वारा ध्वनि लिपि चिन्हों को पहचानना और उनका उच्चारण करना, समझना, अर्थग्रहण करना छात्रों के लिए सम्भव हो पाता है। यह प्रविधि मौखिक शिक्षण कौशल के लिए अत्यन्त उपयोगी होती है।

(iv) अनुकरण प्रविधि - हिन्दी शिक्षण मे इस प्रविधि का प्रयोग प्रायः भाषण एवं वाचन कौशल के लिए किया जाता है। इसके साथ लेखन कौशल हेतु भी इस प्रविधि का प्रयोग किया जाता है। अनुकरण प्रविधि के माध्यम से छात्रों मे सुनने बोलने एवं लिखने की कला को विकसित किया जाता है इसके माध्यम से बालकों में वार्तालाप, कहानी कथन, घटना, वर्णन, यात्रा वृतान्त अनुभव कथन चित्र वर्णन काव्यपाठ व्याख्यान प्रश्नोत्तर की अभिक्षमता का विकास किया जाता है साथ ही इससे बालकों मे लेखन कला का विकास वर्तनी दोष का बचव तथा कल्पना शक्ति का विकास किया जाता है।

(v) प्रश्न प्रविधि - हिन्दी भाषा या मातृभाषा शिक्षण की सबसे प्राचीन प्रविधि मानी जाती है। इसमे तर्कपूर्ण ढंग से बालकों की जिज्ञासा को शान्त करके उनके चिन्तन का विकास किया जाता है।

भाषा शिक्षण के दौरान शिक्षक प्रश्नोत्तर प्रविधि से वार्तालाप करके बालकों से प्रश्न पूछते है तथा उनसे अपेक्षित उत्तर- प्राप्त कर एक ओर उनकी सम्प्रेषण सम्बन्धी झिझक को दूर करते है वही दूसरी ओर उनमें विचार व्यक्त कर अपनी बात कहने की क्षमता का विकास करते है।

(vi) अभ्यास प्रविधि - भाषा शिक्षण की यह सबसे महत्वपूर्ण प्रविधि मानी जाती है। यह प्रविधि समस्त कौशलों के विकास में सहायक होती है। क्योंकि बिना बोले सुने-पढ़े व लिखे भाषायी कौशलों के विकास मे दक्षता प्राप्त नहीं की जा सकती विशेषकर छोटी व तकनीकी शिक्षा की कक्षाओं में इसका उपयोग विशेष लाभकारी होता है। छोटी कक्षा के बालकों को छात्र हाथ से पकड़कर लिखाने का अभ्यास कराते है। तथा बाद मे अभ्यास पुस्तिका मे लिखे हुए अक्षरों के ऊपर लिखाने का अभ्यास कराते. है।

 

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