बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- शिक्षण युक्तियों से आप क्या समझते हैं? हिन्दी शिक्षण में कौन-कौन सी प्रमुख शिक्षण युक्तियों का प्रयोग किया जाता है? वर्णन कीजिए।
उत्तर-
शिक्षण युक्तियों
शिक्षण कला में दक्ष अध्यापक विविध प्रकार की क्रियायें करके किसी भी परिस्थिति में कक्षा शिक्षण को रोचक एवं प्रभावशाली बनाने सफलता प्राप्त कर लेते हैं। अध्यापक शिक्षण के समय अपने विद्यार्थियों को नवीन ज्ञान प्रदान करने के लिये तथ्यों एवं विचारों के सरलतम ढंग से प्रस्तुत करने एवं स्पष्ट करने के लिये जिन क्रियाओं को प्रयोग में लाता है, उन क्रियाओं को शिक्षण युक्तियाँ कहा जाता है। गार्लिक ने इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया है-
" शिक्षण युक्तियाँ अध्यापक के साधन है और यदि अच्छे कार्य का सम्पादन करना है तो उचित साधनों का समुचित ढंग से प्रयोग करना आवश्यक है।'
हिन्दी शिक्षण की प्रमुख युक्तियाँ हिन्दी शिक्षण में प्रयोग होने वाली प्रमुख युक्तियों का वर्णन निम्नप्रकार है-
1. व्याख्या - व्याख्या मौखिक शिक्षण की उपयोगी युक्ति है। जब कभी शिक्षण के अन्तर्गत शब्दों, भावों अथवा विचारों में जटिलता आ जाती है, जिसको विद्यार्थी को समझाना आवश्यक होता है, तब अध्यापक उन भावों एवं विचारों को सरल भाषा में समझाते हुये विद्यार्थियों को आत्मसात कराने का प्रयत्न करता है। इस प्रकार व्याख्या का तात्पर्य किसी शब्द या विचार को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने से है जिससे विद्यार्थी अच्छी तरह समझ सके।
2. विवरण - यह मौखिक शिक्षण की महत्वपूर्ण युक्ति है। प्राचीन काल में यह शिक्षण की मुख्य विधि थी। वर्तमान समय में भी कक्षा शिक्षण में प्रयुक्त विविध युक्तियों में विवरण अपना महत्वपूर्ण स्थान रखता है। अलग-अलग परिस्थितियों में इस युक्ति का प्रयोग किया जाता है।
3. वर्णन - वर्णन विषयं वस्तु को स्पष्ट करने की एक कला है। इस कला में निपुण अध्यापक किसी विषय वस्तु अथवा समस्या को विद्यार्थी के समक्ष वर्णन के माध्यम से प्रस्तुत करके छात्रों के मानस पटल पर एक शाब्दिक चित्र बनाने का प्रयत्न करता है। जिससे विद्यार्थी उस विषय-वस्तु को आसानी से समझ लेता है।
4. स्पष्टीकरण - स्पष्टीकरण मौखिक शिक्षण की उपयोगी युक्ति है। जब कभी शिक्षण के अन्तर्गत शब्दों, भावों में कठिनता आ जाती है, जिसे विद्यार्थियों के लिये समझना आवश्यक होता है, तब अध्यापक उन भावों को सरल एवं स्पष्ट भाषा में समझाते हुये विद्यार्थियों को आत्मसात् करने का प्रयास करता है। इस तरह के स्पष्टीकरण का तात्पर्य किसी शब्द के भाव को स्पष्ट एवं सरलतम रूप से व्यक्त करने से है।
5. उद्वरण - इलेस्ट्रेट का शाब्दिक अर्थ है- दृष्टान्त देकर स्पष्ट करना। यहाँ पर इलस्ट्रेशन के लिये हिन्दी शब्द उद्वरण' का प्रयोग किया गया है। उद्धरण हिन्दी शिक्षण में विशेष उपयोगी हैं क्योंकि हिन्दी अध्यापक इनके द्वारा जटिल तथ्यों, घटनाओं एवं दुर्बोध कथनों को रोचक, सजीव, बोधगम्य एवं प्रभावपूर्ण बना देते हैं। इनसे विद्यार्थियों का ध्यान विषय-वस्तु पर केन्द्रित रहता है। उद्वरण के दो प्रकार होते हैं-
1. मौखिक उद्धरण
2. दृश्य उद्धरण।
6. उत्तर- प्राप्त करना - हिन्दी शिक्षण में प्रश्न पूछने के सदृश उत्तर- प्राप्त करने की युक्ति भी बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। कक्षा शिक्षण की सफलता विद्यार्थियों से प्राप्त उत्तरों पर निर्भर करती है। प्राप्त उत्तरों के आधार पर अध्यापक विद्यार्थी के ज्ञान को व्यवस्थित करता हैं एवं नया ज्ञान देने के लिये अग्रसित होता है। उत्तर- देने से विद्यार्थी की विचार शक्ति एवं तर्क शक्ति विकसित होती है, उनमें आत्मविश्वास एवं साहस बढ़ता है तथा उसके बोलने की झिझक समाप्त होती है।
7. दत्त कार्य - दत्त कार्य की युक्ति हिन्दी शिक्षण में बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस युक्ति से अभिप्राय यह है कि विद्यार्थी को ज्ञान प्रदान करने के लिये व्यक्तिगत विभिन्नताओं के आधार पर कार्य निर्धारित करना। इसके अनुसार- विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय में कार्य देकर सामान्य स्तर पर लोन एवं प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को अतिरिक्त कार्य उन्हें अधिक ज्ञान प्रदान करने प्रयास किया जाता है। दत्त कार्य मुख्यतः दो प्रकार का होता है-
1. मौखिक दत्त कार्य - इसके अन्तर्गत वह कार्य आते हैं, जो विद्यार्थियों को लिखित रूप से करने के लिये अध्यापक द्वारा दिये जाते हैं।
2. लिखित दत्त कार्य - इस कार्य के अन्तर्गत वह कार्य आते अध्यापक द्वारा विद्यार्थी को लिखित रूप से दिये जाते हैं।
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