बी एड - एम एड >> बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षणसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीएड सेमेस्टर-2 हिन्दी शिक्षण - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- भाषा प्रयोगशाला विधि क्या है? इससे हिन्दी भाषा शिक्षण की किस प्रकार प्रभावपूर्ण बनाया जा सकता है?
उत्तर-
भाषा प्रयोगशाला विधि की संकल्पना का उद्भव प्रयोगवादी विचार धारा के परिणामस्वरूप हुआ। प्रयोगवाद का उद्भव अमेरिका में हुआ अतः भाषा प्रयोगशाला विधि का प्रारम्भ सर्वप्रथम अमेरिका में सन 1960 ई. में हुआ। भाषा अध्ययन को प्रयोगात्मक आधार पर यथासम्भव वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करने की दृष्टि से भाषा प्रयोगशाला विधि का प्रादुर्भाव हुआ।
भाषा प्रयोगशाला का तात्पर्य एक ऐसी प्रयोगशाला से है जिसमें भाषा से सम्बन्धित समस्त पहलुओं का वैज्ञानिक विधि से अध्ययन किया जाता है। और प्राप्त तथ्य का विशेष प्रकार के उपकरणों के माध्यम से सत्यापन किया जाता है। यह एसक ऐसा भाषा शिक्षण केन्द्र होता है। जहाँ पर पढ़ने-लिखने बोलने तथा सुनने की क्रियाओं का अभ्यास तत्सम्बन्धित वातावरण को नियन्त्रित करके किया जाता है। इसमे परस्पर सम्बद्ध दो चरों के एक-दूसरे पर प्रभाव का अध्ययन किया जाता है। तथा शेष प्रभाव डालने
वाले चारों पर नियन्त्रण स्थापित किया जाता है उदाहरण के लिए यदि किसी को कक्षा में शुद्ध वाचन का अभ्यास करवाना है तो टेप रिकार्डर मे उसके वाचन को टेप करके उसको सुनाया जाता है तथा फिर उसकी तुलना आदर्श टेप मे रिकार्ड वाचन से करके उसकी त्रुटि को दूर करने का प्रयास किया जाता है। छात्र दोनों टेपों के अन्तर को स्वयं सुनकर अपनी त्रुटि को समझने तथा दूर करने का प्रयास करता है।
मानीटरिंग स्किल के द्वारा छात्रों की आवाज को सुनकर परमर्श देने वाला विशेषज्ञ सुधार के सुझाव देता है। छात्रों की रिकार्ड की गई ध्वनि पर नियन्त्रण डिस्ट्रीब्यूशन (वितरण) स्विच के माध्यम से किया जाता है। छात्र, शिक्षक, निरीक्षक, परामर्शदाता आदि से सम्पर्क स्थापित करने के लिए इण्टरकाम स्विच का प्रयोग किया जाता है आल कॉल स्विच समस्त छात्रों को निर्देश देने के लिए तथा ग्रुप काल स्विच किसी समूह विशेष को सम्बोधित करने के लिए प्रयुक्त होते है।
भाषा प्रयोगशाला शिक्षण के क्षेत्र में अन्य दृश्य श्रव्य उपकरणों की भाँति यह सहायक मात्र है न कि अध्यापक शिक्षा का प्रतिस्थापन। भाषा प्रयोगशाला एक विशेष कक्ष होता है जो विविध दृश्य श्रव्य तथा दृश्य श्रव्य उपकरणों से युक्त होता है। सामान्यतः एक भाषा प्रयोगशाला चार, छः, आठ, बत्तीस टेप रिकॉर्डरों का एक क्रमिक व्यवस्थित संयोजन होता है जिसके माध्यम से शिक्षार्थी अध्येता भाषा अध्ययन के लिए विविध प्रकार के अभ्यास करते हुये भाषा सीखते हैं। किसी भाषा प्रयोगशाला की कार्य प्रणाली उस भाषा प्रयोगशाला में उपलब्ध दृश्य श्रव्य उपकरणों की मात्रा तथा गुण पर निर्भर है। जिस भाषा प्रयोगशाला में जो उपकरण उपलब्ध होंगे उनकी संचालन व्यवस्था तथा संचालन प्रक्रिया उन्हीं के अनुरूप रखनी होगी। वास्तव में भाषा प्रयोगशाला एक सामान्य कक्षा का पूरक रूप है, जहाँ शिक्षार्थी सामान्य कक्षा के अध्ययन के अतिरिक्त समय में टेपित पाठों का श्रवण करते हुये अनुसरण आदि के द्वारा भाषा को व्यवहार के स्तर पर सीखते हैं। भाषा कौशलों का विकास किया जाता है।
आधुनिक युग में भाषा प्रयोगशाला यन्त्रों की सहायता से भाषा सिखाने का एक सक्रिय, स्वप्रयत्नपूर्ण रोचक तथा उपयोगी आधुनिक शिक्षण अभिकरण कही जा सकती है। वर्तमान में छात्रों का ज्ञानात्मक विकास वैज्ञानिक एवं यान्त्रिक साधनों से हो इसलिए भाषा के शिक्षण तथा हिन्दी के शिक्षण के लिए भी सम्मिलित भाषा प्रयोगशाला की स्थापना की जाये। हिन्दी शिक्षण में भाषा प्रयोगशाला एक उपयोगी साधन एवं माध्यम है जिससे गद्य-पद्य, नाटक, रचना एवं वैज्ञानिकता के साथ साहित्यिक एवं लोक-भाषा का शुद्ध ज्ञान इस नवीन विधा के द्वारा देना सम्भव है।
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